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बिजली ने अपने ही बच्चों की ले ली जान, जानें पूरा मामला

इंदौर ने एक मां ने पहली बार मां बनने के बाद ही अपनी ही बच्चों की जान ले ली। दरअसल इंदौर के चिड़ियाघर में 20 नवंबर को मां बनी शेरनी बिजली ने अपने ही तीन बच्चों में से दो को खा लिया।

By Pooja SinghEdited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 09:12 AM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 12:52 PM (IST)
बिजली ने अपने ही बच्चों की ले ली जान, जानें पूरा मामला
बिजली ने अपने ही बच्चों की ले ली जान, जानें पूरा मामला

भोपाल, ऑनलाइन डेस्क। इंदौर ने एक मां ने पहली बार मां बनने के बाद ही अपनी ही बच्चों की जान ले ली। दरअसल, इंदौर के चिड़ियाघर में 20 नवंबर को मां बनी शेरनी बिजली ने अपने ही तीन बच्चों में से दो को खा लिया। यह घटना दो दिन पहले की है।  जन्म के 18 दिन बाद रविवार को जब बिजली अपनी गुफा से बाहर पानी पीने निकली तो गुफा का जायजा लेने एक कर्मचारी को भीतर भेजा गया। वहां उसे दो बच्चों के शरीर के कुछ हिस्से दिखे और उनके खाए जाने की पुष्टि हुई।

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चिडि़याघर में मेघा और बिजली ने चार दिन के अंतराल में पांच शावकों को जन्म दिया था। इससे यहां शेरों की संख्या 14 पहुंच गई थी। मेघा अपने बच्चों की देखरेख भी अच्छी तरह से कर रही है। बिजली भी अपने एक शावक का ठीक से ध्यान रख रही है।शावकों की मौत पर जू प्रभारी उत्तम यादव का कहना है कि बिल्ली और कुत्ते की प्रजाति में इस तरह की संभावना होती है।

इंदौर चिड़ियाघर

कमला नेहरू प्राण संगरहालय या इंदौर चिड़ियाघर, नवलखा में स्थित एक प्राणि उद्यान है, इंदौर पूरी तरह से इंदौर नगर निगम के स्वामित्व और प्रबंधित है। यह राज्य का सबसे बड़ा प्राणि उद्यान है और मध्य प्रदेश के सबसे पुराने प्राणि उद्यान में से एक है जो 4000 मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। कमला नेहरू पूर देश में मौजूद 180 चिड़िया घरों में से एक है। इस चिड़ियाघर में विविध प्रकार के जानवरों को विदेश से लाया जाता है। यहां पर सफेद शेर भी है। इसके अलावा रॉयल बंगाली शेर हिमालय से मंगाए गए हैं। 

यह चिड़ियाघर 1974 में17 एकड़ जमीन में स्थापित किया गया था। काफी सालों बाद वर्ष 1991 में इस चिड़ियाघर की जमीन को बढ़ाया गया। अभी यह कुल 51 एकड़ की जमीन पर है। चिड़ियाघर का पूरा इलाका हरियाली से बना हुआ है। विविध प्रकार के जानवरों के साथ-साथ विविध प्रकार के पेड़-पौधों यहां पर लगाए गए हैं।


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