नक्सलगढ़ की बेटियां हॉकी में लहरा रहीं परचम, राज्य स्तर पर मनवा चुकी हैं लोहा
गरीब परिवार की आदिवासी लड़कियों को हॉकी के बारे में कुछ भी पता नहीं था पर फोर्स के हवलदार सूर्या उनकी चुस्ती-फुर्ती से प्रभावित हुए और फिर शुरू हुई इनकी ट्रेनिंग।
कोंडागांव, पूनमदास मानिकपुरी। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में जिस इलाके से नक्सली कभी यहां की बेटियों को जबरन अपने संगठन में गोली चलाने के लिए उठा ले जाते थे, अब वहां फोर्स की मदद से खेल प्रतिभाएं निकल रही हैं। धुर नक्सल इलाके मर्दापाल में आइटीबीपी (इंडो तिब्बत बार्डर पुलिस) का कैंप खुला है। गरीब परिवार की आदिवासी लड़कियों को हॉकी के बारे में कुछ भी पता नहीं था, पर फोर्स के हवलदार सूर्या उनकी चुस्ती-फुर्ती से प्रभावित हुए और फिर शुरू हुई इनकी ट्रेनिंग।
अब तक चार लड़कियों का चयन हॉकी के नेशनल गेम्स में हो चुका है। ये रांची में प्रशिक्षण ले रही हैं। यहां प्रशिक्षण ले रहीं 55 में से 48 लड़कियां राज्य स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं, जबकि इनमें से दस राष्ट्रीय प्रतियोगिता तक जा चुकी हैं। सूर्या का मानना है कि सुविधाएं मिलें तो ये लड़कियां अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सकती हैं।
ऐसे हुई शुरुआत: नक्सलवाद पर नकेल कसने के लिए 2016 में मर्दापाल में आइटीबीपी का कैंप खोला गया। तत्कालीन कमांडेंट सुरेंद्र सिंह खत्री ने बालिकाओं को कबड्डी और खो-खो खेलते देखा तो उनकी चुस्ती फुर्ती के कायल हो गए। उन्होंने उनको हॉकी का प्रशिक्षण देने की ठानी। इन बालिकाओं ने हॉकी का नाम भी नहीं सुना था। आइटीबीपी के हवलदार सूर्या स्मिथ इनके कोच बने। जब बालिकाओं को पहली बार जूते दिए गए तो वे लैस (फीते) भी नहीं बांध पाती थीं। लेकिन, लगातार ट्रेनिंग के बाद उनकी प्रतिभा चमकने लगी। कोच सूर्या बताते हैं कि बालिकाओं को हॉकी सिखाना चुनौतीभरा काम था। वे शरमाती थीं, लेकिन अब हालत बदल गए हैं। यहां एस्ट्रोटर्फ और अन्य सुविधाएं नहीं हैं।
राष्ट्रीय प्रतियोगिता में दिखाया दमखम : मई 2019 में इंडियन हॉकी फेडरेशन की राष्ट्रीय प्रतियोगिता राजस्थान के सीकर में आयोजित हुई थी। इसमें राज्य की टीम में मर्दापाल की सुकमति, सुलोचना, सेवंती, धनेश्वरी शामिल थीं। इन्होंने मणिपुर को 7-4 व बंगाल को 7-0 से हराया। मर्दापाल में प्रशिक्षण ले रही 55 बालिकाओं में से 48 राज्य स्तरीय व 10 राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग ले चुकी हैं। छत्तीसगढ़ में 16 छात्राओं की टीम तैयार की गई, जिसमें मर्दापाल की चार बालिकाओं को पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिला।