Triple Talaq Bill: वो मुस्लिम महिलाएं, जिन्होंने तीन तलाक को खत्म करवाने के लिए लड़ी जंग
Triple Talaq Bill मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 को अंजाम तक पहुंचाने में कई महिलाओं का संघर्ष शामिल रहा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Triple Talaq Bill: मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 जिसे तीन तलाक बिल कहा जाता है लोकसभा के राज्यसभा में भी पास हो गया। यह बिल अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उसके बाद यह तीन तलाक खत्म हो जाएगा।
इस ऐतिहासिक बिल को अंजाम तक पहुंचाने में कई महिलाओं का संघर्ष शामिल रहा है। इनमें सबसे अहम नाम है उत्तराखंड की सायरा बानो का जो इस मामले को सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट लेकर गई। उनके अलावा आफरीन रहमान, गुलशन परवीन, इशरत जहां और अतिया साबरी उन महिलाओं में है जिन्होंने तीन तलाक के खिलाफ आवाज बुलंद की। इनमें से किसी को फोन पर तलाक मिला था, किसी को स्पीड पोस्ट से, किसी को स्टांप पेपर पर तो किसी को कागज के एक टुकड़े पर।
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सायरा बानो
उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली सायरा बानो ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर तीन तलाक और निकाह हलाला के चलन की संवैधानिकता को चुनौती दी थी। साथ ही, उनकी याचिका में मुस्लिमों में प्रचलित बहुविवाह प्रथा को भी गलत बताते हुए उसे खत्म करनी की मांग की गई थी। अर्जी में सायरा ने कहा था कि तीन तलाक संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
सायरा बानो ने बताया कि 10 अक्टूबर 2015 को पति ने मुझे तलाक दे दिया। तलाक के बाद मैं अपने अभिभावकों के साथ रह रही हूं। मेरा एक बेटा और एक बेटी है। दोनों स्कूल जाते हैं। उनका खर्चा मैं कैसे उठाऊं। मुझे लगता है कि मेरे मूल अधिकार का हनन हुआ है। अभिभावकों की मदद से मैं दिल्ली आई और एडवोकेट बालाजी श्रीनिवासन से मिलकर कोर्ट में याचिका दायर की। मुझे किसी भी दूसरी महिला की तरह अपना हक चाहिए।'
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अतिया साबरी
यूपी के सहारनपुर की आतिया साबरी के पति ने कागज पर तीन तलाक लिखकर आतिया से रिश्ता तोड़ लिया था। उनकी शादी 2012 में हुई थी। उनकी दो बेटियां भी हैं। अतिया ने आरोप लगाया कि दो बेटियां होने से नाराज उनके शौहर और ससुर उन्हें घर से निकालना चाहते थे। उन्हें दहेज के लिए भी परेशान किया जाता था।
गुलशन परवीन
यूपी के ही रामपुर में रहने वाली गुलशन परवीन को उनके पति ने 10 रुपये के स्टांप पेपर पर तलाकनामा भेज दिया था। गुलशन की 2013 में शादी हुई थी और उनका दो साल का बेटा भी है।
आफरीन रहमान
जयपुर की 25 वर्षीय आफरीन रहमान ने भी तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने बताया था कि इंदौर में रहने वाले उनके पति ने स्पीड पोस्ट के जरिए तलाक दिया है, जो सही नहीं है। आफरीन ने कोर्ट से न्याय की मांग की थी। आफरीन का आरोप था कि उनके पति समेत ससुराल पक्ष के दूसरे लोगों ने मिलकर दहेज की मांग को लेकर उनके साथ काफी मारपीट की और फिर उन्हें घर से निकाल दिया।
इशरत जहां
तीन तलाक को संवैधानिकता को चुनौती देने वालों में पश्चिम बंगाल के हावड़ा की इशरत जहां भी शामिल थीं। इशरत ने अपनी याचिका में कहा था कि उसके पति ने दुबई से उन्हें फोन पर तलाक दे दिया। इशरत ने कोर्ट को बताया था कि उसका निकाह 2001 में हुआ था और उसके बच्चे भी हैं, जिन्हें पति ने जबरन अपने पास रख लिया है।
याचिका में बच्चों को वापस दिलाने और उसे पुलिस सुरक्षा दिलाने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि ट्रिपल तलाक गैरकानूनी है और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन है। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गईं।
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