2019 Balakot Airstrike: जानिए, कैसे वायुसेना प्रमुख को 'बंदर' कह शुरू हुआ था बालाकोट हमला
रिटायर्ड एयर मार्शल हरि कुमार ने बताया कि सीआरपीएफ जवानों पर हुए हमले के अगले दिन अर्थात 15 फरवरी से ही कार्रवाई के लिए तैयारी शुरू हो गई थी
नई दिल्ली, प्रेट्र। हिंदी में बंदर का मतलब मानवीय गुणों वाला जंतु और फारसी में इस शब्द के मायने पानी के जहाज के ठहरने का स्थान होता है। लेकिन एक साल पहले भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर आतंकी ठिकाने पर जो हमला किया था, उसकी सफलता का कोडवर्ड था 'बंदर'।
इस कार्रवाई के रचनाकार रिटायर्ड एयर मार्शल हरी कुमार बताते हैं कि 26 फरवरी, 2019 को तड़के 3.55 बजे वायुसेना प्रमुख को 'बंदर' कहा और उसी के साथ वायुसेना के 16 लड़ाकू विमान पाकिस्तान की ओर रवाना हो गए।
सीआरपीएफ जवानों की शहादत का लेना था बदला
इन्हें बालाकोट के जैश ए मुहम्मद के ठिकाने पर स्पाइस 2000 बम गिराकर पुलवामा में हुई सीआरपीएफ जवानों की शहादत का बदला लेना था। इनमें से छह विमान स्पाइस बमों से लैस थे जबकि छह अन्य विमान क्रिस्टल मेज मिसाइलों से। बाकी के चार विमान जरूरत पड़ने पर मदद के लिए भेजे गए थे। कुमार पाकिस्तान से लगने वाली देश की वायुसीमा की सुरक्षा करने वाली पश्चिमी कमान के उस समय चीफ कमांडिंग ऑफीसर थे। उन्हीं पर ही इस कार्रवाई का सारा दारोमदार था।
रिटायर्ड एयर मार्शल ने बताया कि सीआरपीएफ जवानों पर हुए हमले के अगले दिन अर्थात 15 फरवरी से ही कार्रवाई के लिए तैयारी शुरू हो गई थी और 12 दिन बाद उसे अंजाम दे दिया गया।
पूरे ऑपरेशन में रखी गई थी सीक्रेसी
बता दें कि भारतीय वायु सेना (IAF) की तरफ से पाकिस्तान स्थित बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकी शिविर पर मिशन को सिर्फ 90 सेकेंड के भीतर अंजाम दिया गया था और इस ऑपरेशन के लिए जिस तरह की सीक्रेसी रखी गई थी उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसे अंजाम देने वाले पायलट के परिवार के सदस्यों को भी इस बारे में कुछ नहीं मालूम था।
गौरतलब है कि 26 फरवरी को 12 मिराज विमानों ने बालाकोट शहर में मौजूद जैश के आतंकी ठिकानों पर मिसाइल बरसाने के लिए उड़ानें भरी थीं। बालाकोट पाक के खैबर पख्तूनवा प्रांत में आता है।