वकील प्रशांत भूषण के अवमानना मामले की सुनवाई चार अगस्त तक टली
अवमानना का यह मामला वकील प्रशांत भूषण और तहलका मैग्जीन के पत्रकार तरुण तेजपाल के खिलाफ 2009 का है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जाने-माने वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 से लंबित अवमानना मामले की सुनवाई चार अगस्त तक के लिए टल गई है। शुक्रवार को पक्षकारों के वकीलों ने एक सुर में सुनवाई टालने का आग्रह करते हुए कोर्ट से तैयारी के लिए समय मांगा। कोर्ट ने वकीलों का अनुरोध स्वीकार करते हुए सुनवाई टाल दी। साथ ही प्रशांत भूषण के पिता वरिष्ठ वकील और पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण की भी, उनकी हस्तक्षेप अर्जी स्वीकार किए जाने की मांग नहीं मानी।
अवमानना का यह मामला वकील प्रशांत भूषण और तहलका मैग्जीन के पत्रकार तरुण तेजपाल के खिलाफ 2009 का है। इस मामले में प्रशांत भूषण ने तलहका मैग्जीन को दिए साक्षात्कार में मुख्य न्यायाधीशों पर टिप्पणी की थी जिस पर एमाइकस क्यूरी ने उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी। इस मामले में वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने भी पक्षकार बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप अर्जी दाखिल कर रखी है। इस केस में आखिरी बार 2012 में सुनवाई हुई थी।
केस की तैयारी के लिए दिया जाए कुछ समय
शुक्रवार को मामला जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगा था। हस्तक्षेप अर्जीकर्ता शांति भूषण ने मामले की सुनवाई टालने का अनुरोध करते हुए कहा कि वह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बहस करने में बहुत सहज नहीं हैं। बेहतर हो कि मामले को तब सुनवाई पर लगाया जाए जब कोर्ट नियमित सुनवाई करने लगे। प्रशांत भूषण की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने भी सुनवाई टालने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह मामला 9-10 साल बाद सुनवाई के लिए लगा है उन्हें केस की तैयारी के लिए कुछ समय दिया जाए।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो सकती है सुनवाई
तरुण तेजपाल के वकील कपिल सिब्बल ने भी सुनवाई स्थगित करने का आग्रह किया और कहा कि जब नौ साल इंतजार किया जा सकता है तो कुछ दिन और कर लिया जाए, जब कोर्ट में नियमित आमने सामने सुनवाई शुरू हो जाए। इस पर पीठ के अन्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि जब संविधान पीठ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई कर सकती है तो इस मामले की क्यों नहीं हो सकती। सिब्बल ने कहा कि यह मामला उतना अर्जेट नहीं है इसमें इंतजार किया जा सकता है। कोर्ट ने आग्रह स्वीकार करते हुए कहा कि वे समय देंगे।
उधर, शांति भूषण ने अपनी हस्तक्षेप अर्जी का जिक्र करते हुए कोर्ट से कहा कि उनकी अर्जी कोर्ट में लंबित है, वह इस मामले की सुनवाई में कोर्ट की मदद करना चाहते हैं। इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि आप बहुत वरिष्ठ हैं इसलिए कोर्ट आपको मामले में शामिल नहीं कर सकता। इस पर शांति भूषण ने कहा कि मामला इतने लंबे समय से लंबित है उनकी हस्तक्षेप अर्जी इस तरह नहीं निपटाई जा सकती। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने उनकी अर्जी देखी नहीं है। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि उन्होंने अर्जी पढ़ी है। उसमें आपने अपने बेटे का समर्थन किया है। कोर्ट ने कहा कि वह उनका अपने पुत्र के लिए प्यार और लगाव समझ सकते हैं, लेकिन यह उन्हें मामले में पक्षकार बनाए जाने का आधार नहीं हो सकता। हालांकि कोर्ट ने इस बारे मे कोई औपचारिक आदेश जारी नहीं किया और सुनवाई टाल दी।