जानिए क्या होती है पीवीसी या स्टाइरीन गैस, विशाखापट्टनम में जिसके शिकार हुए 800 लोग
विशाखापट्टनम में गुरूवार की तड़के एक फार्मा कंपनी में गैस लीकेज हो गई। गैस रिसाव की घटना एक प्लास्ट्रिक फैक्ट्री में हुई। इस फैक्ट्री को लॉकडाउन के दौरान बंद कर दिया गया था।
नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गुरूवार की तड़के एलजी पॉलिमर्स कंपनी में गैस लीकेज हो गई। गैस रिसाव की घटना एक प्लास्ट्रिक फैक्ट्री में हुई। इस फैक्ट्री को लॉकडाउन के दौरान बंद कर दिया गया था, अब इसे फिर से खोलने की तैयारी की जा रही थी, इसी दौरान गैस लीक हो गई, इससे 8 लोगों की मौत हो गई। फैक्ट्री में गैस लीक होने के बाद पूरे शहर में माहौल खराब है।
स्थानीय प्रशासन और नेवी ने फैक्ट्री के आसपास तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांव और अन्य इलाकों को खाली करा लिया है। पांच गांव खाली करा लिए गए, सैकड़ों लोग सिर दर्द, उल्टी और सांस लेने में तकलीफ के साथ अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं। इसके बाद तमाम तरह के सवाल उठाए जाने लगे। आखिर पीवीसी या स्टाइरीन गैस होती क्या है? जिसकी वजह से अब तक 8 लोगों की मौत हो गई। या ये गैस किस तरह से लोगों के लिए कितनी खतरनाक हो सकती है? इसका क्या इस्तेमाल किया जाता है? हम आपको बता रहे हैं कि पीवीसी या स्टाइरीन गैस किस तरह से खतरनाक होती है।
कंपनी का इतिहास
यहां पर एलजी पॉलिमर्स इंडस्ट्री की स्थापना 1961 में हिंदुस्तान पॉलिमर्स के नाम से की गई थी। कंपनी पॉलिस्टाइरेने और इसके को-पॉलिमर्स का निर्माण करती है। 1978 में यूबी ग्रुप के मैकडॉवल एंड कंपनी लिमिटेड में हिंदुस्तान पॉलिमर्स का विलय कर लिया गया था और फिर यह एलजी पॉलिमर्स इंडस्ट्री हो गई। इसी कंपनी से गैस लीकेज हुई।
क्या होती है पीवीसी गैस
पीवीसी को 1926 में वाल्डो सेमॉन नाम के वैज्ञानिक ने पीवीसी को प्लास्टिक रूप में लाए थे। आज के दौर में पीवीसी दुनिया का तीसरा सबसे भरोसेमंद प्लास्टिक उत्पाद है। इससे पहले पॉलीइथालीन और पॉलीप्रोपाइलीन का उपयोग होता है। पीवीसी यानी पॉलीविनाइल क्लोराइड (Polyvinyl Chloride) का उपयोग बिल्डिंग मैटेरियल बनाने में होता है, जैसे पीवीसी पाइप, खिड़कियों के फ्रेम, दरवाजे, ज्वाइंट्स, टंकी आदि क्योंकि ये सस्ता, लंबा चलने वाला और मजबूत होता है।
क्या होता है पीवीसी गैस का नुकसान
पीवीसी गैस की वजह से आम लोगों की आंखों में तेज जलन, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, बेहोश हो जाना जैसी चीजें हो जाती है। एक बात ये भी देखने में आती है कि जो लोग पीवीसी वाली फैक्ट्रियों में काम करते हैं वो अक्सर शिकायत करते हैं कि उनके सिर में दर्द हो रहा है, उनको चक्कर आ रहे हैं। ये शिकायतें आम होती है। ये गैस पुरूष और महिलाओं दोनों में अन्य कई तरह की समस्याएं भी पैदा करती है। ये कहा जा रहा है कि फैक्ट्री से यही गैस लीक हुई जिसकी वजह से तीन किलोमीटर के दायरे में आने वालों को समस्या हुई। जो फैक्ट्री के पास में थे उनकी मौत हो गई। इसके अलावा महिलाओं और बच्चों को समस्या हुई है।
क्या होता है स्टाइरीन
स्टाइरीन सिर्फ एक गैस नहीं है। यह सॉलिड या लिक्विड रूप में किसी भी चीज में मिल सकती है। ये फलों, सब्जियों, मूंगफलियों, मांस आदि में भी मिल जाती है। लेकिन इनका स्तर बेहद कम होता है। यदि कोई इसके संपर्क में है तो फिर ये गैस किसी भी व्यक्ति के शरीर में नाक, मुंह या छूने से जा सकती है। दरअसल स्टाइरीन (Styrene) एक रंगहीन तरल पदार्थ होता है जो हवा के संपर्क में आते ही गैस बनकर हवा के साथ फैलने लगता है। अगर स्टाइरीन अपने पूर्ण असली रूप में है तो ये आपको इसकी एक मीठी सी गंध आएगी लेकिन कई कंपनियां इसमें एल्डीहाइड्स चीजें मिलाती हैं, जिससे इसमें बदबू आने लगती है। अलग-अलग कंपनियों में इनका जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल होता है। फिलहाल इन दोनों गैसों के लीक होने की बात कही जा रही है जिसका असर देखने को मिला और 8 लोगों की मौत हो गई। 200 से अधिक लोग इससे प्रभावित भी हुए हैं।
कहां होता है इस्तेमाल
स्टाइरीन का सबसे ज्यादा उपयोग पैकेजिंग मैटेरियल, इलेक्ट्रिकल इंसुलेशन, घरों में इंसुलेशन, फाइबर ग्लास, प्लास्टिक पाइप्स, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, चाय के कप, कालीन आदि बनाने में उपयोग होता है। ये गैस हवा, पानी या मिट्टी कहीं से भी आपके शरीर में आ सकता है। स्टाइरीन गैस प्लास्टिक उत्पाद बनाने वाली कंपनियों से निकलने वाले धुएं में रहती है। इसके अलावा इसको गाड़ियों से निकलने वाले धुएं, सिगरेट के धुएं या फिर फोटोकॉपी मशीन से भी निकलता हुआ पाया जाता है। जिन-जिन शहरों में वाहनों की संख्या अधिक है वहां लोग इस गैस से अप्रत्यक्ष रूप से परेशान ही रहते हैं।
समस्या
यदि कोई भी व्यक्ति स्टाइरीन गैस सूंघता हैं तो उसे आंखों से देखने में दिक्कत आ सकती है। इसके अलावा उसे रंग पहचानने में समस्या होगी, बहुत अधिक थकान महसूस होगी, हमेशा नशे जैसा महसूस होगा, ध्यान लगाकर काम नहीं कर पाएगा, सुनाई पड़ने की भी समस्या हो सकती है। ये गैस व्यक्ति के लिवर पर भी काफी प्रभाव डालती है।
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