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शिक्षकों की कमी से आइआइटी की साख पर नहीं आएगी आंच, पुराने आइआइटी करेंगे सहयोग

पिछले कुछ वर्षों से इनमें शिक्षकों की भारी कमी से इनकी गुणवत्ता के कमतर होने की आशंका बढ़ी है। हालांकि इस चुनौती से निपटने और आइआइटी की साख पर किसी तरह की कोई आंच न आने देने को लेकर सभी आइआइटी एकजुट हो गए है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 08:06 PM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 08:06 PM (IST)
शिक्षकों की कमी से आइआइटी की साख पर नहीं आएगी आंच, पुराने आइआइटी करेंगे सहयोग
पिछले कुछ वर्षों से इनमें शिक्षकों की भारी कमी से इनकी गुणवत्ता के कमतर होने की आशंका बढ़ी है।

नई दिल्ली, अरविंद पांडेय। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) की गिनती दुनिया के शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थानों में की जाती है। भारतीय छात्रों के लिए तो इनमें पढ़ना किसी सपने के साकार होने से कम नहीं होता है। यह बात अलग है कि पिछले कुछ वर्षों से इनमें शिक्षकों की भारी कमी से इनकी गुणवत्ता के कमतर होने की आशंका बढ़ी है। हालांकि इस चुनौती से निपटने और आइआइटी की साख पर किसी तरह की कोई आंच न आने देने को लेकर सभी आइआइटी एकजुट हो गए है। बांबे, दिल्ली, मद्रास, गुवाहाटी सहित सभी पुराने और बेहतर प्रदर्शन करने वाले आइआइटी ने ऐसे सभी आइआइटी का मार्गदर्शन करने का फैसला किया है, जो प्रदर्शन में बाकी से पिछड़े हैं। इनमें ज्यादातर नए आइआइटी ही हैं।

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आइआइटी में शिक्षकों के करीब 38 प्रतिशत पद रिक्त, 2016 में 48 प्रतिशत पद थे खाली

पुराने आइआइटी नए और रैंकिंग में पिछड़े आइआइटी की उन सभी क्षेत्रों में मदद करेंगे, जहां उनका प्रदर्शन बेहतर नहीं हो पा रहा है। इनमें सबसे ज्यादा ध्यान शोध और शैक्षणिक क्षेत्र को लेकर होगा। मौजूदा समय में देश में वैसे तो कुल 23 आइआइटी हैं, इनमें बांबे, दिल्ली, मद्रास, गुवाहाटी, कानपुर, खड़गपुर और रूड़की जैसे सात पुराने और करीब छह नए आइआइटी ( बीएचयू, हैदराबाद, भुवनेश्वर, गांधीनगर, इंदौर व तिरुपति) को छोड़ दें तो बाकी के हालात ठीक नहीं हैं। इनमें से ज्यादातर में पर्याप्त शिक्षक ही नहीं हैं। साथ ही शोध से जुड़ा ढांचा भी तैयार नहीं हो पाया है। इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि एनआइआरएफ ( नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) की इंजीनियरिंग संस्थानों से जुड़ी इंडिया रैंकिंग 2021 में पुराने को छोड़ दें तो नए आइआइटी में से हैदराबाद, तिरुपति, इंदौर जैसे आइआइटी ही शीर्ष 20 संस्थानों में शामिल हैं।

शिक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों की मानें तो आइआइटी की गुणवत्ता को कायम रखने के लिए आइआइटी काउंसिल ने एक-दूसरे के सहयोग की नई पहल शुरू की है। इसमें फिलहाल आइआइटी दिल्ली ने आइआइटी जम्मू को, आइआइटी मद्रास ने आइआइटी तिरुपति और पलक्कड को, आइआइटी बांबे ने आइआइटी गोवा को, आइआइटी हैदराबाद ने आइआइटी भिलाई को मदद देने की सहमति दी है। जल्द ही बाकी आइआइटी को भी पुरानी और बेहतर प्रदर्शन कर रही आइआइटी से जोड़ा जाएगा। गौरतलब है कि मौजूदा समय में आइआइटी में शिक्षकों के करीब 38 प्रतिशत (3,709) पद खाली हैं। यह स्थिति पहले से बेहतर हुई है, लेकिन अभी भी संतोषजनक नहीं है। वर्ष 2016 में इनमें शिक्षकों के करीब 48 प्रतिशत पद खाली थे। सभी 23 आइआइटी में शिक्षकों के कुल स्वीकृत पदों की संख्या 9718 है।

आइआइटी शिक्षकों के स्वीकृत पद रिक्त पद

खड़गपुर- 1203 481

बांबे- 1091 414

मद्रास- 1000 405

रुड़की- 800 368

धनबाद- 781 477

दिल्ली- 776 113

कानपुर- 743 305

गुवाहाटी- 630 220

बीएचयू- 608 317

हैदराबाद- 284 78

भुवनेश्वर- 215 69

रोपड़- 200 38

इंदौर- 188 43

पटना- 182 65

गांधीनगर- 160 59

मंडी- 159 31

जोधपुर- 140 28

तिरुपति- 93 5

पलक्कड़- 93 12

जम्मू- 93 36

भिलाई- 93 46

धारवाड़- 93 50

गोवा- 93 49

कुल पद- 9718  3709


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