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जवानों के साथ चीन के छक्‍के छुड़ाने सीमा पर प्रहरी बना टी-90 टैंक, जानें इसकी खासियत

सीमा पर चीन की तैयारियों और तनाव के मद्देनजर भारत भी पूरी तरह से सजग है। भारत ने उसके टी-95 टैंकों के जवाब में अपने टी-90 टैंक को वहां पर तैनात किया है। जब पाकिस्‍तान ने यूक्रेन के T-84 टैंक प्राप्‍त किए तो भारत को भी टैंक की जरूरत हुई।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 12:40 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 06:06 PM (IST)
जवानों के साथ चीन के छक्‍के छुड़ाने सीमा पर प्रहरी बना टी-90 टैंक, जानें इसकी खासियत
जबरदस्‍त ताकत रखने वाला भारत का टैंक भीष्‍म

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। चीन लगातार भारतीय सीमा पर तनाव बनाए हुए है। इसके अलावा वो लगातार भारत से लगती सीमा पर अपनी सेना और वायुसेना का जमावड़ा कर रहा है। चीन से खतरे के मद्देनजर भारत भी सीमा पर पूरी तरह से चौकस है और चीन को किसी भी दुस्‍साहस का करारा जवाब देने के लिए तैयार है। चीन से तनाव के मद्देनजर भारत ने सीमा के नजदीक अपने सबसे उन्‍नत टैंक टी-90 को तैनात किया है। ये टैंक दुनिया के सबसे अचूक निशाना लगाने वाले टैंकों में शुमार किया जाता है। इसको भारत में भीष्‍म का नाम दिया गया है। भारत ने चीन से लगती सीमा पर टी-95 टैंकों की तैनाती के जवाब में इसको तैनात किया है। टी-90 टैंक रूस में तैयार किया गया है और इसको भारत का Main Battle Tank भी कहा जाता है।

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ऊंचाई वाले क्षेत्र में तैनात 

वर्ष 1962 के बाद ये पहला अवसर है जब लद्दाख में टैंक वायुसेना की मदद से पहुंचाकर तैनात किया गया है। 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना ने 30 लांसर के छह एएमएक्स हल्के टैंक इस इलाके और चुशूल में ही तैनात किए थे। इसके बाद 1990 के दशक में आइएल-76 विमान के जरिए टी-72 टैंक और बीएमपी-1/2 मैकेनाइज्ड इनफेंटरी कॉम्‍बैट व्हिकल पहुंचाए गए थे। आपको बता दें कि बीते कुछ वर्षों में भारत ने ऊंचाई के क्षेत्रों में जितने युद्धाभ्‍यास किए हैं उनमें से कई में इस टैंक ने बढ़चढ़कर हिस्‍सा लिया है। 

टी-72बी टैंक का उन्‍नत रूप

T-90 तीसरी पीढ़ी का रूस में निर्मित टैंक हे जो वहां 1993 से सेवा में है। टी-72बी टैंक का ये एक उन्‍नत रूप है। इसके अलावा इसकी कई खूबियों को T-80U टैंक में भी शामिल किया गया है। पहले इसको T-72BU के नाम से जाना जाता था लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर टी-90 कर दिया गया। इसमें लगा V-84MS मल्‍टी फ्यूल इंजन इसको 830 हॉर्स पावर की जबरदस्‍त ताकत देता है। 1993 से रूस के निजनी तागिल में Uralvagonzavod फैक्‍टरी इसका निर्माण करती रही है। हालांकि 1990 में इसकी प्रोडेक्‍शन को बंद कर दिया गया था लेकिन 2005 में इसके अपग्रेड वर्जन के साथ प्रोडेक्‍शन को दोबारा शुरू कर दिया गया।

2001 में हुआ था सौदा 

जब पाकिस्‍तान ने यूक्रेन के T-84 टैंक प्राप्‍त किए तो भारत को भी इसके जवाब में टैंक खरीदने की जरूरत महसूस हुई थी। इसके बाद भारत ने टी-90 टैंकों का सौदा रूस से किया। वर्तमान में भारत तमिलनाडु के अवाडी की हैवी व्‍हीकल्‍स फैक्‍टरी में टी-90 टैंकों को तैयार किया जाता है। भारत को 2005 में इन टैंकों की डिलीवरी शुरू हुई थी। मौजूदा समय में भीष्‍म के अंदर लगने वाले कई सारे पार्ट्स स्‍वदेशी हैं। 2007 में भारत ने 124 टैंकों का और ऑर्डर रूस की कंपनी को दिया था। टी-90एस को भीष्‍म नाम दिया गया है। इसको और अधिक उन्‍नत बनाने के लिए रूस और फ्रांस का सहयोग लिया गया है।

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