साधारण इन्फ्लूएंजा वायरस से भिन्न है nCoV2019, जानें कैसे पड़ा कोरोना नाम
Coronavirus डॉ. सुशीला कटारिया ने बताया कि अगर कुछ सावधानियां बरतें तो कोरोना वायरस के संक्रमण से जहां बचा जा सकता है।वहीं इसका इलाज भी संभव है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Coronavirus : दिसंबर 2019 के अंत में चीन के एक शहर वुहान में अचानक निमोनिया के रोगियों की संख्या ज्यादा हो गई। गहन जांच के बाद इस बीमारी के कारणों का पता चला। यह एक वायरस से होने वाली बीमारी है। यह वायरस पहले कभी नहीं पाया गया था।
इस वायरस का नाम नोवेल कोरोना वायरस 2019 में (nCoV2019) रखा गया। तब से लेकर आज तक सत्रह हजार से अधिक रोगी चीन व आसपास के देशों में इस मर्ज से ग्रस्त पाए गए और आज तक 563 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीमारी को लेकर लोगों में डर और कुछ भ्रांतियां व्याप्त है। जानें क्या कहते है गुरुग्राम के मेदांता दि मेडिसिटी के सीनियर फिजीशियन डॉ. सुशीला कटारिया। आइए जानते हैं इस मर्ज के बारे में...
कोरोना वायरस क्या है
कोरोना वायरस की एक प्रजाति है, जो मनुष्यों तथा जानवरों में सांस संबंधी बीमारियां पैदा करते रहे हैं। ये साधारण इन्फ्लूएंजा वायरस से भिन्न होते हैं। वैसे तो इस वायरस से होने वाली बीमारियां आमतौर पर गंभीर नहीं होती हैं, लेकिन अतीत में तरह-तरह के कोरोना वायरस ने गंभीर बीमारियां भी पैदा की हैं। उदाहरण स्वरूप 2003 में चीन में सार्स (सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) के कारण काफी लोगों की मौत हुई। इसी तरह 2012 में मर्स (मिडिल ईस्टर्न रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) नामक बीमारी ने कई देशों में कहर बरपाया था। अब एन कोव 2019 वायरस कहर बरपा रहा है।
क्यों रखा गया कोरोना नाम
किसी भी वायरस में एक मध्य भाग होता है। इस मध्य भाग में जेनेटिक मटेरियल भरा होता है तथा एक बाहरी भाग होता है, जिसे कवच या एनवेलप कहते हैं। कोरोना वायरस का बाहरी खोल मुकुट (क्राउन) जैसा दिखता है और क्राउन को लैटिन भाषा में कोरोना कहते हैं। इसलिए इसका नाम कोरोना पड़ा।
जानें कारणों को
बीमारी के कारणों पर अभी शोध-अध्ययन जारी हैं। कोरोना वायरस कभी-कभी म्यूटेशन या फिर ज्यादा देर तक पशुओं के संपर्क में आने के कारण लोगों में बीमारी फैलाते हैं। इस वायरस को स्पिलओवर कहते हैं। इस महामारी का कारण भी एक पशु तथा मांस बाजार से जोड़ा गया है। चमगादड़ जैसे जीव से इस वायरस की उत्पत्ति हो सकती है।
कैसे फैलती है यह महामारी
- बीमार व्यक्ति द्वारा छूने से या आसपास की चीजों से भी फैल सकता है।
- यह मर्ज बीमार व्यक्ति के खांसने तथा छींकने से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
- काफी समय तक जानवरों के संपर्क में रहने या कच्चा मांस खाने से भी यह रोग हो सकता है।
बीमारी के लक्षण
दस्त लगना: पेट खराब हो सकता है।
खांसी आना: आमतौर पर सूखी खांसी आती है।
सांस लेने में तकलीफ: इस समस्या के साथ निमोनिया होना।
शरीर में दर्द: पूरे शरीर में या शरीर के किसी भाग में दर्द होना।
बुखार: तेज बुखार का होना। कुछ मरीजों में यह बुखार हल्का भी हो सकता है।
