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‘स्मॉग फ्री टॉवर’ दिला सकता है प्रदूषण से निजात, इस बारे में कितना जानते हैं आप

दिवाली के समय ठंढ के कारण कई बार धुंध भी पड़ती है। पटाखों का धुआं इस कारण से नीचे ही रह जाता है। इस धुएं व धुंध में मिश्रण के कारण कई बीमारियां पैदा होती हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 12:23 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 03:20 PM (IST)
‘स्मॉग फ्री टॉवर’ दिला सकता है प्रदूषण से निजात, इस बारे में कितना जानते हैं आप
‘स्मॉग फ्री टॉवर’ दिला सकता है प्रदूषण से निजात, इस बारे में कितना जानते हैं आप

स्वाति। दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में दीपावली के पहले ही बढ़ते घातक प्रदूषण को देखते हुए 10 नवंबर तक सभी खनन और निर्माण कार्यो को रोकने का आदेश दिया गया है। ऊर्जा संयंत्रों को छोड़कर कोयले और जीवाश्म ईंधन से चलने वाली फैक्टियों को भी बंद करने का आदेश है। इस बार दीपावली के साथ नव वर्ष और क्रिसमस जैसे उत्सवों के दौरान पटाखे चलाने की समय सीमा निर्धारित की गई है। दिल्ली एनसीआर में तो विशेष रूप से ग्रीन पटाखों के लिए आदेश आए हैं, मगर इस साल इनका उपयोग असंभव ही लग रहा है। दिवाली से पहले ही देश दम घोंटू हवा से परेशान है। वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक मानक तक जा चुका है। प्रदूषण की समस्या विश्व स्तरीय समस्याओं में से एक है।

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यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में ऊपरी पायदान पर है। यह भी उतना ही भयानक सच है कि दिवाली पर पटाखों का प्रतिबंध दिल्ली को राहत की सांस नहीं दे सकता, मगर इस निर्णय से हम दिवाली के बाद अचानक बढ़े वायु प्रदूषण के स्तर पर लगाम लगने की अपेक्षा जरूर कर सकते हैं। वायु प्रदूषण के उपायों के मामलों में हमें यूरोपीय देशों से सीखने की जरूरत है। अधिकांश समय ठंड के मौसम में डूबे ये देश कैसे अचानक बढ़े वायु प्रदूषण और स्मॉग की स्थिति पर नियंत्रण करते हैं। साथ ही निजी जीवन में व्यक्तिगत तौर पर भी छोटे-छोटे कदम लेकर ये पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण की कोशिश करते हैं। इन देशों में ‘सिटी ट्री’ नाम से मॉस की दीवारें बनाई जाती हैं।

मॉस से ढकी ये दीवारें कार्बन डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और हवा से कण पदार्थ को हटाते ही हैं, साथ में ऑक्सीजन भी देते हैं। ऐसा एक वृक्ष एक दिन में 250 ग्राम कणों को अवशोषित करने में सक्षम होता है और प्रत्येक वर्ष 240 मीटिक टन कार्बन डाईऑक्साइड को हटाता है जो लगभग 275 पेड़ों के वायु शुद्धिकरण प्रभाव के बराबर स्तर का है। यह कमाल मात्र 13 फीट लंबे मॉस की दीवार का है जिसे सार्वजनिक स्थानों पर बड़े आराम से स्टील के बेस के साथ लगाया जाता है। एक मॉस दीवार की कीमत लगभग 25,000 डॉलर आती है जो अपनी उपयोगिता के लिहाज से बहुत महंगी नहीं कही जा सकती।

इसके अलावा इन देशों में बड़े-बड़े एयर फिल्टर्स सार्वजनिक जगहों पर लगाए जाते हैं। इन्हें ‘स्मॉग फ्री टॉवर’ कहते हैं। ये विशाल वैक्यूम क्लीनर के रूप में काम करता है। ये प्रति घंटे 30,000 घन मीटर हवा साफ करते हैं और पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसी हानिकारक कणों को 75 प्रतिशत तक साफ करके हवा को शुद्ध करते हैं। चीन में ऐसा फिल्टर न केवल प्रदूषण कम कर रहा है, बल्कि इन पार्टिकल्स को 1,000 वर्गमीटर के प्रदूषित वायु को कंप्रेस करके गहने भी बना रहा है जिसे पर्यटक बड़े चाव से खरीद रहे हैं। भारत में ऐसे बहुतेरे उपाय व्यक्तिगत से लेकर सरकारी स्तर पर करने की जरूरत है।

दिवाली के समय ठंढ के कारण कई बार धुंध भी पड़ती है। पटाखों का धुआं इस कारण से नीचे ही रह जाता है। इस धुएं व धुंध में मिश्रण के कारण कई बीमारियां पैदा होती हैं। प्रदूषण से सांस फूलना, घबराहट, खांसी, हृदय व फेफड़े संबंधी दिक्कतें, आंखों में जलन, दमा का दौरा, रक्त चाप, गले में संक्रमण हो जाता है। पटाखों की तेज आवाज से कान का पर्दा फटने व दिल का दौरा पड़ने की भी संभावना बनी रहती है। हम सबको पता है कि वायु प्रदूषण खराब स्वास्थ्य का कारक तो है, मगर इसकी भयावह स्थिति को स्पष्ट रूप से बताने के लिए नायाब तरीका निकाला गया है- एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स!

अगर भारत सिर्फ 2.5 पीएम के डब्लूएचओ के मानक पर आ जाता है तो यहां लोगों की औसत आयु चार वर्ष बढ़ जाएगी। खतरनाक वायु प्रदूषण के स्तर की वजह से दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के लोग अपनी औसत आयु से छह साल गंवा रहे हैं। 1हाल ही में एक संबंधित रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि अगर एनसीआर में डब्लूएचओ मानकों को पूरा किया गया तो लोगों की औसत उम्र नौ साल बढ़ सकती है, जबकि कोलकाता और मुंबई में बेहतर हवा की गुणवत्ता 3.5 साल औसत उम्र बढ़ा सकती है। यदि अगली पीढ़ी को हम संतुलित पर्यावरण और स्वास्थ्य देना चाहते हैं तो इसके लिए अभी से ही न केवल चेत जाना होगा, बल्कि सभी संबंधित उपायों को अमल में लाना होगा।


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