बाघों की तरह तेंदुओं के संरक्षण की चलाई जाए परियोजना, याचिेका पर नवंबर में होगी सुनवाई
याचिका में तेंदुए के संरक्षण के लिए बाघ संरक्षण परियोजना (प्रोजेक्ट टाइगर) जैसी सरकारी नीति बनाए जाने की आवश्यकता जताई गई है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट तेंदुए के संरक्षण के लिए दायर याचिका की सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। इस याचिका पर नवंबर में सुनवाई होगी। याचिका में तेंदुए के संरक्षण के लिए बाघ संरक्षण परियोजना (प्रोजेक्ट टाइगर) जैसी सरकारी नीति बनाए जाने की आवश्यकता जताई गई है।
अर्जी पर सुनवाई में जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ के समक्ष अधिवक्ता अनुपम त्रिपाठी ने कहा, कोर्ट सरकार को 'प्रोजेक्ट लेपर्ड' बनाने का आदेश दे। इसके लिए अलग से इलाका और धन तय किया जाए। इससे तेंदुओं की कम होती संख्या को नियंत्रित किया जा सकेगा। याचिका में कहा गया है कि अगर अलग से टास्क फोर्स गठन को मुश्किल माना जाए तो बाघ संरक्षण के लिए चल रही परियोजना में ही तेंदुओं का संरक्षण शामिल किया जाए। इसके लिए अतिरिक्त गार्ड की व्यवस्था की जाए और अतिरिक्त सुविधाएं अमल में लाई जाएं।
याचिका में अवैध शिकार करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है। इसके लिए फॉरेस्ट गार्ड और टास्क फोर्स को अवैध शिकारियों को मुठभेड़ में मार गिराने का अधिकार देने के लिए कहा गया है। याचिका में देश में तेंदुओं की संख्या में हो रही गिरावट की ओर सुप्रीम कोर्ट का ध्यान आकृष्ट किया गया है। बताया गया है कि 20 साल पहले देश के जंगलों में तेदुओं की संख्या 45,000 थी जो 2015 में घटकर मात्र 7,900 रह गई। 2016 में 455 तेंदुए मारे गए जबकि 2017 में यह संख्या 431 की रही। 2018 के शुरुआती दो महीनों में 106 तेंदुए मारे जाने का आंकड़ा सामने आ चुका है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो कुछ ही वर्षो में जंगल से तेंदुओं का सफाया हो जाएगा। इसलिए कोर्ट अविलंब तेंदुओं के संरक्षण की परियोजना चलाने के लिए सरकार को आदेश दे।