ऐसे करें बचाव
इलाज से बेहतर बचाव है, यह कहावत इस बीमारी के संदर्भ में सटीक है। बचाव की प्रक्रिया हर स्तर पर यानी विश्व स्तर, देश तथा व्यक्तिगत स्तर पर होनी चाहिए।
- प्रभावित क्षेत्र पर एक स्क्रीनिंग प्रोटोकॉल के तहत बीमार व्यक्तियों को इलाज के बाद ही यात्रा करने दें।
- आगंतुक देश में एयरपोर्ट तथा रेलवे स्टेशन पर प्रभावित क्षेत्र से आने वाले लोगों की बुखार और खांसी से पीड़ित व्यक्ति की जांच होनी चाहिए। संभावित व्यक्तियों की जांचकर उन्हें अलग रखना चाहिए, ताकि इन्फेक्शन दूसरे देशों में न फैले।
व्यक्तिगत स्तर पर
- बीमार व्यक्ति घर पर ही आराम करें।
- खांसते तथा छींकते समय मुंह तथा नाक को ढककर रखें।
- बीमार व्यक्ति को अटेंड करने के बाद साबुन से हाथ जरूर धोएं।
- सार्वजनिक स्थानों पर संक्रमित चीजों को छूने के बाद हाथ धोएं।
- मास्क का प्रयोग रोगी तथा उसके आसपास के व्यक्ति सही प्रकार से करें।
- एनिमल प्रोडक्ट जैसे मांस व अंडा आदि को अच्छी तरह से पकाकर खाएं।
- वैक्सीन तथा दवा पर शोध जारी है, पर अभी तक कोई कारगर वैक्सीन तथा दवा उपलब्ध नहीं है।
- यदि जरूरत न हो तो भीड़ वाले स्थानों में न जाएं। जानवरों को छूने के बाद हाथ अच्छी तरह से धोएं।
- दूध को अच्छी तरह खौलाने के बाद ही प्रयोग करें व पिएं। पर्याप्त मात्रा में पेय पदार्थ जैसे पानी और सूप आदि का सेवन करें।
जटिलताएं
कुछ रोगियों को सांस की तकलीफ बढ़ने से वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ती है। इससे मरीज की किडनी खराब हो सकती है। साथ ही, इस रोग के कारण दो से तीन प्रतिशत रोगियों की मौत भी हो सकती है।
ध्यान दें
उपर्युक्त लक्षण मौसम में फैल रहे अन्य कारणों से भी हो सकते हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण के लिए प्रभावित क्षेत्र में यात्रा करना तथा जांच के द्वारा किसी मरीज के मामले के प्रमाणित हो जाने के बाद उस पीड़ित शख्स के संपर्क में आने से यह मर्ज होता है। लोगों को चाहिए कि बेवजह घबराए नहीं और न ही भ्रमित करने वाली खबरों को सोशल मीडिया पर सर्कुलेट करें। सही जानकारी के लिए डब्लूएचओ की वेबसाइट देख सकते हैं।
जांचें
बीमारी का पता गला, कान तथा फेफड़ों के सैंपल का पीसीआर मानक टेस्ट द्वारा किया जाता है। रक्त के सैंपल से एंटीबॉडी टेस्ट भी किया जा सकता है। सभी संभावित रोगियों के जांच के नमूने सरकार द्वारा निर्धारित एनवीआई (नेशनल वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट) पुणे तथा इसी स्तर की प्रयोगशाला में भेजे जाते हैं।
इलाज के बारे में
एन कोव 2019 से होने वाले संक्रमण के लिए अभी तक कोई विशिष्ट इलाज नहीं है। मर्ज का इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है। जैसे बुखार को नियंत्रित करने के लिए पैरासिटामोल की टैब्लेट का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। उपरोक्त लक्षणों से ग्रस्त व्यक्ति को शीघ्र ही डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। गंभीर रोगियों को आईसीयू केयर तथा लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम की आवश्यकता पड़ सकती है।
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