ललित मोदी चाहते हैं CBI जांच हो
आइपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने टीवी प्रसारण के मनी लांड्रिंग मामले में समन जारी किया है। हालांकि उन्होंने नोटिस मिलने से इन्कार करते हुए एक बार फिर कांग्रेस और कांग्रेस नेताओं पर तीखे हमले किए। मोदी ने अपने खिलाफ मामले को ईडी बनाम सीबीआइ
जागरण न्यूज नेटवर्क, मुंबई। आइपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने टीवी प्रसारण के मनी लांड्रिंग मामले में समन जारी किया है। हालांकि उन्होंने नोटिस मिलने से इन्कार करते हुए एक बार फिर कांग्रेस और कांग्रेस नेताओं पर तीखे हमले किए।
मोदी ने अपने खिलाफ मामले को ईडी बनाम सीबीआइ जांच का कलेवर दे दिया। उन्होंने बीसीसीआइ में श्रीनिवासन के घोटालों को छिपाने में कांग्रेस और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल की भूमिका की सीबीआइ जांच कराए जाने की अपील की।
ट्विटर पर सनसनीखेज अंदाज में सोमवार को फिर ललित मोदी ने कहा, 'कपिल सिब्बल, राजीव शुक्ला, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अमित सिब्बल सभी घोटालों को छिपाने में लगे हैं। उन्होंने कहा, 'सच्चाई यह है कि यह हितों के टकराव का मामला है। क्या कहते हैं जयराम रमेश।
उन्होंने एक और ट्वीट में ज्योतिरादित्य सिंधिया से पूछा कि क्या वह बताएंगे कि वर्ष 2005 से बीसीसीआइ के हितों के टकराव में कपिल सिब्बल के परिवार को कितनी फीस दी गई। यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे कपिल सिब्बल के पुत्र अमित सिब्बल सरकार बनाम बीसीसीआइ मामले में बीसीसीआइ के वकील थे।
मोदी ने कांग्रेस नेता अजय माकन से पूछा कि क्या वह बताएंगे कि उन्होंने बीसीसीआइ में स्थान क्यों कबूल किया। उन्होंने इस बारे में सांसद कीर्ति आजाद से पूछने को कहा। ट्विटर पर अपने समर्थकों से चर्चा के दौरान उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि मीडिया में उनके और भी इंटरव्यू आने वाले हैं। इनमें और भी कई बड़े खुलासे होंगे।
इससे पूर्व, ललित मोदी ने ट्वीट करके ईडी का कोई भी नोटिस मिलने से इन्कार किया। उन्होंने कहा, 'सबको पता है मैं लंदन में कहां रहता हूं। मुझे अभी भी उसका इंतजार है। प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों के अनुसार ललित मोदी को पिछले हफ्ते ही समन सौंपा गया।
मोदी का वकील निर्णायक सुनवाई के लिए मुंबई आया था। मोदी को तीन हफ्ते में पेश होने को कहा गया है। दरअसल, 2008 में आइपीएल के टेलीविजन प्रसारण अधिकारों के लिए 425 करोड़ रुपये के करार किए थे। ईडी ने इस मामले में 2009 में फेमा के उल्लंघन की जांच शुरू की।