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जानें भारत की इस सूर्य किरण एयरोबेटिक टीम के बारे में, जिसके विमान हुए हादसे का शिकार

बंगलूरू में एयरशो की शुरुआत से पहले ही सूर्य किरण एयरोबेटिक टीम के दो विमान क्रैश हो गए। इस टीम का अपना लंबा इतिहास रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 03:37 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 03:37 PM (IST)
जानें भारत की इस सूर्य किरण एयरोबेटिक टीम के बारे में, जिसके विमान हुए हादसे का शिकार
जानें भारत की इस सूर्य किरण एयरोबेटिक टीम के बारे में, जिसके विमान हुए हादसे का शिकार

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। बंगलूरू में बुधवार से शुरू होने वाले एयरशो से एक दिन पहले हुए सूर्य किरण विमान के हादसे से हर कोई हैरान है। बताया जा रहा है कि फाइनल प्रैक्टिस के दौरान दो सूर्य किरण विमान आसमान में आपस में टकरा गए। इस हादसे में एक पायलट की मौत हो गई है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जब सूर्य किरण एयरक्राफ्ट इस तरह से हादसे का शिकार हुआ हो। इससे पहले 18 मार्च 2006 में बिदर एयरफोर्स स्‍टेशन के पास एक सूर्यकिरण विमान हादसे का शिकार हो गया था। इस दौरान दो पायलट घायल हो गए थे। 23 दिसंबर 2007 में HJT-16 किरण जो एक मिलिट्री ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट था, भी हादसे का शिकार हो गया था। इसमें पायलट समय रहते बच निकला था। यह हादसा बीजू पटनायक एयरपोर्ट पर हुआ था। 21 जनवरी 2009 को बिदर एयरफोर्स स्‍टेशन के पास एक हादसे में विंग कमांडर घायल हो गए थे।

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सूर्य‍ किरण का अर्थ है 'Rays of Sun'
आपको बता दें कि सूर्य‍ किरण एयरफोर्स की एयरोबेटिक टीम है जिसका अर्थ है Rays of Sun'। इस टीम का गठन 1996 में किया गया था। यह टीम एयरफोर्स की 52वीं स्‍क्‍वाड्रन का हिस्‍सा थी। गठन के बाद से इस टीम ने कई जगहों पर अपने करतबों से सभी को मंत्रमुग्‍ध किया है। इस टीम में 2011 तक HAL HJT-16 Kiran और Mk.2 मिलिट्री ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट शामिल थे। यह कर्नाटक के बिदर एयरफोर्स स्‍टेशन का हिस्‍सा थे। यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि बिदर देश का दूसरा ऐसा बड़ा एयरफोर्स स्‍टेशन है जहां इस टीम को ट्रेनिंग देने का काम किया जाता है। 2011 में इस टीम को निलंबित कर दिया गया और फिर 2017 में इसको दोबारा Hawk Mk-132 को शामिल कर गठित किया गया।

आसमान में फोर्मेशन
सूर्य किरण टीम का हिस्‍सा बने Kiran MKII विमान में करतब दिखाने के लिए जरूरी बदलाव किए गए हैं। एयरशो के दौरान यह विमान तीन रंगों का धुंआ छोड़ते हुए दिखाई देते हैं। इसके अलावा यह आसमान में दिल और तीर का निशान भी बनाते हैं। इनके करतब का टाइम एयरशो की जगह के हिसाब से तय होता है जो करीब दस से बीस मिनट की होती है। पहले हॉफ में सभी विमान एक साथ फोर्मेशन को अंजाम देते हैं जबकि दूसरे हॉफ में यह टुकड़ों में बंट कर अलग अलग फोर्मेशन बनाते हैं। सूर्य किरण टीम एक वर्ष के अंदर करीब 30 एयरशो करती है। इस दौरान इसके नौ विमान आसमान में करतब दिखाते हुए तीन-तीन के दल में अलग-अलग फोर्मेशन बनाते हैं। इस दौरान इनकी स्‍पीड 150 से 650 किमी/प्रतिघंटे की होती है। इस दौरान पायलट +6 to –1.5 जीफोर्स तक सहन करते हैं।

