जानें चीन से बढ़ते संकट के बीच आखिर लद्दाख के नीमू क्यों गए पीएम मोदी, क्या होगा फायदा
नीमू जहां पर पीएम मोदी गए हैं वहां पर सेना का डिविजनल हैडक्वार्टर है। जानकार मानते हैं कि पीएम का ये दौरा सेना के जवानो का हौसला बढ़ाने के लिए काफी अहम है।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। चीन से बढ़ते खतरे को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी शुक्रवार की सुबह अचानक लद्दाख के नीमू पहुंच गए। चीन से बढ़ते तनाव के बीच उनका ये दौरा बेहद खास है। इसकी अहमियत इसलिए भी बढ़ी है क्योंकि नीमू में सेना का डिवीजनल हैडक्वार्टर है। यहां से ही सेना की गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। इसलिए इसकी और यहां पर पीएम मोदी की मौजूदगी की अहमियत काफी बढ़ गई है। पीएम मोदी के साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और थल सेनाध्यक्ष एमएम नरवाणे भी मौजूद थे।
लेह से 35 किमी दूर स्थित नीमू लिकिर तहसील के अंतर्गत आता है। इसके ही दक्षिण पूर्व में करीब 7 किमी दूर मेग्नेट हिल है जो यहां पर आने वाले पर्यटकों के लिए काफी खास है। गर्मियों में यहां का तापमान 40 डिग्री तक चला जाता है जबकि सर्दियों में यहां का तापमान -29 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। इस लिहाज से यहां पर किसी के लिए भी रहना काफी कठिन होता है। वर्ष 2010 में इस समूचे इलाके को बाढ़ का सामना करना पड़ा था। आपको बता दें कि नीमू समुद्र तल से 10300 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
रिटायर्ड मेजर जनरल पीके सहगल मानते हैं कि पीएम मोदी का ये दौरा सेना का हौसला बढ़ाने के लिए लिहाज से काफी अहमियत रखता है। उन्होंने दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा कि यहां पर बड़ी संख्या में जवान रहते हैं। ऐसे में यहां पर जाकर सैनिकों को ये बताना और उन्हें ये विश्वास दिलाना कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है, काफी मायने रखता है। पीएम मोदी का वहां पर जाना, सैनिकों से बात करना और मौजूदा हालातों का जायजा लेना सेना पर 150 करोड़ लोगों के विश्वास को जताता है। उनके मुताबिक किसी भी लड़ाई में ये बात बेहद मायने रखती है कि हमारा नेतृत्व कौन कर रहा है। उन्होंने 1965 में पाकिस्तान से हुई लड़ाई का जिक्र करते हुए बताया कि उस वक्त दुश्मन देश के पास हमसे बेहतर लड़ाकू विमान और टैंक थे। लेकिन इसके बाद भी उन्हें भारत की सेना के सामने घुटने टेकने पड़े थे। जैसे उस वक्त एक अच्छे नेतृत्व ने सेना का हौसला बढ़ाया था ठीक वही काम अब पीएम मोदी ने भी किया है।
सहगल का कहना है पीएम मोदी इस देश के 150 करोड़ लोगों का नेतृत्व करते हैं। आज पूरे देश को विश्वास है कि समय आने पर देश की सेना चीन ही नहीं पाकिस्तान को भी घुटने पर लाने की ताकत रखती है। ये पूछे जाने पर कि उत्तरी मोर्चे पर चीन के साथ साथ सीमा पर अब पाकिस्तान भी जवानों की तैनाती बढ़ा रहा है तो इससे कैसे निपटा जाएगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान चीन के इशारे पर ये सबकुछ कर रहा है। पाकिस्तान ने अपने यहां पर मौजूद आतंकी गुटों से भी भारत में अधिक से अधिक अस्थिरता फैलाने को कहा है। मेजर जनरल सहगल ने कहा कि वर्तमान में उत्तरी मोर्चे पर चीन और पाकिस्तान से मिल रही चुनौती ने हालात काफी गंभीर बना दिए हैं। लेकिन साथ ही उन्होंने विश्वास भी दिलाया कि सेना इन दोनों से एक साथ बखूबी निपटना भी जानती है।
उन्होंने ये भी कहा कि वर्तमान में जो हालात पैदा हुए हैं उसकी आशंका पूर्व सेनाध्यक्ष और मौजूदा डिफेंस चीफ ऑफ स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने काफी पहले जता दी थी। उन्होंने अपने सेनाध्यक्ष रहते हुए कहा था कि सेना को आने वाले समय में ढाई फ्रंट पर एक साथ निपटना होगा। ये फ्रंट चीन-पाकिस्तान और आतंकवाद होगा। सहगल के मुताबिक उनकी कही बात अब सच साबित हो गई है। उनके मुताबिक ये स्थिति किसी भी देश के लिए सही नहीं है। वे मानते हैं कि चीन के साथ चलने वाला तनाव जल्द नहीं सुलझने वाला है। इसकी वजह ये है कि चीन जिस तरह का समझौता चाहता है उसके लिए भारत कतई तैयार नहीं होगा। ऐसे में ये तनाव लंबा खिंचेगा।
उन्होंने ये भी कहा कि चीन की सरकार लद्दाख के मुद्दे पर अपने ही घर में घिर चुकी है। वहां के लोग उसकी आलोचना कर रहे हैं। 15-16 जून की रात को सीमा पर जो झड़प हुई थी उसमें भारत ने जहां अपने वीर बलिदानियों को पूरा सम्मान दिया वहीं चीन ने उनकी संख्या तक बतानी जरूरी नहीं समझी है। ऐसे में लोगों के मन में ये बात घर कर गई है कि चीन की सरकार ने जवानों को केवल एक गलत मकसद के लिए इस्तेमाल किया और उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि आज इस मुद्दे पर जहां भारत के साथ पूरा विश्व खड़ा है वहीं चीन बिल्कुल अलग-थलग पड़ गया है।