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Cyclone Amphan: भारत और बांग्लादेश में चक्रवातों का पुराना इतिहास, ये हैं सबसे मारक चक्रवात

Cyclone Amphan एम्फन से पहले ओडिशा में आए सुपर साइक्लोन ने 1999 में हजारों लोगों की जान ली थी और बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए थे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 04:28 PM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 04:29 PM (IST)
Cyclone Amphan: भारत और बांग्लादेश में चक्रवातों का पुराना इतिहास, ये हैं सबसे मारक चक्रवात
Cyclone Amphan: भारत और बांग्लादेश में चक्रवातों का पुराना इतिहास, ये हैं सबसे मारक चक्रवात

नई दिल्ली, जेएनएन। List of deadly cyclones in India and Bangladesh बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवात एम्फन ने भारत और बांग्लादेश को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। कई लोगों की जान गई है और बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। पिछले 20 सालों में यह सबसे भीषण चक्रवात है, जिसने सुपर साइक्लोन का रूप ले लिया। यह बुधवार को भारतीय तटीय इलाके से टकराया। एम्फन से पहले ओडिशा में आए सुपर साइक्लोन ने 1999 में हजारों लोगों की जान ली थी और बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए थे। भारत और बांग्लादेश में चक्रवातों का पुराना इतिहास रहा है। इनके कारण कई बार तटीय आबादी को जबरदस्त नुकसान झेलना पड़ता है।

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अमेरिका के वाणिज्य विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) के मुताबिक, सबसे घातक चक्रवात भारत और बांग्लादेश में आते रहे हैं। यह दोनों देश सबसे घातक 10 चक्रवातों में से छह के गवाह रहे हैं। सबसे भीषण चक्रवात 1970 में आया भोला चक्रवात था, जिसने भारत और बांग्लादेश में करीब 5 लाख लोगों की जान ले ली थी।

1999 में सुपर साइक्लोन ने ओडिशा में दस हजार लोगों की ले ली थी जान : सुपर साइक्लोन एम्फन बंगाल की खाड़ी में बनने वाला पिछले करीब बीस सालों में दूसरा सुपर साइक्लोन है। 17 और 18 मई के दौरान इसमें काफी तेजी आई है और हवा की रफ्तार 220-230 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक तेज हो गई है। हालांकि इससे पूर्व ओडिशा में 1999 में आए सुपर साइक्लोन ने भारी तबाही मचाई थी। जिसके बाद बंगाल की खाड़ी में बनने वाला यह दूसरा सुपर साइक्लोन है।

ओडिशा में मचाई थी तबाही : करीब 20 साल पहले अक्टूबर के महीने में ओडिशा में सुपर साइक्लोन ने जबरदस्त तबाही मचाई थी। इसके कारण करीब दस हजार लोगों की मौत हो गई थी और करीब साढ़े तीन लाख घर नष्ट हो गए थे। कई गांव पूरी तरह से नष्ट हो गए और लाखों की संख्या में जानवर मारे गए थे। इससे करीब 25 लाख लोग प्रभावित हुए थे। हालांकि उस वक्त इसकी तीव्रता को कम करके आंका गया था। साथ ही रास्ते को भी गलत समझ लिया गया था।

उस दिन हुआ था यह : 29 अक्टूबर 1999 को दोपहर के करीब यह ओडिशा के पाराद्वीप से टकराया था। इसकी भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हवाओं की गति 260 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंच गई थी। हालांकि इससे पहले कुछ लोगों को निकालने की कोशिश की गई थी, लेकिन यह इंतजाम बड़ी जनसंख्या के लिहाज से नाकाफी थे। सुपर साइक्लोन ने करीब आठ घंटे तक जबरदस्त तबाही मचाई।

मानसून की शुरुआत से पहले या सिर्फ मानसून की शुरुआत के दौरान चक्रवातों का बनना सामान्य बात है। बंगाल की खाड़ी में साल भर में कम से कम पांच चक्रवात बनते हैं, जिनमें से एक मई-जून की अवधि के दौरान और शेष चार अक्टूबर-दिसंबर की अवधि के दौरान बनते हैं। समुद्री सतह का तापमान उन प्रमुख तत्वों में से एक है जो चक्रवातों के बनने में योगदान देते हैं। चूंकि गर्मियों के महीनों के दौरान समुद्र की सतह का तापमान अधिक होता है, इसलिए मई और जून में चक्रवात बनने के लिए परिस्थितियां अनुकूल होती हैं।


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