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World Environment Day: जैव विविधता अपनाकर बचाया जा सकता है पर्यावरण, ये हैं उदाहरण

World Environment Day पर कमलजीत सिंह एक उदाहरण हैं जो बायो डाइवर्सिटी को भी बखूबी जानते हैं। वे पर्यावरण को बचाने में अपना सहयोग दे रहे हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 06:48 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 06:48 PM (IST)
World Environment Day: जैव विविधता अपनाकर बचाया जा सकता है पर्यावरण, ये हैं उदाहरण
World Environment Day: जैव विविधता अपनाकर बचाया जा सकता है पर्यावरण, ये हैं उदाहरण

वंदना वालिया बाली। कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान विश्वभर से प्राकृतिक सौंदर्य बढऩे और जीव-जंतुओं के स्वच्छंद घूमने या मानो उत्सव मनाने की तस्वीरें हमने देखी हैं। इन सभी ने हमें याद दिलाया है कि पृथ्वी केवल मनुष्य के लिए नहीं सभी जीवों की सांझी है। मनुष्य की दखलअंदाजी ने पर्यावरण को बहुत नुक्सान पहुंचाया है। इसी के संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 5 जून को हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, जिसका इस साल का थीम 'बायो डाइवर्सिटी यानी 'जैव विविधता है। प्रकृति में एक संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक जैव विविधता आवश्यक है क्योंकि हर प्राणी (जीव-जंतु हो या पेड़-पौधे) का इस पृथ्वी पर जन्म लेने का कुछ न कुछ मकसद है।

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क्यों जरूरी है जैव विविधता?

इस बात को हम समझ सकते हैं कमलजीत सिंह हेयर के खेत के फार्म के उदाहरण से। पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब के पास है गांव सोहनगढ़ रत्तेवाला निवासी कमलजीत सिंह हेयर बीस एकड़ जमीन पर जरूरत का हर सामान उगाया है। यहां 120 किस्मों के पेड़ों में 50 प्रतिशत फलदार हैं जो लकड़ी के लिए काम आते हैं। ये 60 तरह की फसलें, 50 से ज्यादा तरह की हर्बस भी वह यहां उगाते हैं। साथ ही उन्होंने 50 से ज्यादा जीव जंतु पाल रखे हैं, जिनमें गाय, भैंस, बकरी, खरगोश, बतख आदि शामिल हैं।

उनका कहना है कि उनके फार्म में पूरा भोजन चक्र आसानी से चलता है यानी पौधे और उनसे निकलने वाला वेस्ट पशुओं का चारा बनता है तो पशुओं के मल-मूत्र से पौधों के लिए खाद तैयार होती है। यही प्रकृति का नियम भी है और इसी लिए हर जीव की अहमियत भी है। वह एक उदाहरण देते हैं कि देशी आक के पेड़ पर सफेद फूलों पर कुछ वर्ष पहले तक काले भंवरे दिखाई देते थे, जो इनके परागण में सहायक होते थे। लेकिन मनुष्य की दखलअंदाजी यानी कई तरह के कीटनाशकों आदि के इस्तेमाल से वो भंवरे अब दिखाई नहीं देते और यही कारण है कि वह विशेष सफेद फूलों वाले आक के पेड़ों की संख्या भी बहुत कम हो गई है।

क्या है जैव विविधता?

कमलजीत सिंह हेयर के अनुसार उनके गुरु ओम प्रकाश रुपेला कहा करते थे कि खेती के लिए जैव विविधता जरूरी है और इसके पांच स्तंभ हैं- फसलें, पेड़, पशु धन, सूक्ष्म जीव तथा पक्षी। ये सभी खेती में अपना योगदान देते हैं और प्रकृति के अहम भाग हैं। जितनी विविधता हो उतनी ही जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। यानी भोजन चक्र (फूड चेन) के सभी बिंदुओं को कवर करना अनिवार्य है।

आप कैसे करें योगदान?

नेचुरल बायोडायवर्सिटी ग्रुप के संस्थापक डा. अरुण बंसल के अनुसार हर व्यक्ति छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख कर बायोडायवर्सिटी के जरिए पर्यावरण संरक्षक बन सकता है। इन में शामिल हैैं...

  • तरह-तरह के पौधे उगाएं। चाहे वे फल-सब्जियों के हों, या फूलों के। फल-सब्जी के पौधों से फायदा तो होगा ही लेकिन फूलों वाले पौधों की अहमियत भी कम नहीं क्योंकि इन पर अधिक तितलियां व कीट-पतंगे आकर्षित होंगें और परागण में सहायता करेंगे।
  • कोई भी ऐसा काम जो कार्बन डाइआक्‍साइड के उत्सर्जन को कम करता है, वो अंतत: बायोडायवर्सिटी में सहायक होता है और पर्यावरण संरक्षण में मददगार साबित होता है। कार्बन फुटप्रिंट्स से बढऩे वाला प्रदूषण चाहे वो पानी का हो, वायु का या मिïट्टी का, किसी न किसी तरह जीव-जंतुओं की जान का दुश्मन होता है। इसलिए इसे कम करने के लिए हमें उपाय करने जरूरी हैं। फिर चाहे वो वाहनों का कम चलना हो, एसी व बिजली के उपकरणों व अन्य मशीनों का कम प्रयोग हो।

  • कचरे का सही प्रबंधन भी इसमें सहायक है क्योंकि हम घर में कम से कम कचरा पैदा करेंगे तो उसे जलाए जाने या नष्ट किए जाने के लिए प्रयोग होने वाली ऊर्जा को बचाया जा सकेगा।
  • हम चीजों को री-साइकिल, री-यूज, रिड्यूस कर के भी पर्यावरण को अच्छा बना सकते हैं। इसके लिए पुराने जमाने में चलने वाला वस्तुएं के आदान-प्रदान का सिलसिला यानी बार्टर सिस्टम काफी कारगर था। यदि कोई वस्तु आपको नहीं चाहिए और उसी की किसी अन्य को जरूरत है तो उसे कचरे में फैंकने की बजाए उसे दे दिया जाना चाहिए। इससे धन और संसाधनों की बचत संभव है। एक ओर इस प्रकार कचरा कम होगा तो दूसरी ओर उसी वस्तु के निर्माण में खर्च होने वाली हर चीज की बचत होगी और पर्यावरण को राहत मिलेगी। ये सभी बातें भी किसी न किसी रूप में बायोडायवर्सिटी में सहायक सिद्ध होती हैं।

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