एक नजर में जानें- सीडीएस जनरल बिपिन रावत का शानदार करियर, देश कर रहा उन्हें सलाम
जनरल रावत का सैन्य करियर बेहद शानदार रहा है। यही वजह थी कि उन्हें दूसरे सीनियर अधिकारियों से वरियता देकर सेनाध्यक्ष बनाया गया था। आतंक को खत्म करने के लिए चलाए जाने वाले आपरेशन का उन्हें जबरदस्त अनुभव था।
नई दिल्ली (जेएनएन)। सीडीएस बिपिन रावत की हेलीकाप्टर क्रैश में हुई मौत ने देश को झकझोड़ कर रख दिया है। ये हेलीकाप्टर खराब मौसम की वजह से कुन्नून में नीलगिरी की पहाडि़यों में क्रैश हो गया था। इसमें सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत कुल 14 लोग सवार थे। इनमें से अधिकतर इस हादसे में मारे गए हैं।
सीडीएस बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड में एक हिंदू गढ़वाली राजपूत परिवार में हुआ था। उनका परिवार कई पीढि़यों से भारतीय सेना में सेवा देता रहा है। उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत पौड़ी गढ़वाल जिले के सैंज गांव से थे और लेफ्टिनेंट जनरल के पद तक पहुंचे थे। उन्हें देश का पहला चीफ आफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया गया था। आपको बता दें कि मोदी सरकार ने उनकी सेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्ति भी आउट आफ टर्न की थी। इसके बाद भी उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारों का पूरा साथ दिया। उनके ही कार्यकाल में भारत ने पाकिस्तान को दो बार करारा जवाब दिया था।
16 दिसंबर 1978 को बिपिन रावत ने 11 गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में नियुक्ति के साथ सेना में अपनी सेवा शुरू की थी। उन्हें उच्च ऊंचाई वाले युद्ध का जबरदस्त अनुभव था। इसके अलावा उन्होंने आतंकवाद विरोधी अभियानों के संचालन का भी अच्छा अनुभव था। सेना में मेजर के रूप में उन्होंने उरी, जम्मू और कश्मीर में एक कंपनी की कमान संभाली। कर्नल के तौर पर उन्होंने किबिथू में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ पूर्वी सेक्टर में 5वीं बटालियन 11 गोरखा राइफल्स की कमान संभाली। ब्रिगेडियर के रूप में उन्होंने सोपोर में राष्ट्रीय राइफल्स के 5 सेक्टर की कमान संभाली।
रावत ने यूएन मिशन के तहत कांगो में भी अपनी सेवाएं दी थी। यहां पर उन्होंने बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली थी। उनकी उत्कृष्ठ सेवा को देखते हुए उन्हें दो बार फोर्स कमांडर के प्रशस्ति से सम्मानित किया गया।मेजर जनरल के पद पर रहते हुए उन्होंने 19वीं इन्फैंट्री डिवीजन (उरी) के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में अपनी सेवाएं दी। इसके बाद लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में, उन्होंने पुणे में दक्षिणी सेना को संभालने से पहले दीमापुर में मुख्यालय वाली III कोर की कमान संभाली।
सेना कमांडर ग्रेड में पदोन्नत होने के बाद, रावत ने 1 जनवरी 2016 को जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) दक्षिणी कमान का पद ग्रहण किया। एक छोटे कार्यकाल के बाद, उन्होंने थल सेना के उप प्रमुख का पद ग्रहण किया। 17 दिसंबर 2016 को उन्हें 27 वें थल सेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।
बता दें कि सीडीएस जनरल रावत फील्ड मार्शल सैम मानेकशा और जनरल दलबीर सिंह सुहाग के बाद गोरखा ब्रिगेड के थल सेनाध्यक्ष बनने वाले तीसरे अधिकारी हैं। 2019 में अमेरिका की अपनी यात्रा पर जनरल रावत को यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड और जनरल स्टाफ कालेज इंटरनेशनल हाल आफ हेम में शामिल किया गया था। वह नेपाली सेना के मानद जनरल भी थे।
रावत ने देहरादून में कैम्ब्रियन हाल स्कूल और शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल से पढ़ाई की और फिर उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून में प्रवेश लिया। यहां पर उन्हें 'स्वार्ड आफ आनर से सम्मानित किया गया था। रावत ने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी), वेलिंगटन और यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड के हायर कमांड कोर्स और फोर्ट लीवेनवर्थ, कंसास में जनरल स्टाफ कालेज से भी स्नातक किया है। उन्हें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा सैन्य-मीडिया रणनीतिक अध्ययन पर उनके शोध के लिए पीएचडी से भी सम्मानित किया गया था।