जब Homi Bhabha ने कहा था 18 माह में बना सकते है परमाणु बम और डर गया था अमेरिका
होमी भाभा की मौत ने भारत को बड़ा धक्का दिया था। ये वो नाम था जिससे दुनिया के बड़े देश भी डरने लगे थे।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। होमी जहांगीर भाभा देश के उन वैज्ञानिकों के शामिल हैं जिन्होंने पूरी दुनिया में भारत का डंका बजाया था। एक समय वो भी था जब उनकी काबलियत की ही वजह से अमेरिका तक उनसे डरने लगा था। इसकी वजह थी उनका वो बयान जो उन्होंने परमाणु बम बनाने को लेकर दिया था। उनका कहना था कि भारत जब चाहे तब महज 18 माह के अंदर परमाणु बम बनाने की क्षमता रखता है। भाभा देश के उन लोगों में भी शामिल हैं जिनकी मौत को हमेशा ही एक साजिश के तौर पर देखा जाता रहा है। इस साजिश के पीछे सबसे बड़ा आरोप अमेरिका की खुफिया एजेंसी पर लगता रहा है। 24 नवंबर 1966 को फ्रांस के माउंट ब्लैंक के आसमान में जो विमान क्रैश हुआ था और इसमें भाभा समेत सभी यात्री मारे गए। भाभा को ही 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' कहा जाता है।
न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक थे भाभा
भाभा ने न सिर्फ भारत के न्यूक्लियर प्रोग्राम की कल्पना की थी बल्कि कुछ वैज्ञानिकों के सहयोग से 1944 में इस पर रिसर्च प्रोग्राम भी शुरू किया था। उन्होंने इस विषय पर उस वक्त काम करना शुरू कर दिया था जब दुनिया को इसकी काफी कम जानकारी थी। यह वो दौर था जब उनके इस काम को दूसरे कई देश मजाक समझने की गलती कर लेते थे।
जब डर गया था अमेरिका
अक्टूबर 1965 में जब होमी भाभा ने रेडियो पर कहा कि यदि सरकार उन्हें छूट दे तो वह 18 महीनों में परमाणु बम बना सकते हैं। यह केवल एक उत्साह में दिया गया बयान नहीं था बल्कि इसको लेकर वह काफी हद तक आश्वस्त भी थे। उनका मानना था कि यदि भारत को ताकतवर बनना है तो ऊर्जा के अलावा दूसरे क्षेत्र जैसे कृषि और मेडिसिन में भी न्यूक्लियर एनर्जी का इस्तेमाल करना होगा और इसकी संभावना तलाशनी होंगी। वह देश की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए चाहते थे कि भारत के पास में परमाणु बम बनाने की महारत हासिल हो। वर्तमान में भारत ने न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर जितनी तरक्की की है उसकी नींव होमी भाभा ने ही रखी थी।
अमेरिका को था भारत से पिछड़ने का डर
परमाणु बम बनाने की काबलियत को लेकर जो बयान भाभा ने दिया था उसको लेकर अमेरिका को लगने लगा था कि वह इस क्षेत्र में भारत से पिछड़ सकता है। यही वजह है कि बार-बार यह आशंका जताई जाती रही है कि इससे मुक्ति पाने के लिए की अमेरिका ने खुफिया एजेंसी सीआईए को इन्हें रास्ते से हटाने की जिम्मेदरी सौंपी थी। इसके बाद ही सीआईए उस विमान में बम रखवाया जिससे भाभा सवार थे। यह विमान वियना जा रहा था और एल्प्स की पहाडि़यों में क्रेश हो गया था।
क्रेश की दो थ्योरी
उनके विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने को लेकर दो तरह की थ्योरी सामने आई हैं। इनमें से एक थ्योरी के मुताबिक विमान का पायलट जिनेवा एयरपोर्ट को अपनी सही पॉजीशन नहीं बता पाया था। वहीं दूसरी थ्योरी में विमान में बम लगाने की बात कही गई है। इस थ्योरी के मुताबिक इसके पीछे बड़ी साजिश थी जिसके निशाने पर भाभा थे।एक वेबसाइट की मानें तो इसके पीछे अमेरिका का मकसद भारत के परमाणु कार्यक्रम को पटरी से उतारना था।
बातचीत सार्वजनिक
TBRNews.org के मुताबिक इस वेबसाइट ने 11 जुलाई 2008 को एक पत्रकार ग्रेगरी डगलस और सीआईए के अधिकारी रॉबर्ट टी क्राओली के बीच हुई कथित बातचीत को साझा किया था। इस बातचीत में सीआईए अधिकारी रॉबर्ट के हवाले से कहा गया था कि 60 के दशक में भारत ने परमाणु बम पर काम शुरू कर दिया था। इससे उनके सामने समस्या खड़ी हो गई थी। इस बातचीत में रूस को इस कार्यक्रम में भारत के मददगार के तौर पर बताया गया था। बातचीत में भाभा की मौत के बाबत कहा गया था कि उनके साथ एक दुर्भाग्यपूर्ण ऐक्सिडेंट हुआ।इस बातचीत में जो एक खास बात निकलकर सामने आई थी उसमें इस प्लेन क्रेश के पीछे सीआईए की साजिश का काफी हद तक पर्दाफाश कर दिया था। इसमें सीआईए के अधिकारी का कहना था कि भाभा के िवियना जाने से अमेरिका की परेशानी बढ़ने वाली थी।
यह भी पढ़ें:-
अमेरिका के बयान के बाद पाक संभला तो ठीक नहीं तो...! चीन भी सवालों के कटघरे में खड़ा
गोवा और पाकिस्तान के मुद्दे पर खराब हुए थे भारत और ब्राजील के संबंध, जानें क्या था मामला
जब कविता पाठ के दौरान गुस्सा हो गए थे नेहरू, कहा- यही सब सुनने के लिए बुलाकर लाए थे?