SC का फैसला, सांसद और विधायक कोर्ट में बतौर वकील कर सकेंगे प्रैक्टिस
सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों विधायकों के वकालत करने पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दी है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों विधायकों के वकालत करने पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दी है। सांसद और विधायक अब बतौर वकील प्रैक्टिस कर सकेंगे। कोर्ट ने कहा कि कानून में ऐसी कोई रोक का प्रावधान नहीं है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया नियम विधायकों को वकीलों के रूप में अभ्यास करने से मना नहीं करते हैं।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने यह फैसला सुनाया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 9 जुलाई को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। वहीं, केंद्र ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि सांसद या विधायक फुल टाइम कर्मचारी नहीं हैं, वे जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं और उनका कोई नियोक्ता नहीं है, इसलिए वो प्रैक्टिस कर सकते हैं।
गौरतलब है कि इस वक्त कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम, अभिषेक मनु सिंघवी, केटीएस तुलसी, विवेक तन्का, के परासरन आदि कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं। दरअसल भाजपा नेता अश्वनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सासंदों, विधायकों को बतौर वक़ील कोर्ट में प्रैक्टिस करने से रोक की मांग की थी।
याचिका में क्या कहा गया था
याचिका में कहा गया था कि जब तक कोई भी सांसद या विधायक जैसे पद पर है, तब तक उसकी वकील के रूप में प्रैक्टिस पर पाबंदी लगा देनी चाहिए। इतना ही नहीं, उनके शपथ लेते ही उसका लाइसेंस तब तक सस्पेंड कर देना चाहिए जब तक वो सांसद या विधायक है। उपाध्याय ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट का 1994 में आया जजमेंट भी अटैच किया है। इसमें प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर को कोर्ट ने कहा था कि वो तब तक वकालत के योग्य नहीं माने जाएंगे, जब तक कि वो डॉक्टर के पद से इस्तीफा न दे देते।