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किरण बेदी के आने से कृष्‍णा नगर सीट पर रोचक हुआ मुकाबला

भारत की पहली महिला आइपीएस अधिकारी डॉ. किरण बेदी के दिल्‍ली विधानसभा चुनाव मैदान में कूदने से कृष्णा नगर विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला रोमांचक हो गया है। यह संयोग ही है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी इस क्षेत्र से भाजपा के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी डॉ हर्षवर्धन को पार्टी

By T empEdited By: Published: Tue, 27 Jan 2015 09:31 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jan 2015 09:49 AM (IST)
किरण बेदी के आने से कृष्‍णा नगर सीट पर रोचक हुआ मुकाबला

नई दिल्ली। भारत की पहली महिला आइपीएस अधिकारी डॉ. किरण बेदी के दिल्ली विधानसभा चुनाव मैदान में कूदने से कृष्णा नगर विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला रोमांचक हो गया है। यह संयोग ही है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी इस क्षेत्र से भाजपा के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी डॉ हर्षवर्धन को पार्टी ने मैदान में उतारा था। इस बार भी यही स्थिति है। हालांकि इस बार प्रत्याशी बदला हुआ है।

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किरण बेदी के लिए बेशक यह क्षेत्र नया है और राजनीति में वह बिल्कुल नई हैं। लेकिन उनकी शख्सियत और कार्यप्रणाली से सभी अवगत हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वह लोगों के बीच जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। लगातार पांच-छह घंटे अपने विधानसभा क्षेत्र में बीता रही हैं। इससे स्थानीय लोग बेदी से सीधे रूबरू हो रहे हैं और उन्हें समझ व पहचान रहे हैं। इसी वजह से उन्हें इस विधानसभा क्षेत्र का सबसे मजबूत प्रत्याशी आंका जा रहा है।

हालांकि विरोधी इसे स्वीकारने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि इस क्षेत्र में प्रत्याशी थोपे जाने से डॉ. हर्षवर्धन के समर्थक पूरे मन से बेदी को सहयोग नहीं कर रहे हैं। यह संयोग ही है कि इस सीट से इस बार तीनों ही महत्वपूर्ण प्रत्याशी पंजाबी समुदाय से हैं। यह विधानसभा सीट शुरू से भाजपा के कब्जे में रही है। कांग्रेस ने इस सीट से पुराने नेता बंसीलाल को उतारा है। बंसीलाल से भी इलाके के सभी लोग परिचित हैं। वह इस विधानसभा क्षेत्र के गीता कालोनी वार्ड से तीसरी बार पार्षद चुने गए हैं। दो बार उन्होंने लगातार जीत दर्ज की थी, लेकिन तीसरी बार महिला सीट हो जाने के कारण उन्होंने अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन वह पत्नी को जीत नहीं दिलवा सके। यह सीट भाजपा की नीमा भगत ने जीत ली।

वर्ष 2012 में हुए निगम के चुनाव में जब कांग्रेस ने बंसीलाल को टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय खड़े हुए और कांग्रेस के प्रत्याशी की जमानत तक जब्त करवा दी थी। इससे बंसीलाल की एक वार्ड में मजबूत पकड़ है। इसके अलावा स्थानीय होने के चलते आसपास के वार्डो में उनकी पहुंच है। निगम का चुनाव जीतने के बाद बंसीलाल फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

तीसरे मजबूत प्रत्याशी आम आदमी पार्टी के एसके बग्गा है। बग्गा पुराने कांग्रेसी हैं। वह कांग्रेस से कई बार टिकट की दावेदारी पेश कर चुके हैं। कभी पार्षद की तो कभी विधायक की, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। लोकसभा चुनाव के समय उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। बाद में वह आप में शामिल हो गए। इस विधानसभा क्षेत्र में गत चुनाव में आप को 17 हजार से अधिक वोट मिले थे जबकि उस समय प्रत्याशी इस क्षेत्र के लिए नया था और स्थानीय भी नहीं था। बग्गा के नाम से इलाके के काफी लोग पहले से परिचित हैं।

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