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देश में पिछले साल दूषित हवा और तनाव से सबसे ज्यादा मौतें, औसत उम्र 10 साल बढ़ी लेकिन बिगड़ी सेहत के साथ

भारत में पिछले साल दूषित हवा उच्च रक्तचाप तंबाकू का सेवन अल्प खुराक और हाई ब्लड शुगर से सबसे ज्यादा मौतें हुईं। हाई ब्‍लड प्रेशर का प्रमुख कारण तनाव होता है। लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में सामने आई है चौंकाने वाली बातें। आप भी जानें...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 07:37 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 03:06 AM (IST)
देश में पिछले साल दूषित हवा और तनाव से सबसे ज्यादा मौतें, औसत उम्र 10 साल बढ़ी लेकिन बिगड़ी सेहत के साथ
भारत में दूषित हवा लोगों की जान पर भारी पड़ रही है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत में पिछले साल दूषित हवा, उच्च रक्तचाप, तंबाकू का सेवन, अल्प खुराक और हाई ब्लड शुगर से सबसे ज्यादा मौतें हुईं। हाई ब्‍लड प्रेशर का प्रमुख कारण तनाव होता है। यह जानकारी एक हालिया अध्ययन में सामने आई है। लैंसेट पत्रिका में शुक्रवार को प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट 'ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज' में दुनिया के दो सौ से अधिक देशों और क्षेत्रों में मौत के 286 कारणों और 369 बीमारियों का आकलन किया गया है।

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2019 में मौत की प्रमुख पांच वजहें

कारण मौतें (लाख में)

वायु प्रदूषण 16.7

उच्च रक्तचाप 14.7

तंबाकू सेवन 12.3

अल्प खुराक 11.8

हाई ब्लड शुगर 11.2

औसत उम्र 10 साल बढ़ी

रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1990 के बाद से भारत में लोगों की औसत उम्र 10 साल बढ़ गई है। लेकिन राज्यों के बीच इसमें भारी अंतर भी है। शोधकर्ताओं, जिसमें गांधीनगर स्थित भारतीय लोक स्वास्थ्य संस्थान के श्रीनिवास गोली भी शामिल हैं, के मुताबिक भारत में 1990 में औसत आयु 59.6 वर्ष थी, जो 2019 में बढ़कर 70.8 साल हो गई है। लेकिन केरल में यह 77.3 साल है तो उत्तर प्रदेश में 66.9 साल।

स्वस्थ जीवन में वृद्धि नहीं

अध्ययन में यह भी कहा गया है कि औसत आयु की तुलना में स्वस्थ जीवन में ज्यादा वृद्धि नहीं हुई है। लोग बीमारियों और विकलांगता में अपना अधिक जीवन गुजारते हैं। पिछले 30 साल के दौरान दिल की बीमारी, फेफड़े की बीमारी, शुगर और स्ट्रोक जैसे गैर-संचारी रोग (एनसीडी) के चलते ज्यादा लोगों की जान गई।

एनसीडी से 22 फीसद मौतें

रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 1990 में गैर-संचारी रोग यानी एनसीडी से 22 फीसद मौतें हुईं जो 2019 में बढ़कर 50 फीसद हो गई। इस दौरान एनसीडी भी 29 फीसद से बढ़कर 58 फीसद हो गई। अगर पूरी दुनिया की बात करें तो पिछले साल हर पांचवें व्यक्ति (लगभग 1.1 करोड़) की उच्च रक्तचाप की वजह से मौत हुई। हाई ब्लड शुगर से 65 लाख और हाई कोलेस्ट्रोल से 44 लाख लोगों की जान गई।


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