जानिए, निर्भया मामले से पहले भारत में फांसी के ये हैं चर्चित मामले
भारत में फांसी के मामले बहुत ज्यादा नहीं हैं। इसका कारण है कि देश में फांसी की सजा बेहद दुर्लभ मामलों में ही फांसी दी जाती है।
नई दिल्ली, जारण स्पेशल। निर्भया मामले में दोषियों को फांसी देने के लिए डेथ वारंट जारी कर दिया गया है। चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जाएगी। भारत में फांसी के मामले बहुत ज्यादा नहीं हैं। इसका कारण है कि देश में फांसी की सजा बेहद दुर्लभ मामलों में ही फांसी दी जाती है। बावजूद इसके कुछ जघन्य अपराध ऐसे हैं, जिन्होंने देश को झकझोर दिया था। इन्हीं में से एक मामला निर्भया का है। फांसी के ऐसे कई मामले हैं जिनकी बरसों बाद आज तक चर्चा की जाती है। इन्हीं में कुछ चुनिंदा मामलों से हम आपको अवगत करा रहे हैं।
याकूब मेमन
पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट याकूब मेमन को 12 मार्च 1993 के मुंबई सीरियल बम धमाकों में दोषी पाया गया था। उसे 30 जुलाई 2015 को फांसी पर चढ़ा दिया गया। याकूब मेमन की फांसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रात के तीन बजे सुनवाई हुई थी। हालांकि इसके बाद कोर्ट ने फांसी की सजा को बरकरार रखा। मुंबई सीरियल धमाकों में 257 लोग मारे गए थे और करीब सात सौ लोग घायल हुए थे। यह धमाके शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में हुए थे।
अफजल गुरु
अफजल गुरु को दिल्ली की तिहाड़ जेल में 9 फरवरी 2013 को फांसी दी गई। भारत की संसद पर हमले में अफजल गुरु की भूमिका थी। उसने स्वीकार किया था कि वह तीन महीने की हथियारों की ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान गया था। इसे लेकर फांसी की सजा सुनाई गई। वह सोपोर का रहने वाला था। संसद पर 13 दिसंबर 2001 को पांच आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले में आतंकियों सहित 14 लोग मारे गए थे और 16 घायल हुए थे। लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद की भूमिका सामने आई थी। अफजल गुरु का शव तिहाड़ में दफन किया गया।
अजमल कसाब
लश्कर ए तैयबा के आतंकी आमिर अजमल कसाब को 21 नवंबर 2012 में मुंबई की यरवडा जेल में फांसी दी गई। 26 नवंबर 2008 में कसाब और उसके 10 साथियों ने मुंबई के पांच प्रमुख स्थानों पर हमला किया था। इस हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी और करीब 300 लोग घायल हुए थे। हमलावरों में से कसाब को जिंदा पकड़ा गया था। वह पाकिस्तानी का रहने वाला था।
मकबूल बट
कश्मीरी अलगाववादी नेता मकबूल बट को हत्या के मामले में 11 फरवरी 1984 को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। आतंकी संगठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट का संस्थापक था। फांसी की सजा के पाने के बाद कई संगठनों ने उन्हें छुड़वाने के लिए कोशिशें की। यहां तक की एक विमान अपहरण की भी साजिश रची लेकिन वह मकबूल को छुड़ाने में नाकाम रही। मकबूल बट का शव तिहाड़ जेल में ही दफन है।
धनंजय चटर्जी
धनंजय चटर्जी को कोलकाता की अलीपोर सेंट्रल जेल में 14 अगस्त 2004 को फांसी दी गई थी। कोर्ट ने धनंजय को दक्षिणी कोलकाता के एक अपार्टमेंट में 5 मार्च 1990 को किशोरी से दुष्कर्म और हत्या का दोषी माना। धनंजय उस अपार्टमेंट में सुरक्षा गार्ड था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे जघन्य अपराध माना। धनंजय ने दया याचिका भी दी लेकिन इसे खारिज कर दिया गया।