'पीएम मोदी की माफी' को लेकर संसद में हंगामा, कांग्रेस का वॉकआउट
शीतकालीन सत्र में राज्य सभा में दागी मंत्रियों पर स्पेशल कोर्ट का मुद्दा उठा वहीं लोकसभा में मनमोहन पर दिए गए बयान को लेकर पीएम से माफी की मांग पर खूब हंगामा हुआ।
नई दिल्ली (एएनआई)। शीतकालीन सत्र में मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में कई मुद्दे उठाए जा रहे हैं। एक ओर लोकसभा की लिस्ट में जहां राजद प्रमुख लालू यादव की सुरक्षा में कटौती का मामला, एफआरडीआई बिल की वापसी की मांग और मनमोहन सिंह पर पीएम की टिप्पणी के अलावा कई और मुद्दे हैं वहीं राज्यसभा में दागी नेताओं पर स्पेशल कोर्ट के गठन समेत, पेट्रोलियम प्रोडक्ट को जीएसटी के तहत लाने किसानों की कर्जमाफी व कई मामले हैं। इसी क्रम में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर पीएम मोदी द्वारा की गयी टिप्पणी को लेकर हंगामा कर रही कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से माफी की मांग करते हुए लोकसभा से वॉकआउट किया।
मनमोहन पर पीएम की टिप्पणी पर सदन में हंगामा
मनमोहन सिंह पर पीएम मोदी द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर कांग्रेस सांसदों ने लोकसभा में काफी हंगामा किया। मोदी की ओर से माफी की मांग करते हुए कांग्रेस सांसद पोडियम में पहुंच गए। पीएम मोदी की टिप्पणी की निंदा करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा, देश के लिए भरोसेमंद डॉ. मनमोहन सिंह की ईमानदारी पर सवाल उठाया गया तो उन्हें सदन में आकर स्पष्ट करना होगा। स्पीकर सुमित्रा महाजन ने इस हंगामे को लेकर नाराजगी जाहिर की। महाजन ने कहा, चुनाव खत्म हो गया, सड़क पर कही जाने वाली बातों को संसद में नहीं लाया जाए मैं इस मामले को उठाने की अनुमति नहीं दे रही हूं। लेकिन कांग्रेस अपनी जिद पर अड़ी रही जिसके लिए महाजन ने पार्टी की निंदा की और कहा शीत सत्र के देरी से आयोजन को लेकर क्षोभ प्रकट कर रहे थे और अब हंगामा कर बाधित कर रहे हैं। राज्यसभा में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने पीएम से माफी मांगने की बात कही। सोमवार को भी कांग्रेस समेत अन्य सदस्यों ने संसद के दोनों सदनों में टिप्पणी को लेकर हंगामा किया था और नारेबाजी करते हुए मोदी से माफी मांगने की बात कही थी।
लालू यादव की सुरक्षा में कटौती मामले पर स्थगन प्रस्ताव
राजद सांसद जेपी यादव ने लालू यादव की सुरक्षा मामले को लेकर स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दे दिया है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की Z प्लस सुरक्षा हटा ली गई, जिसके लिए राजद प्रमुख ने पीएम नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ भी होता है तो इसके लिए मोदी और नीतीश कुमार जिम्मेदार होंगे।
GST के दायरे में पेट्रोलियम उत्पादों को लाने के पक्ष में केंद्र: जेटली
राज्यसभा में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने जीएसटी का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा, अब जब केंद्र समेत देश के 19 राज्यों में भाजपा सत्ता में है तब जीएसटी के तहत पेट्रोलियम उत्पादों को लाने से उन्हें कौन रोक रहा है? जीएसटी काउंसिल इस विषय पर कब अपने विचार देगी। इसके जवाब में अरुण जेटली ने कहा, हम पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने के पक्ष में हैं। हम राज्यों की ओर से प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं और उम्मीद है कि जल्द या देर से राज्य इसपर सहमत हो जाएंगे।
दागी नेताओं के लिए स्पेशल कोर्ट पर कांग्रेस का हंगामा
कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने दागी नेताओं पर स्पेशल कोर्ट के गठन का मुद्दा उठाया। शर्मा ने कहा कि सरकार विशेष अदालतों के गठन के लिए समुचित फंड का इंतजाम करना सुनिश्चित करे ताकि जब तक ट्रायल न हो जाए तब तक लोग लंबे समय तक के लिए जेल में कैदी बन कर न रहे। कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, 'कानून सभी के लिए होना चाहिए, विधायिका को अकेले नहीं रहना चाहिए।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने किसानों की खुदकुशी का मामला उठाते हुए इसे रोके जाने के लिए वित्तीय मदद की मांग की। उन्होंने कहा कि मामले का समाधान इसी साल हो जाना चाहिए। जिसके जवाब में कांग्रेस की ओर से शोर-शराबे के बीच केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘मामले के समाधान के लिए मैं विपक्ष के नेताओं समेत अपने सभी सहयोगियों को आमंत्रित करुंगा।
तृणमूल कांग्रेस के तमाम नेताओं ने संसद में महात्मा गांधी की मूर्ति के पास विरोध प्रदर्शन किया। इन्होंने मांग रखी है कि फिनांशल रिज्योलूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस विधेयक को वापस लिया जाए। इस साल अगस्त में संसद में पेश किया गया वित्तीय संकल्प और जमा बीमा (एफआरडीआई) विधेयक 2017 सुर्खियां बना हुआ है और इसकी वजह इसका विवादास्पद बेल-इन क्लॉज है।
एफआरडीआई बिल का उद्देश्य वित्तीय संस्थानों जैसे कि बैंक, बीमा कंपनियों, गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं (एनबीएफसी) कंपनियों और स्टॉक एक्सचेंज जैसे संस्थानों की दिवालिया होने के मामले में देखरेख के लिए एक ढांचा तैयार करना है। गौरतलब है कि इस बिल को सबसे पहले इस साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था।
जानें, एफआरडीआई बिल क्या है-
यह विधेयक रेजोल्यूशन कार्पोरेशन की स्थापना की सुविधा प्रदान करता है जो कि मौजूदा जमा बीमा एवं क्रेडिट गारंटी निगम की जगह लेगा। इसे वित्तीय कंपनियों की निगरानी, विफलता के जोखिम की आशंका, सुधारात्मक कार्रवाई करने और विफलता के मामले में उन्हें हल करने का जिम्मा दिया जाएगा। इतना ही नहीं कार्पोरेशन को एक निश्चित अवधि तक बीमा सुरक्षा प्रदान करने का जिम्मा भी दिया गया है, हालांकि इस अवधि का निर्धारण किया जाना अभी बाकी है। इसके साथ ही कार्पोरेशन के पास यह जिम्मा भी होगा कि वो फेल्योर होने की आशंका के आधार पर कंपनियों को लो, मॉडरेट, मैटीरियल, इमीनेंट और क्रिटिकल में वर्गीकृत करे। कंपनी के गंभीर स्थिति में आते ही यह कंपनी के प्रबंधन का जिम्मा अपने हाथ में ले लेगी।
इस विधेयक के काम-
एफआरडीआई विधेयक, केंद्र सरकार की ओर से सभी वित्तीय कंपनियों (बैंकों, बीमा कंपनियों और अन्य वित्तीय मध्यस्थों) के व्यवस्थित समाधान के लिए एक बड़ा और अधिक व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा है। दिवाला और दिवालियापन संहिता के साथ आया यह विधेयक एक बीमार कंपनी के सुधार या पुनरुद्धार के लिए प्रक्रिया को तैयार करता है।
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