Kota child deaths: मृतक बच्चों के परिजन बोले, डॉक्टरों ने किया कसाईयों जैसा व्यवहार
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट से मृतक बच्चों के परिजनों ने अस्पताल के भयावह हालात बयान किए।
जयपुर [ नरेन्द्र शर्मा ]। राजस्थान में कोटा के जेकेलोन अस्पताल में 35 दिन में 107 बच्चों की मौत के बाद देशभर में जहां बवाल मचा हुआ है। वहीं शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट मृतक बच्चों के परिजनों से कोटा पहुंचे तो पीड़ितों ने अस्पताल के भयावह हालात बयान किए। बिड़ला और पायलट को पीड़ित परिवारों ने बताया कि कैसे डॉक्टरों की लापरवाही के कारण उनके बच्चों की मौत हुई।
1. शादी की पहली वर्षगांठ से 3 दिन पहले ही बेटी की मौत
कोटा के अनंतपुरा इलाके में रहने वाले एक मुस्लिम परिवार से मिलने शनिवार सुबह जब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला पहुंचे तो वहां मातम छाया हुआ था । यहां 26 वर्षीय आसिम हुसैन की 15 दिन की बेटी की मौत डॉक्टरों की अनदेखी से हुई। इस परिवार ने डॉक्टरों की लापरवाही बिड़ला को सुनाई। आसिम की पत्नी रूखसार ने 15 दिसंबर को बेटी को जन्म दिया। 29 दिसंबर शाम को बच्ची को बुखार हुआ तो जेकेलोन अस्पताल ले गए। वहां बच्ची को भर्ती कर लिया गया। आॅक्सीजन देने के लिए वेंटिलेटर पर रखा गया था,लेकिन उसे संभाला नहीं गया। आसिम जब अपनी बेटी की बिगड़ती तबीयत को लेकर रोते हुए डॉक्टर के पास गया तो उसने शराब पी रखी थी। शराब के नशे में डॉक्टर ने आसिम को भगा दिया,बच्ची का इलाज नहीं किया। अगले ही दिन बच्ची की मौत हो गई। आसिम ने बताया कि 1 जनवरी को हमारी शादी की पहली वर्षगांठ थी,लेकिन उससे तीन दिन पहले ही बेटी की मौत हो गई।
2. अपने बेटे को खोने वाला पिता बोला, हम रोते थे और डॉक्टर हंसी-मजाक करते थे
उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट शनिवार सुबह जब कोटा के छतरपुर इलाके में संजय रावल के घर पहुंचे तो आसपास के लोग एकत्रित थे। संजय रावल ने बताया कि उसके बेटे तेजस की मौत डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की लापरवाही के कारण हुई। संजय रावल ने बताया कि मेरे पहले से दो बेटियां है, पत्नी पद्धा ने बेटे को जन्म दिया तो परिवार में खुशी का माहौल था। इसी बीच तेजस की 29 दिसंबर तो तबीयत बिगड़ गई। वे उसे जेकेलोन अस्पताल ले गए, पहले तो डॉक्टरों ने उसे भर्ती करने से ही इंकार कर दिया, लेकिन काफी मशक्कत के बाद उसे वार्ड में जगह दे दी गई। बच्चे को निमोनिया था, उसकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। बच्चे की बिगड़ती हालत को देखकर हम दिन-रात रोते थे, लेकिन डॉक्टर हंसी-मजाक करते रहते थे। डॉक्टरों को जब बच्चे की बिगड़ती तबीयत के बारे में बोलते तो कहते बच्चा अभी मर नहीं रहा है,तुम अपना काम करो।
3. ओमप्रकाश बोला, डॉक्टर कसाई की तरह व्यवहार करते थे
अपनी 15 दिन की बेटी को खोने वाले ओमप्रकाश ने बताया कि बच्ची को निमानिया होने पर अस्पताल में भर्ती कराया था,लेकिन डॉक्टरों ने इलाज पर ध्यान नहीं दिया। डॉक्टरों से जब बच्ची की तबीयत के बारे में बात करते तो वे कसाईयों जैसा व्यवहार करते थे। बच्ची को देखने की कहते तो नर्सिंगकर्मी धक्के मारते थे।
4. डॉक्टरों ने प्रीमैच्योर डिलिवरी करा दी
बारां की प्रेम देवी ने 28 दिसंबर को बच्ची को जन्म दिया। बच्ची कमजोर होने पर उसे कोटा के जेकेलोन अस्पताल में भर्ती कराया। दो दिन बाद बच्ची की मौत हो गई। उसने बताया कि डॉक्टरों ने साढ़े छह माह में ही प्रसव करा दिया। इसी तरह कोटा के किशन चौधरी की पत्नी का डॉक्टरों ने छह माह में ही प्रसव करा दिया। बच्ची तीन दिन ही जिंदा रही। किशन चौधरी ने बताया कि यदि डॉक्टर ध्यान देते तो ऐसा नहीं होता।