देश के बाहर भी दिखाए करतब 
2001 में पहली बार विंग कमांडर अमित तिवारी के नेतृत्‍व में इस सूर्य किरण की टीम ने देश के बाहर कोलंबों में करतब दिखाए थे। यह श्रीलंका एयरफोर्स की 50वीं वर्षगांठ पर हुआ था। इसके बाद फरवरी 2004 में विंग कमांडर एस प्रभाकरण के नेतृत्‍व में सूर्य किरण की टीम ने सिंगापुर में हुए एशियन एयरोस्‍पेस में करतब दिखाए थे। वर्ष 2007 में विंग कमांडर एस बंसल के नेतृत्‍व इस टीम ने मलेशिया में करतब दिखाए थे। दिसंबर 2007 में सूर्य किरण टीम ने रॉयल थाई एयरफोर्स के साथ मिलकर करतब दिखाए। नवंबर 2008 में चीन के जुहाई एयरशो में भी सूर्य किरण की टीम को बुलाया गया था। इस शो में विदेश से बुलाई जाने वाली एयरोबेटिक टीम में केवल भारत की ही टीम थी। इसके बाद इस टीम ने लाओस में भी करतब दिखाए थे।

ऐसे होता है इसके लिए चयन
सूर्य किरण की एयरोबेटिक टीम में 13 पायलट हैं जिसमें से एक बार में नौ पायलट ही शो का हिस्‍सा बनते हैं। इसमें शामिल होने के लिए एयरफोर्स में बतौर फाइटर पायलट तीन वर्ष का अनुभव जरूरी है। इसके लिए दो वर्ष में एक बार चयन किया जाता है। इन सभी के पास में करीब 2000 घंटों की उड़ान का अनुभव होता है। यह पूरी टीम कमांडिंग ऑफिसर के नेतृत्‍व में होती है। सूर्य किरण विमान जहां संतरी और सफेद रंग के होते हैं। वहीं Mk.2 ट्रेनर एयरक्राफ्ट से फाइटर पायलट के ट्रेनिंग की शुरुआत होती है। इसका डिजाइन 1960 में हिंदुस्‍तान एयरोनोटिक्‍स लिमिटेड के चीफ डिजाइनर डॉक्‍टर गेज ने तैयार किया था। इसको बेंगलौर में बनाया गया है। पांच टन वजनी इन विमानों का इंजन 1906kg का थ्रस्‍ट पैदा करता है जो इसको 780 किमी प्रतिघंटे या 0.7 मैक की रफ्तार देता है। काउंटर इसंरजेंसी ऑपरेशन के दौरान Kiran MK-II को तैनात भी किया जाता है।

एयरोबेटिक टीम का इतिहास
आपको बता दें कि देश आजाद होने के बाद से ही इस तरह की टीम भारत के पास थी। उस वक्‍त यह करतब दिखाने के लिए हंटर विमानों का उपयोग करती थी। 1982 में पहली बार एयरफोर्स की सभी स्‍क्‍वाड्रन से कुछ काबिल पायलटों को चुना गया और एक टीम का गठन किया गया। इसको थंडरबोल्‍ट का नाम दिया गया। 1996 में विंग कमांडर कुलदीप मलिक पर बिदर में नई टीम को बनाने का जिम्‍मा सौंपा गया। 27 मई 1996 को एयरोबेटिक की नई टीम सामने आई, जिसका नाम सूर्य किरण था। सितंबर 1996 में पहली बार इस टीम ने एयरफोर्स के गोल्‍ड जुबली फंग्‍शन के दौरान आसमान में छह विमानों के साथ हैरान कर देने वाले करतब दिखाए। इस टीम को काफी सराहा गया था। 1998 में विंग कमांडर एके मुरगई जो उस वक्‍त इसके कमांडिंग ऑफिसर थे, ने इस टीम को बढ़ाकर नौ किया था। 1998 में इस टीम ने पहली बार स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर आसमान में नौ विमानों के साथ करतब दिखाए थे। इसके बाद पालम एयरपोर्ट पर अक्‍टूबर 1998 में एयरफोर्स डे के मौके पर दोबारा यही टीम सामने आई थी।

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