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जानें कैसी है देश के स्कूलों में प्रौद्योगिकी संचालित शिक्षा की स्थिति, सिर्फ 22% स्कूलों में ही इंटरनेट की सुविधा

अभी देश के केवल 22 फीसद स्कूलों में ही इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है जिसे बढ़ाना ही होगा। देश के केवल 38.54 फीसद स्कूलों में ही कंप्यूटर उपलब्ध हैं। केरल और दिल्ली के स्कूलों में क्रमश 88 और 86 फीसद स्कूलों में इंटरनेट सुविधा है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 01:34 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 01:34 PM (IST)
जानें कैसी है देश के स्कूलों में प्रौद्योगिकी संचालित शिक्षा की स्थिति, सिर्फ 22% स्कूलों में ही इंटरनेट की सुविधा
क्या है देश के स्कूलों में प्रौद्योगिकी संचालित शिक्षा की स्थिति।(फोटो: दैनिक जागरण)

सुधीर कुमार। देश के स्कूलों में प्रौद्योगिकी संचालित शिक्षा की स्थिति संतोषजनक नहीं है। देश के केवल 38.54 फीसद स्कूलों में ही कंप्यूटर उपलब्ध हैं। मध्य प्रदेश के महज 13.59, मेघालय के 13.63, बंगाल के 13.87, बिहार के 14.19 और असम के 15 फीसद स्कूलों में ही कंप्यूटर की सुविधा उपलब्ध है। वहीं स्कूलों में इंटरनेट उपलब्धता के मामले में स्थिति और भी बुरी है। देश के केवल 22 फीसद स्कूलों में ही इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है। वहीं केरल और दिल्ली के स्कूलों में क्रमश: 88 और 86 फीसद स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन दूसरी ओर त्रिपुरा में महज 3.85, मेघालय में 3.88 और असम में 5.82 फीसद स्कूलों में ही इंटरनेट कनेक्शन है।

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जाहिर है, तकनीकी शिक्षा और संचार की आधुनिकतम तकनीक से हमारे विद्यार्थी आज भी बहुत दूर हैं।भविष्य की पढ़ाई के लिए तकनीकी साक्षरता और इंटरनेट कनेक्टिविटी दो अहम जरूरतें हैं। महामारी के कारण दुनियाभर में स्कूली शिक्षा बाधित हुई है।

कोरोना से बचाव के लिए दुनिया के 190 से भी अधिक देशों को स्कूलों के दरवाजे बंद करने पड़े। इसके बाद विकल्प के रूप में आनलाइन शिक्षा का प्रचलन तेजी से बढ़ा है, लेकिन चिंता की बात है कि इस तरह की शिक्षा की पहुंच सभी तक नहीं हो पाई। स्कूलों के बंद रहने से विश्व में 1.6 अरब स्कूली बच्चों में से केवल 10 करोड़ बच्चों की ही शिक्षा बाधित नहीं हुई। घर पर तकनीक की सुलभता की वजह से उनकी पढ़ाई में निरंतरता कायम है। इन बच्चों के लिए तकनीक ने घर और स्कूल की दूरी को पाटने का काम किया। तकनीक के जरिये बच्चे रोजाना कक्षाओं में शामिल होकर अपनी समस्या का समाधान भी प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर आनलाइन शिक्षा की पहुंच से दूर लाखों ग्रामीण बच्चों का भविष्य अधर में है। स्मार्टफोन की अनुपलब्धता और धीमे इंटरनेट ने उनके भविष्य पर ग्रहण लगा दिया है।

देश के सरकारी स्कूलों में आनलाइन शिक्षा की स्थिति बहुत बुरी है। इन स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे निम्न आय वर्ग के परिवारों से संबंधित होते हैं। उनके पास न तो स्मार्टफोन की सुविधा होती है और न ही इंटरनेट पैक खरीदने की हैसियत। ऐसे लाखों बच्चे चाहकर भी आनलाइन शिक्षा का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। लंबे समय तक स्कूलों के बंद रहने का दुष्परिणाम यह होगा कि इनमें से बहुत सारे बच्चे पढ़ाई से विमुख हो जाएंगे। ग्रामीण क्षेत्रों के वे बच्चे जिनके पास संसाधनों का घोर अभाव है, वे आनलाइन शिक्षा के दौर में अपने सहपाठी से पिछड़ जाएंगे। पिछले डेढ़ साल से स्कूल बंद होने से बच्चों के पढ़ाई का क्रम टूटा है। जब स्कूल दोबारा खुलेंगे तो स्वाभाविक है कि कई बच्चों के लिए पढ़ाई में पुन: उसी प्रकार जुटना आसान नहीं होगा। ऐसे में सरकार को इन बच्चों के भविष्य के बारे में भी सोचना चाहिए।

(लेखक बीएचयू में शोध अध्येता हैं)


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