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जानें फलों के राजा आम की रोचक कहानी, जिसका स्वाद बना लेता है अपना दीवाना

अाम न सिर्फ यह स्वादिष्ट और रसीला होता है, बल्कि गुणों की खान भी है। आम के पेड़ की पत्तियां, तने की छाल और गुठली भी बड़ी काम की होती हैं।

By Ashish MishraEdited By: Published: Thu, 12 Jul 2018 10:18 AM (IST)Updated: Thu, 12 Jul 2018 12:14 PM (IST)
जानें फलों के राजा आम की रोचक कहानी, जिसका स्वाद बना लेता है अपना दीवाना
जानें फलों के राजा आम की रोचक कहानी, जिसका स्वाद बना लेता है अपना दीवाना

[प्रतिभा सिंह] फलों का राजा कहा जाने वाला आम भला किसे पसंद नहीं होता। न सिर्फ यह स्वादिष्ट और रसीला होता है, बल्कि गुणों की खान भी है। आम के पेड़ की पत्तियां, तने की छाल और गुठली भी बड़ी काम की होती हैं। यह शुद्ध देशी पेड़ भारतभूति पर पिछले चार हजार वर्षो से फल-फूल रहा है। यह मौसम भी आम का है। हर घर इसका सेवन कर ही रहा होगा।

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ऐसे में अगर इसकी गुठलियों को फेंकने की बजाए घर के आसपास रोप दिया जाए, तो मानसून में आम का पेड़ पनप जाएगा। इसके बाद बस थोड़ा सा खयाल रखना होगा और आने वाले कुछ वर्षो में आपकी पीढ़ियां स्वादिष्ट आमों का लुत्फ उठाएंगी। सीरीज के तहत आज आम के पेड़ के गुणों के बारे में बता रही हैं प्रतिभा सिंह

बड़े काम का आमः आम के फल में विटामिन ए और सी प्रचुर मात्र में पाए जाते हैं। कॉपर, पोटैशियम और मैग्नेशियम जैसे खनिजों का भंडार है। पत्तियां विटामिन ए, बी और सी का स्रोत हैं। इनमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल (सूक्ष्मजीवरोधी) गुण होते हैं। पत्तियां डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मददगार होती हैं। पथरी, श्वसन संबंधी समस्याओं में आम की पत्तियां दवा का काम करती हैं। इसकी पत्तियों से छनकर आने वाली हवा बैक्टीरिया व सूक्ष्मजीवों से रहित होती है। इसकी गुठली खून का संचार सुधारती है और बुरे कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करती है। पेड़ की छाल डायरिया के इलाज में काम आती है।

आम्र फल से बना मैंगोः आम के पेड़ की उत्पत्ति 2.5-3 करोड़ वर्ष पहले पूर्वोत्तर भारत में हुई। यहां से यह दक्षिण भारत पहुंचा। इसे नाम दिया गया आम्र फल। वैदिक साहित्य में इसे रसाला व साहकारा नाम से भी जाना गया। पुराणों में आम के पेड़ को गिराना बुरा बताया गया है। दक्षिण भारत में इसका नाम आम-काय हो गया। अपभ्रंश होते-होते नाम मामकाय हो गया। मलयाली लोगों ने इसे बदलकर ‘मांगा’ कर दिया। पुर्तगाली यहां पहुंचे, तो वे इससे इतने प्रभावित हुए कि इसे अपने साथ ले गए और नाम दिया मैंगो।

समृद्धि का प्रतीकः आम को संपन्नता व भाग्य का प्रतीक माना जाता है। यहीं कारण है कि पूजा-अर्चना के समय आम की पत्तियों को कलश के ऊपर सजाया जाता है। घर के द्वार पर आम की पत्तियों का तोरण बांधा जाता है।

दुनियाभर में कुल उत्पादित आम में भारत की हिस्सेदारी 50 फीसद है।

आम के उत्पादन का केवल एक फीसद ही निर्यात होता है (क्योंकि करीब सारा उत्पादन हम उपभोग कर लेते हैं)

भारत में उत्पादित आम की 1500 वैरायटी हैं -वैज्ञानिक नाम : मैग्नीफेरा इंडिका फैमिली : एनाकार्डियासी


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