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वकीलों ने कहा, अभिव्यक्ति के अधिकार का इस्तेमाल कर रहे थे प्रशांत भूषण

वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के पूर्व अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा उन्होंने जो कुछ कहा मैं उसका अनुमोदन नहीं करता।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 10:44 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 10:49 PM (IST)
वकीलों ने कहा, अभिव्यक्ति के अधिकार का इस्तेमाल कर रहे थे प्रशांत भूषण
वकीलों ने कहा, अभिव्यक्ति के अधिकार का इस्तेमाल कर रहे थे प्रशांत भूषण

नई दिल्ली, प्रेट्र। अधिवक्ता प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवमानना का दोषी ठहराए जाने को वकीलों ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उनका कहना है कि प्रशांत भूषण सिर्फ अपने अभिव्यक्ति के अधिकार का इस्तेमाल कर रहे थे। वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के पूर्व अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा, 'उन्होंने जो कुछ कहा मैं उसका अनुमोदन नहीं करता। यह अनुचित हो सकता है, लेकिन यह उनके बोलने की आजादी का हिस्सा था। कोर्ट ने जो फैसला किया वह सही नहीं था।'

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उन्होंने कहा कि भूषण के ट्वीट अदालत की अवमानना के आरोप के दायरे में नहीं आते। विकास सिंह के दृष्टिकोण से सहमति जताते हुए अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि वह इस फैसले से सहमत नहीं है कि भूषण ने जो कहा था वह अदालत की अवमानना है। उन्होंने जो कुछ कहा था, वह उनकी अभिव्यक्ति की आजादी थी। हालांकि वरिष्ठ अधिवक्ता अजित सिन्हा ने अलग रुख अपनाते हुए कहा कि यह फैसला कोर्ट को करना था और फैसले पर टिप्पणी करने का कोई मतलब नहीं है। यह सुप्रीम कोर्ट का अधिकार क्षेत्र था।

छह महीने तक की सजा का है प्रावधान

बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने जाने माने वकील प्रशांत भूषण को दो ट्वीट में न्यायपालिका की गरिमा को कम करने वाली अवमानना पूर्ण टिप्पणी के लिए अवमानना का दोषी ठहराया है। इसमे छह महीने तक की सजा का प्रावधान है। हालांकि कोर्ट अभी सजा के मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई 20 अगस्त को करेगा। लेकिन सख्ती का संकेत जरूर दे दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अगर जनता का न्यायपालिका से विश्वास डिगाने के हमला किया गया हो तो कड़ाई से निपटा जाना चाहिए। 

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की पीठ ने गत 27 जून को प्रशांत भूषण के दो विवादित ट्वीट्स पर स्वत: संज्ञान के मामले में सुनाया है। उन ट्वीट्स में भूषण ने वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की बाइक वाली फोटो पर टिप्पणी की थी और दूसरे ट्वीट में न्यायपालिका और पिछले चार मुख्य न्यायाधीशों की कार्यप्रणाली पर आक्षेप लगाए थे। 


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