चीनी पर सेस लगाने के मसले को लेकर कानून मंत्रालय ने गेंद अटार्नी जनरल के पाले में डाली
चीनी पर पांच फीसद जीएसटी के ऊपर तीन रुपये प्रति किग्रा की दर से सेस लगाने के मसले पर अब अटार्नी जनरल की राय आने के बाद फैसला होगा।
नितिन प्रधान, नई दिल्ली। चीनी पर पांच फीसद जीएसटी के ऊपर तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से सेस लगाने के मसले पर अब अटार्नी जनरल की राय आने के बाद फैसला होगा। वित्त मंत्रालय की मार्फत जीएसटी काउंसिल ने इस मसले पर केंद्रीय कानून मंत्रालय की राय मांगी थी, लेकिन मंत्रालय ने अब गेंद अटार्नी जनरल के पाले में डाल दी है। उधर गन्ना किसानों को राहत देने वाले एक पैकेज पर बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मुहर लग सकती है जिसमें बड़ी राशि सेस से ही आनी है।
-कानून मंत्रालय ने अटार्नी जनरल के पास भेजी फाइल
-काउंसिल को सेस लगाने का अधिकार है या नहीं, तय करेंगे एजी
चीनी उद्योग पर गन्ना किसानों के बकाया की समस्या का हल निकालने को जीएसटी काउंसिल की गत 4 मई को हुई बैठक में सरकार ने चीनी पर इस सेस को लगाने का प्रस्ताव रखा था। चीनी फिलहाल जीएसटी में पांच फीसद की दर के दायरे में शामिल है। सेस इससे अलग होगा। सरकार का अनुमान है कि इससे लगभग 6700 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं जिनका इस्तेमाल चीनी उद्योग को संकट से उबारने के लिए किया जा सकता है।
बैठक में असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में एक मंत्रि समूह गठित किया गया था जिसे इस पर फैसला लेना था। मंत्रि समूह में उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के वित्त मंत्री बतौर सदस्य शामिल हैं। लेकिन मंत्रि समूह की 14 मई को हुई पहली ही बैठक में यह सवाल खड़ा हो गया कि जीएसटी काउंसिल को सेस लगाने का अधिकार है अथवा नहीं। इस बैठक में केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजैक ने चीनी पर सेस लगाने के प्रस्ताव का विरोध किया। इसके बाद ही काउंसिल ने कानून और खाद्य मंत्रालय से इस मसले पर सलाह लेने का फैसला किया।
फिलहाल कानून मंत्रालय ने इस पर औपचारिक रूप से कोई राय नहीं बनायी है। हालांकि मंत्रालय के अधिकारी अनौपचारिक बातचीत में यह स्वीकार करते हैं कि चीनी पर सेस लगाने के प्रस्ताव में कोई दिक्कत नहीं है। चूंकि चीनी से संबंधित कुछ केस अदालत में चल रहे हैं लिहाजा कानून मंत्रालय ने फिलहाल वित्त मंत्रालय व काउंसिल को इस संबंध में कोई राय नहीं दी है।
मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि अटार्नी जनरल ही अदालत में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए यह मामला उनके दायरे में आता है। लिहाजा जीएसटी काउंसिल और वित्त मंत्रालय की तरफ से कानूनी राय के संबंध में आया प्रस्ताव मंत्रालय ने अटार्नी जनरल के पास भेज दिया है।
गौरतलब है कि जीएसटी की व्यवस्था के तहत सिर्फ लग्जरी और सिन गुड्स पर ही जीएसटी की अधिकतम 28 प्रतिशत दर के अलावा एक सैस लगाने का प्रावधान है। इसे क्षतिपूर्ति सैस के तौर पर जाना जाता है जिसका इस्तेमाल केंद्र सरकार राज्यों को होने वाली राजस्व क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए करती है। यही वजह है कि अब यह सवाल उठ रहा है कि काउंसिल चीनी पर सैस लगा सकती है या नहीं।
चीनी उद्योग को वित्तीय संकट से उबारने के लिए सरकार ने 8000 करोड़ रुपये का पैकैज तैयार किया है। इस पैकेज पर बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में फैसला होने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक पैकेज में सेस से मिलने वाली धनराशि शामिल की जाएगी। 1504 करोड़ रुपये की राहत पहले ही सरकार घोषित कर चुकी है, जिसे किसानों के खाते में सीधे जमा कराया जा रहा है।