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मुन्ना बजरंगी का सुंदर भाटी से भी रहा है 36 का आंकड़ा, जानें यूपी में फैलाई कितनी दहशत

जिस तरह से बजरंगी की हत्या को अंजाम दिया गया है ठीक उसी तरह से उसके गैंग के शार्प शूटर अनुराग त्रिपाठी की भी हत्या जेल में की गई थी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 01:26 PM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 06:25 PM (IST)
मुन्ना बजरंगी का सुंदर भाटी से भी रहा है 36 का आंकड़ा, जानें यूपी में फैलाई कितनी दहशत
मुन्ना बजरंगी का सुंदर भाटी से भी रहा है 36 का आंकड़ा, जानें यूपी में फैलाई कितनी दहशत

नई दिल्ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। कभी पूर्वांचल समेत बिहार के कुछ इलाकों में दहशत का पर्याय बन चुके मुन्‍ना बजरंगी की जेल में हत्‍या के बाद एक बार फिर से जेल में अपराधियों को ढेर किए जाने की याद ताजा हो गई है। आपको बता दें कि जिस तरह से बजरंगी की हत्या को अंजाम दिया गया है ठीक उसी तरह से उसके गैंग के शार्प शूटर अनुराग त्रिपाठी की भी हत्या जेल में की गई थी। वर्ष 2005 में उसकी हत्या वाराणसी जेल में गोली मारकर की गई थी। इस हत्या का आरोप एक अन्य अपराधी संतोष गुप्ता उर्फ किट्टू पर लगा था। बाद में किट्टू भी पुलिस इनकाउंटर में मारा गया था। 

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यहां आपको ये भी बता दें कि मुन्‍ना बजरंगी की हत्‍या के बाद से सुंदर भाटी गैंग का जिक्र सभी की जुबान पर है। लेकिन इस गैंग के बारे में आप सभी कितना जानते हैं। यदि कुछ नहीं तो आज हम आपको इस गैंग के बारे में विस्‍तार से पूरी जानकारी दे देते हैं।  कहा जाता है कि मुन्‍ना बजरंगी के साले की हत्‍या के पीछे भी सुंदर भाटी गैंग का नाम आता रहा है। यहां पर ये भी बताना जरूरी है कि सुंदर और मुन्‍ना का आपस में 36 का आंकड़ा रहा है। मुन्‍ना की हत्‍या के बाद सामने आई शुरुआती खबरों में इसके पीछे सुंदर भाटी का भी नाम सामने आया था।

दहशत का पर्याय बना भाटी गैंग
एक समय था जब यूपी के काफी बड़े इलाके में नरेश और सुंदर भाटी गैंग की दहशत जोरों पर थी। इसके अलावा इनकी दोस्‍ती के किस्‍से भी काफी मशहूर थे। कहा तो यहां तक जाता है कि ये गैंग जिसके नाम की सुपारी लेता था फिर उसको कोई नहीं बचा पाता था। इनकी दोस्‍ती को आप इस बात से भी आंक सकते हैं कि सुंदर भाटी ने नरेश भाटी के परिवार की हत्‍या का बदला लेने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी। लेकिन यही दोस्‍ती बाद में दुश्‍मनी में बदल गई। दोनों के बीच हुए गैंगवार में नरेश भाटी मारा गया था। इस घटना के बाद सुंदर भाटी का अपराध की दुनिया में रुतबा काफी बढ़ गया था। इस गैंग ने दिल्‍ली, यूपी और हरियाणा पुलिस की नींद हराम करके रख दी थी।

नरेश और सुंदर भाटी की दोस्‍ती
ग्रेटर नोएडा के गांव रिठोरी का रहने वाला नरेश भाटी पढ़े-लिखे परिवार से था। उसके चाचा एसडीएम थे, तो ताऊ विदेश मंत्रालय में सचिव थे। जायदाद के विवाद को लेकर उसके ताऊ और दादा की हत्या हो गई। परिवार वालों की मौत का बदला लेने के लिए नरेश अपराध की दुनिया में उतर गया। उसका संपर्क उस वक्त के नामी बदमाश सतबीर गुर्जर से हो गया। इसी गिरोह का सदस्‍य ग्रेटर नोएडा, घंघोला निवासी सुंदर भाटी भी था। इन दोनों में बाद में दोस्‍ती हो गई थी। दोनों ने मिलकर गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, फरीदाबाद, दिल्ली सहित पश्चिमी यूपी में हत्या, लूट और रंगदारी के काम को अंजाम दिया। पुलिस ने इन दोनों पर एक-एक लाख का इनाम रखा था।

