जानें- UNGA के 75वें सत्र में कब बोलेंगे इमरान खान और कब देंगे पीएम मोदी उनको करारा जवाब
संयुक्त राष्ट्र की आम महासभा के 75 वें सत्र को पीएम मोदी 26 सितंबर को संबोधित करेंगे जबकि पाकिस्तान के पीएम इमरान खान 25 सितंबर को बोलेंगे।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। संयुक्त राष्ट्र आम महासभा के 75वें सत्र की शुरुआत 22 सितंबर से होने वाली है। ये सत्र 29 सितंबर तक चलेगा, जिसमें दुनिया के सभी राष्ट्राध्यक्ष या उनके चुने गए व्यक्ति इस वैश्विक मंच से विभिनन मुद्दों पर अपने विचार प्रकट करेंगे। संयुक्त राष्ट्र के इतिहास का ये पहला अवसर है जब यूएन के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस सत्र को वर्चुअल रूप से संबोधित करने वाले हैं। इसलिए भी इसकी अहमियत काफी बढ़ गई है। हर बार की तरह ही इस बार भी दुनिया के ज्यादातर देशों की निगाहें भारत और पाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्षों द्वारा दिए जाने वाले भाषण पर होंगी। इस वर्चुअल सेशन के दौरान दोनों ही देशों के सदस्य अपने-अपने समय पर यूएन महासभा में उपस्थित होंगे।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महासभा को 26 सितंबर को संबोधित करेंगे। वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस सत्र को 25 सितंबर को संबोधित करेंगे। इस नाते भारत के पास पाकिस्तान के उठाए हर सवाल और हर आरोप का जवाब देने का भी मौका होगा। जहां तक इसमें पीएम मोदी के संबोधन की बात है पूर्व राजनयिक एचके दुआ मानते हैं कि इसमें वो जाहिरतौर पर वो दुनिया में फैली कोविड-19 महामारी को लेकर किए गए विश्व और भारत के प्रयासों को दुनिया से साझा करेंगे।
इसके अलावा उनके संबोधन में भारतीय सीमा पर फैले अशांत माहौल का भी जिक्र हो सकता है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि पीएम मोदी कई बार वैश्विक मंच पर दिए गए अपने संबोधन में वासुदेव कुटुंबकम की बात दोहराते रहे हैं। आपको बता दें कि भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा के लगभग हर सत्र में आतंकवाद को बढ़ावा और पनपाने वाले देशों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील करता रहा है। इसके अलावा हर बार ही भारत इस वैश्विक मंच से उन देशों का भी जिक्र करता आया है जो इसके लिए सीधेतौर पर जिम्मेदार हैं।
इसके अलावा भारत हर बार की तरह इस बार भी संयुक्त राष्ट्र में सुधार का मुद्दा उठा सकता है। आपको बता दें कि भारत ने कई बार पहले भी इस मंच से इस वैश्विक संस्था में सुधारों को लेकर आवाज बुलंद की है। भारत का कहना है बिना बदलाव या सुधार किए बिना संयुक्त राष्ट्र अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकता है। अप्रैल 2018 में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों पर जोर देते हुए कहा था कि विश्व निकाय की शक्तिशाली संस्था मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों का जवाब देने में असमर्थ होती जा रही है या कई बार वह जवाब देना नहीं चाहती हैं। सुषमा ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि सुरक्षा परिषद में सुधार करके ही संयुक्त राष्ट्र में सुधार किया जा सकता है। इसके बिना कोई भी सुधार अधूरा होगा। उन्होंने ये बातें शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में कहीं थी।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि भारत समेत ब्राजील, जर्मनी और जापान यूएनएससी के स्थायी और अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग काफी समय से करते आ रहे है। भारत का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सदस्यों की संख्या बढ़ाकर यूएन में बदलती वैश्विक व्यवस्था की झलक दिखाई दनी चाहिए। सुधार का ये मुद्दा 2008 से लगातार उठाया जा रहा है। इस बार भी पीएम मोदी के संबोधन में ये बातें स्पष्ट रूप से दिखाई दे सकती हैं। संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की बात इसलिए भी बेहद खास हो जाती है क्योंकि यूएन महासभा की 75वीं आम बैठक के अध्यक्ष वोल्कान बोजकिर भी इनका समर्थन करते हैं।
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