पत्नी के नाम से बीमा पॉलिसी खरीदकर उसकी हत्या करनेवाले की उम्रकैद बरकरार
सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि 24 मार्च और 25 मार्च 2002 की रात पांच लोग उसका अपहरण करने के लिए उसके घर में घुसे।
नई दिल्ली, प्रेट्र। वर्ष 2002 में उत्तराखंड में अपनी पत्नी के नाम पर जीवन बीमा पॉलिसी लेने के कुछ दिन बाद उसकी हत्या करने वाले पति को सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा कि सभी बातें याचिकाकर्ता के दोषी होने की ओर इशारा करती हैं।
सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि 24 मार्च और 25 मार्च 2002 की रात पांच लोग उसका अपहरण करने के लिए उसके घर में घुसे। जब उसकी पत्नी ने उनको रोकने की कोशिश की तो उन्होंने पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी। कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति यह नहीं बता पाया कि लोगों ने उसका अपहरण करने की कोशिश क्यों की और न ही वह किसी बदमाश की पहचान और नाम बता पाया।
याचिकाकर्ता ने नहीं दिया संतोषजनक जवाब
पीठ ने कहा कि यदि लोग उसका अपहरण करने आए थे, तो उसकी पत्नी की गोली मारकर हत्या करने के बाद उनका काम और आसान हो गया होगा। इस संबंध में भी याचिकाकर्ता ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। शीर्ष कोर्ट ने दोषी के ससुराल पक्ष के लोगों के बयान पर भी गौर किया।
ससुरालवालों का आरोप था कि दोषी बहुत लालची है और उसने उनसे दहेज भी मांगा था। उन्होंने बताया कि घटना से कुछ दिन पहले उसने अपनी पत्नी के नाम से एक एलआइसी पॉलिसी खरीदी थी। बता दें कि हत्या के आरोप में व्यक्ति को निचली अदालत ने दोषी ठहराया था। फिर हाई कोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा। इसके बाद दोषी ने शीर्ष कोर्ट का रुख किया था जिसने उसकी सजा को बहाल रखा।