दुश्‍मनी में बदली दोस्‍ती
सतबीर गुर्जर के गिरोह में रहते हुए दोनों की दोस्ती ज्यादा नहीं चली। दरअसल सुंदर भाटी लोहे के स्क्रेप और ट्रांसपोर्ट के काम पर कब्‍जे के लिए सिकंदराबाद की ट्रक यूनियन पर कब्जा करना चाहता था। यहां पर दोनों के हितों में टकराव का दौर शुरू हुआ। इसके अलावा दोनों ही जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ना चाहते थे। यहां से दोनों के बीच गैंगवार शुरू हुआ और इसी गैंगवार में ट्रक यूनियन के दो अध्यक्षों की हत्या भी हो गई। हालांकि विरोध के बावजूद नरेश भाटी जिला पंचायत अध्‍यक्ष का चुनाव जीत गया, जिसके बाद सुंदर भाटी के लिए उसको खत्‍म करना एकमात्र मकसद बन गया था। वर्ष 2003 में सुंदर भाटी ने मेरठ में नरेश भाटी पर पहला जानलेवा हमला किया जिसमें नरेश का गनर और ड्राइवर मारे गए, लेकिन वह खुद बच निकला था। वर्ष 2004 में सुंदर भाटी ने एक बार फिर नरेश भाटी पर हमला किया। इस हमले में नरेश मारा गया।

लगातार होती रही हत्‍याएं, कमान संभालते रहे भाई
नरेश की हत्‍या के बाद उसके गैंग की कमान उसके भाई रणपाल भाटी ने संभाली। बदला लेने के लिए रणपाल ने सुंदर के भाई प्रताप पटवारी समेत तीन लोगों की हत्या करवा दी। यूपी पुलिस की तरफ से उसपर एक लाख का इनाम घोषित किया गया था। वर्ष 2006 में पुलिस ने रणपाल को एक एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। रणपाल के मारे जाने के बाद एक बार फिर इस गैंग की कमान उसके सबसे छोटे भाई रणदीप ने अपने हाथों में ली। इसमें उसका भांजा अमित कसाना भी शामिल था। इसके अलावा शॉर्प शूटर अनिल दुजाना भी गैंग में शामिल हो गया था। इसी गैंग की सरपरस्‍ती में दुजाना ने दो बार सुंदर को मारने की नाकाम कोशिश भी की थी। इसके उलट रणदीप पुलिस की गिरफ्त में आ चुका था। 2013 में पेशी के दौरान ले जाते हुए उसकी भी हत्‍या करवा दी गई। इसका आरोप भी सीधेतौर पर सुंदर भाटी गैंग पर ही लगा।

किस्‍मत का धनी निकला सुंदर
आपको बता दें कि सुंदर भाटी हर बार नरेश भाटी गैंग के हमलों से बड़ी ही चतुराई से बचता रहा। वर्ष 2011 में भी गाजियाबाद के एक बैंक्‍वेट हाल में नरेश भाटी गैंग ने सुंदर भाटी पर ताबड़तोड़ गोलिया चलाई थीं, लेकिन यहां भी वह बच निकला था। वर्ष 2014 में यूपी पुलिस ने सुंदर भाटी को उसके पैतिृक गांव से गिरफ्तार कर लिया। सुंदर भाटी पर हमेशा से ही यह आरोप लगता रहा है कि वह जेल से ही अपने गैंग को चला रहा है। नरेश भाटी गैंग के शार्प शूटर अनिल दुजाना के भाई जय भगवान की भी हत्‍या सुंदर भाटी गैंग के हाथों ही करवाई गई थी।

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