जानें, ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद इंदिरा गांधी ने क्या कहा था
3 जून 1984 वो साल था जब भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर को आतंकियों से मुक्त कराने के लिए एक बड़े ऑपरेशन को चलाया था। लेकिन उसका असर ये हुआ कि देश की एक कद्दावर नेता को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
नई दिल्ली। आज से ठीक 33 साल पहले वर्ष 1984 में दो घटनाओं की टीस आज भी लोगों के जेहन में है। उस साल जून और अक्टूबर के महीने में ऐसी घटनाएं हुईं जिससे देश स्तब्ध था। पंजाब में आतंकवाद अपने पांव पसार रहा था और उसकी अगुवाई करने का आरोप भिंडरावाले पर लगा। तत्कालीन कांग्रेस ने एक ऐसा फैसला किया जिसका भयावह अंत 31 अक्टूबर 1984 को हुआ। एक तरफ 3 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लूस्टार में भिंडरावाला मारा गया और ठीक उसके पांच महीने बाद अक्टूबर 1984 में ही इंदिरा गांधी अपने ही सुरक्षा दस्ते की ही शिकार हो गयीं।
6 जून को समाप्त हुआ ऑपरेशन ब्लूस्टार
तीन दिन तक चली कार्रवाई में स्वर्ण मंदिर में 492 लोगों की जान चली गयी थी। इसके अलावा सेना के चार अधिकारियों समेत 83 जवान शहीद हो गए थे। ऑपरेशन ब्लूस्टार की समाप्ति के बाद तत्कालीन रक्षा राज्यमंत्री के पी सिंह देव चाहते थे कि ये जानकारी पीएम इंदिरा गांधी तक पहुंचायी जाए। इंदिरा गांधी को जब उनके सचिव आर के धवन ने जानकारी दी तो उनका पहली प्रतिक्रिया ये थी कि, हे भगवान ये क्या हुआ उन लोगों ने बताया था कि इतनी मौतें नहीं होंगी। दरअसल ऑपरेशन ब्लूस्टार से पहले तत्कालीन सेना अध्यक्ष अरुण कुमार वैद्य ने बताया कि ऑपरेशन को शांतिपूर्ण ढंग से अंजाम दिया जाएगा।
देश के इतिहास के सबसे भयावह मिलिट्री ऑपरेशन्स में से एक ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी पर अमृतसर में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। इतने वर्षों बाद भी उस ऑपरेशन को लेकर अलग-अलग लोगों की अलग राय है। सिख धर्मावलंबियों के लिए यह उनकी आस्था पर हमला था। वहीं संविधान को मानने वालों के अनुसार यह ऑपरेशन स्वर्ण मंदिर को आतंकियों से मुक्त कराने की कोशिश थी।
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अलग खालिस्तान की मांग से बढ़ा चरमपंथ
70 के दशक की शुरुआत के साथ ही पंजाब में खालिस्तान नाम से अलग राज्य की मांग और चरमपंथ बढ़ गया था। अकाली अलग राज्य की मांग कर रहे थे और कहा जाता है कि उन्हें रोकने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार तथा कांग्रेस पार्टी एक ऐसा धड़ा तैयार करना चाहती थी जो अकालियों की राजनीति खत्म कर सके। इसलिए भिंडरावाला को शह दी गई। तारीख को कुछ और ही मंजूर था और 1981 में अलग खलिस्तान का झंडा फहाराया गया।
क्यों हुआ ऑपरेशन ब्लूस्टार?
1983 में पंजाब पुलिस के डीआईजी एएस अटवाल ही हत्या से माहौल गर्मा गया। उसी साल जालंधर के पास बंदूकधारियों ने पंजाब रोडवेज की बस में चुन-चुनकर हिंदुओं की हत्या कर दी। इसके बाद विमान हाईजैक हुए। स्थिति काबू से बाहर हो गई और केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया।
अब तक स्वर्ण मंदिर को अपना ठिकाना बना चुका भिंडरावाला सरकार के निशाने पर आ चुका था और स्वर्ण मंदिर को चरमपंथियों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए ऑपरेशन ब्लूस्टार प्लान किया गया।
तस्वीरों में देखें आखिर क्या था ऑपरेशन ब्लूस्टार
3 जून की रात
केंद्र सरकार ने भारतीय थल सेना को स्वर्ण मंदिर को स्वतंत्र कराने का जिम्मा सौंपा। जनरल बरार को ऑपरेशन ब्लूस्टार की कमान सौंपी। 3 जून को सेना ने अमृतसर में प्रवेश किया। चार जून की सुबह गोलीबारी शुरू हो गई।
सेना को चरमपंथियों की ताकत का अहसास हुआ तो अगले ही दिन टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों का उपयोग किया गया। 6 जून की शाम तक स्वर्ण मंदिर में मौजूद भिंडरावाला व अन्य चरमपंथियों को मार गिराया गया। लेकिन तब तक मंदिर और जानमाल का काफी नुकसान हो चुका था।
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फैला आक्रोश
ऑपरेशन के बाद सरकार ने श्वेत पत्र जारी कर बताया कि ऑपरेशन में भारतीय सेना के 83 सैनिक मारे गए और 248 अन्य सैनिक घायल हुए। इसके अलावा 492 अन्य लोगों की मौत की पुष्टि हुई और 1,592 लोगों को हिरासत में लिया गया। 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई और दंगे भड़क गए।
कौन था भिंडरावाला ?
बंटवारे के दौरान पंजाब में कट्टरपंथी विचारधारा जन्म लेने लगी। इस दौरान भिंडरावाला जब आकली अलग सिख राज्य की मांग कर रहे थे तब दमदमी टकसाल में एक लड़का सिख धर्म की पढ़ाई करने आया। इसका नाम था जरनैल सिंह भिंडरावाला। उसकी धर्म के प्रति कट्टर आस्था ने उसे सबका प्रिय बना दिया और जब टकसाल के गुरु का निधन हुआ तो भिंडरावाला को टकसाल प्रमुख का दर्जा मिल गया। इसके बाद भिंडरावाला का प्रभाव बढ़ने लगा और देश विदेश में उसे समर्थन मिला।
क्या हुआ खालिस्तान का ?
1990 के दशक में खालिस्तान की मांग कमजोर पड़ती गई। हालांकि ऑपरेशन ब्लू स्टार की तारीख पर आज भी हर साल पंजाब में विरोध प्रदर्शन होता है। ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका में रह रहे सिख समुदायों में अभी भी अलग खलिस्तान को लेकर मांग उठती रही है। समझा जाता है कि भारत से बाहर दो से तीन करोड़ सिख रहे हैं। उनमें से ज्यादातर का भारतीय पंजाब में कोई न कोई जुड़ाव है।
अभी भी जारी है आंदोलन
विदेशों में रहने वाले सिख अभी भी अपने आंदोलन के लिए सहयोग हासिल करने की कोशिश करते हैं। वे इसके लिए अलग से पैसे भी इकट्ठा करते हैं। ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर उनकी याद इतनी जबरदस्त है कि इसकी अगुवाई करने वाले कमांडर कुलदीप सिंह ब्रार पर लंदन की सड़कों पर 2012 में हमला किया गया। हालांकि इसमें कमांडर ब्रार बच गए।