छत्तीसगढ़: नीट की परीक्षा में लक्ष्मण ने किया जिला टॉप, नक्सलियों के डर से ऐसे की थी पढ़ाई
छत्तीसगढ़ में सुकमा जिले के चिंगावरम गांव के लक्ष्मण ने नीट की परीक्षा पास की है। अब वह डॉक्टर बन गांव वालों की मदद करना चाहता है।
दंतेवाड़ा, योगेन्द्र ठाकुर। बस्तर में नक्सल हिंसा के आगे आज वहां का जनसमुदाय पूरी तरह बेबस नजर आ रहा है। नक्सलवाद के साए में सांस लेना भी लोगों के लिए दूभर है। यहां की हवा में बम और बारूद की गंध हमेशा समाई रहती है। लोगों को भय रहता है कि किसी भी वक्त नक्सली उनके गांव पर हमला करेंगे और उनके मासूम बच्चों को उठा कर ले जाएंगे। इन्हीं परिस्थितियों में अपने परिवार से दूर रहकर नक्सल पीड़ित परिवार के लक्ष्मण मंडावी ने नीट की परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की है और अब वह डॉक्टर बनकर अपने गांव के लोगों की मदद करना चाहता है।
मेरे बेहतर भविष्य के लिए पिता ने धमकी की भी परवाह नहीं की
सुकमा जिले के चिंगावरम गांव में मण्डावी परिवार में पैदा हुए लक्ष्मण को मां-पिता नक्सलवाद के साए से दूर रखना चाहते थे। जब लक्ष्मण स्कूल जाने लायक हुआ तो उसके माता-पिता उसे लेकर दंतेवाड़ा आए और यहां के सरकारी आवासीय विद्यालय में उसे भर्ती करा दिया। इसके बाद लक्ष्मण ने यहीं पढ़ाई लिखाई शुरू की और अब वह बारहवीं पास के करने के बाद नीट की परीक्षा भी पास कर चुका है।
लक्ष्मण ने बारहवीं की परीक्षा में जिले में पहला स्थान हासिल किया था। अब मेडिकल की पढ़ाई करने जा रहे लक्ष्मण का कहना है कि मां-पिता ने उसे गांव आने से मना किया था, क्योंकि उन्हें नक्सलियों की ओर से मुझे लेकर धमकी मिली थी। मैं अपने परिवार से लंबे समय तक दूर रहा हूं, लेकिन अब डॉक्टर बनकर गांव के लोगों की मदद करना चाहता हूं।
उम्मीद है, जल्द खत्म हो जाएगा नक्सलवाद
लक्ष्मण ने बताया कि उसके गांव का माहौल बेहद खराब है। यहां अक्सर नक्सली आते रहते हैं और स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को अपने साथ ले जाते हैं। मां-पिता इस बात से बेहद डरते थे कि कहीं मुझे भी नक्सली अपने साथ न ले जाएं, इसलिए उन्होंने मुझे खुद से दूर रखा। एक बार नक्सलियों ने मेरे पिता पर दबाव भी बनाया कि मेरी पढ़ाई छुड़ाकर मुझे वापस गांव बुलाया जाए, लेकिन उन्होंने बर्बता को सहा ताकि मैं एक खुशहाल जिंदगी जी सकूं। अब मैंने 350 अंकों के साथ नीट की परीक्षा पास की है। जिले में मेरा पहला स्थान है। मैं चाहता हूं कि मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर अपने गांव में एक डॉक्टर के रूप में काम करूं। मुझे लगता है कि अब लोग नक्सलियों के आतंक से उबरने में सफल हो रहे हैं। धीरे-धीरे यहां नक्सलवाद के पैर उखड़ रहे हैं और वह दिन दूर नहीं जब यहां से नक्सलवाद पूरी तरह खत्म हो जाएगा। मैं अपनी छोटी बहन और भाई के साथ ही पूरे गांव के बच्चों की खुशहाल जिंदगी चाहता हूं। चाहता हूं कि वे सब भी पढ़-लिख कर आगे बढ़ें।
जिला प्रशासन द्वारा नक्सल प्रभावित परिवारों के बच्चों के लिए चलाए जा रहे छू लो आसमान प्रोजेक्ट के तरत छक्ष्मण ने नीट परीक्षा की तैयारी की। वह दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय के आवासीय विद्यालय में रहकर पढ़ाई कर रहा है। हॉस्टल के अधीक्षक राजापाल ने बताया कि आवासिय विद्यालय में रहकर लक्ष्मण की तरह बहुत से बच्चे अपना उज्जवल भविष्य गढ़ रहे हैं। यहां रहने वाले पांच बच्चों ने नीट परीक्षा में अच्छा स्कोर प्राप्त किया है और उन्हें उम्मीद है कि इन सभी बच्चों को देश के बेहतर मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश मिल जाएगा।
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