सरकार के रडार पर जीएसटी रिटर्न न भरने वाले 3.85 लाख व्यापारी
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) और जीएसटीएन ने अब तक दाखिल जीएसटी रिटर्न के आधार पर आंकड़ों का विश्लेषण किया है
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। जीएसटी रिटर्न दाखिल न करने वाले 3.85 लाख व्यापारी सरकार के रडार पर हैं। जीएसटी काउंसिल ने केंद्र और राज्यों के टैक्स अधिकारियों को जीएसटी का रिटर्न न भरने वाले व्यापारियों की सूची सौंपी है। टैक्स अधिकारी अब ऐसे व्यवसाइयों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) और जीएसटीएन ने अब तक दाखिल जीएसटी रिटर्न के आधार पर आंकड़ों का विश्लेषण किया है जिसमें ये चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में शनिवार को हुई जीएसटी काउंसिल की 26वीं बैठक में इन आंकड़ों पर चर्चा हुई।
सूत्रों के मुताबिक एक जुलाई 2017 से देश में जीएसटी लागू होने के बाद अब तक सात महीनों के लिए जीएसटीआर-3बी रिटर्न भरे जा चुके है। इनके आंकड़ों के विश्लेषण के बाद पता चला है कि आठ मार्च 2018 तक 3.85 लाख व्यापारियों ने अपना जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल नहीं किया। हालांकि संतोष की बात यह है कि रिटर्न दाखिल न करने वाले व्यापारियों की संख्या में कमी आ रही है। 10 फरवरी 2018 को ऐसे व्यापारियों की संख्या 4.35 लाख थी। हालांकि अब भी बड़ी संख्या में ऐसे असेसी हैं जो अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं।
जीएसटी लागू होने के बाद सरकार के परोक्ष कर राजस्व में अपेक्षानुरूप वृद्धि नहीं हुई है। यही वजह है कि सरकार जीएसटी संग्रह बढ़ाने के लिए टैक्स की चोरी रोकने के लिए कई तरह के उपाय करने में जुटी है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए एक अप्रैल 2018 ई-वे बिल लागू किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक जीएसटी काउंसिल की बैठक में चर्चा के दौरान सबसे चौंकाने वाला यह तथ्य सामने आया है कि व्यापारियों ने फॉर्म जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3बी में अपनी कर देयता के बारे में जो खुलासा किया है उसमें बड़ा अंतर है।
काउंसिल ने इस सूचना का और विश्लेषण करने और इसके आधार पर जरूरी कार्रवाई करने का फैसला किया। रिटर्न का विश्लेषण करने पर यह तथ्य भी सामने आया है कि आयातकों द्वारा कस्टम बंदरगाहों पर किए गए आइजीएसटी और क्षतिपूर्ति सैस भुगतान और उनके द्वारा जीएसटीआर-3बी में किए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावे में बहुत अंतर है।