क्वारंटाइन सेंटरों को सांप से बचाने के लिए नमक से खींची लक्ष्मण रेखा, अपनाया जा रहा पुरखों का नुस्खा
छत्तीसगढ़ के अधिकांश क्वारंटाइन सेंटरों में प्रवासी श्रमिक जमीन पर बिस्तर लगा कर सो रहे हैं। क्वारंटाइन सेंटरों में सांप के काटने से अब तक दस की मौत हो चुकी है।
जशपुरनगर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ में नागलोक के नाम से पहचाने जाने वाले जशपुर जिले की फरसाबहार तहसील में क्वारंटाइन सेंटरों में रहने वालों को विषैले सांपों से बचाने के लिए नमक और फिनायल के घोल की लक्ष्मण रेखा का सहारा लिया जा रहा है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के अधिकांश क्वारंटाइन सेंटरों में प्रवासी श्रमिक जमीन पर बिस्तर लगा कर सो रहे हैं। क्वारंटाइन सेंटरों में अब तक 16 मौत हो चुकी है, जिसमें सांप काटने से सर्वाधिक 10 लोगों की मौत हुई है। फसराबहार के डिप्टी कलेक्टर पोषक चौधरी ने बताया कि जांजगीर जिले के क्वारंटाइन सेंटर सांप के मामले में सर्वाधिक संवेदनशील हैं। तहसील में 50 क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। इनमें से अधिकांश स्कूल और छात्रावासों के भवन हैं। छात्रावासों में बेड की व्यवस्था है लेकिन प्राथमिक स्कूलों में बेड उपलब्ध नहीं है। यहां के 50 क्वारंटाइन सेंटर में 958 प्रवासी मजदूर हैं। इनमें से अधिकांश मजदूर महाराष्ट्र, गुजरात और केरल जैसे प्रांतों से लौटे हुए है।
पुरखों का नुस्खा है नमक का घोल
डिप्टी कलेक्टर पोषक चौधरी ने बताया कि सांप के खतरे को दूर करने के लिए नमक के घोल का छिड़काव करने का नुस्खा पूर्वजों द्वारा आजमाते हुए बचपन से देखा है। नमक के घोल में फिनाइल का प्रयोग किया जा रहा है ताकि इसके तीखें गंध से सांप के घुसपैठ की आशंका को खत्म किया जा सके।
फोरहेड और कीटनाशक अधिक कारगर
वहीं, नमक की इस लक्ष्मण रेखा को लेकर जानकारों की राय थोड़ी अलग है। जिले में सांपों का रेस्क्यू अभियान चलाने वाली संस्था जीएनएसडब्ल्यू के कार्यकर्ता केसर हुसैन का कहना है कि नमक की घोल की जगह सर्प मृत्यु या फोरहेड जैसे तीखे गंध वाले कीटनाशक दवा का छिड़काव करना अधिक कारगर उपाय हो सकता है। उन्होनें बताया कि क्वारंटाइन सेंटरों के खिड़की और दरवाजें में मिट्टी तेल से भीगे हुए कपड़े को रख कर भी सांपों के खतरे से निपटा जा सकता है।