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सात तरह के होते हैं ITR फॉर्म, यहां जानें आपके लिए कौन सा भरना है जरूरी

इनकम टैक्स फाइल करते वक्त कई बार लोगों को इस दिक्कत का सामना करना पड़ता है कि आखिर उन्हें कौनसा फॉर्म भरना है तो चलिए हम आपको बताते है ITR फॉर्म कितने तरह के होते है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Sat, 20 Jul 2019 01:17 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jul 2019 04:26 PM (IST)
सात तरह के होते हैं ITR फॉर्म, यहां जानें आपके लिए कौन सा भरना है जरूरी
सात तरह के होते हैं ITR फॉर्म, यहां जानें आपके लिए कौन सा भरना है जरूरी

नई दिल्ली, जेएनएन। क्या आपने अपना इनकम टैक्स रिटर्न भरा...यदि नहीं तो घबराने की जरुरत नहीं है क्योंकि आपके पास 31 जुलाई तक का समय है। इनकम टैक्स नियमों के मुताबिक, अगर आपकी टैक्स स्लैब इनकम 2.50 लाख रुपये से अधिक है तो आपको आइटीआर (ITR) दाखिल करना होगा। यहां आपको बता दें कि आइटीआर भरना फायेदमंद ही होता है। आइटीआर के जरिए इनकम टैक्स विभाग को सालभर की कमाई की जानकारी देनी होती है। ITR फॉर्म 7 तरह के होते हैं, चलिए तो हम आपको बताते है आपको कौनसा फॉर्म भरना होगा। 

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ITR 1
अगर किसी व्यक्ति या HUF (हिंदू अविभाजित परिवार) को वेतन, प्रॉपर्टी, किराए, पेंशन या ब्याज से आमदनी होती है तो आइटीआर 1 फार्म भरना होता है। कोई भी व्यक्ति जिसे बिना बिक्री के कर मुक्त आय (कृषि के अलावा 5 हजार से ऊपर की आय) हो रही है तो उसे आइटीआर-1 फॉर्म भरना होता है। ज्यादातर सैलरीड क्लास को ITR-1 भरना होता है, हालांकि इसके लिए कई शर्तें हैं। कोई जरूरी नहीं कि प्रत्येक सैलरीड रेजिडेंट को यही फॉर्म भरना हो। 

ITR 2A
मूल्यांकन वर्ष 2015-16 में पेश किया गया, ITR-2A फॉर्म एक नया आयकर रिटर्न फॉर्म है। इस फॉर्म का उपयोग हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) या एक व्यक्तिगत करदाता द्वारा किया जा सकता है। जिन्हें कृषि, एक से ज्यादा प्रॉपर्टी से किराए, कैपिटल गेन, लॉटरी या अन्य स्रोत से आमदनी होती है यह फॉर्म उनके लिए है। 

ITR-2
ITR-2 फॉर्म आमतौर पर उन व्यक्तियों द्वारा भरा जाता है, जिन्होंने संपत्ति या संपत्ति की बिक्री के माध्यम से आय अर्जित की है। साथ ही, यह फॉर्म उन व्यक्तियों के लिए उपयोगी है जो भारत के बाहर के देशों से आय अर्जित करते हैं। ज्यादातर मामलों में व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) इस फॉर्म का लाभ उठाकर अपना आईटी रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। 

ITR-3
ITR-3 फॉर्म एक व्यक्तिगत करदाता या एक हिंदू अविभाजित परिवार के लिए है, जो पूरी तरह से एक फर्म में पार्टनर के रूप में काम करते हैं, लेकिन जो फर्म के तहत किसी भी व्यवसाय का संचालन नहीं करते हैं। यह उन व्यक्तियों के लिए भी लागू होता है जो फर्म द्वारा संचालित व्यवसाय से कोई आय नहीं कमाते हैं। यह फॉर्म आमतौर पर उन करदाताओं द्वारा दायर किया जाता है, जिनकी व्यवसाय से अर्जित कर योग्य आय केवल निम्नलिखित के रूप में होती है जैसे सैलरी, बोनस, ब्याज, पारिश्रमिक (Remuneration)। 

ITR 4
इस प्रकार का आइटीआर फॉर्म उन व्यक्तियों के लिए उपयोगी है जो व्यापार करते हैं या जो प्रोफेशन (डॉक्टर, वकील आदि) के माध्यम से कमाई करते हैं। यह फॉर्म सभी प्रकार के व्यवसायों, उपक्रम या पेशों के लिए लागू है, जो अर्जित आय पर कोई सीमा नहीं है। 

ITR 4S
यह सुगम फॉर्म के रूप में भी जाना जाता है, आइटीआर -4 एस फॉर्म का उपयोग किसी भी व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) द्वारा अपने आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए किया जा सकता है। यह निम्नलिखित व्यक्तियों के लिए लागू है:

-वे व्यक्ति जो किसी भी व्यवसाय से आय अर्जित करते हैं
-एकल आवास संपत्ति से आय अर्जित करने वाले व्यक्ति
- ऐसे व्यक्ति जिनके पास भारत के अलावा अन्य देशों में कोई संपत्ति नहीं है
-ऐसे व्यक्ति जिनकी कृषि से आय 5,000 रुपये से कम है

 ITR 5
आइटीआर 5 फार्म उन संस्थाओं को भरना होता है, जिन्होंने खुद को फर्म, LLPs, AOPs, BOIs के रूप में रजिस्टर्ड करा रखा है

ITR 6
वह कंपनियां जिन्हें इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 11 के तहत छूट नहीं मिलता है उन्हें आइटीआर 6 भरना होता है. आइटीआर 6 ऑनलाइन भरा जा सकता है

ITR 7
आइटीआर 7 फॉर्म ऐसे लोगों या कंपनियों के लिए है, जो सेक्शन 139(4A) या सेक्शन 139(4B) या सेक्शन 139(4C) या सेक्शन 139(4D) के तहत रिटर्न दाखिल करते हैं।

इस तरह भरें अपना फॉर्म 

- जानकारी के लिए बता दें कि आप आइटीआर ऑनलाइन और ऑफलाइन भर सकते हैं। 
- ऑनलाइन भरने के लिए सबसे पहले आपको incometaxindiaefiling.gov.in पर जाना होगा। 
-पहली बार टैक्स भर रहे लोगों को रजिस्टर करना होगा
- इसके बाद आप ऑनलाइन टैक्स भर सकते हैं।
- जो भी आपके PAN नंबर होगा वहीं  आपकी यूजर आईडी होगी। 
- इसके बाद अपके सामने आइटीआर की ऑनलाइन फाइलिंग के सात चरण आते हैं:

a) सामान्य निर्देश
b)आमदनी की जानकारी
c) छूट का विवरण
d) इनकम टैक्स का कैलकुलेशन
e) टीडीएस और अन्य चुकाए गए टैक्स की जानकारी
f) बैंक का विवरण
g) वेरिफिकेशन

ये सभी भरने के बाद आपकी आइटीआर फाइल हो जाएगी। यदि जरुरत पड़े तो आप किसी एक्सपर्ट से भी मदद लें सकते हैं। 


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