आंकड़ों की जुबानी जानें अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कैसी है भारतीयों की स्थिति
अमेरिका में इस बार पहले की अपेक्षा अधिक मतदाता हैं। इस बार वहां पर रिकॉर्ड मतदान भी हो रहा है। कमला हैरिस के डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से उप-राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनने के बाद भारतीयों की अहमियत भी बढ़ गई है।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में इस बार भारतीयों की भूमिका को काफी अहम माना जा रहा है। अमेरिका में इस बार मतदान में शामिल होने वाले करीब 12 लाख भारतीय हैं। आपको बता दें कि अमेरिका में रहने वाले भारतीय समुदाय को डेमोक्रेटिक पार्टी का परंपरागत वोटर माना जाता रहा है। हालांकि भारत में 2014 में हुई सत्ता परिवर्तन के बाद इसमें भी बदलाव आया है। इसकी वजह मोदी फेक्टर को बताया गया है। इसमें भारतीयों की अहमियत इसलिए भी काफी बढ़ गई है क्योंकि पहली बार किसी पार्टी ने भारतीय मूल की महिला को अमेरिका के उप-राष्ट्रपति पद के लिए अपना प्रत्याशी बनाया है। ये डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस हैं।
आपको बता दें कि पिछले चुनाव की तुलना में इस बार अमेरिकी चुनाव में मतदाताओं की संख्या बढ़ी है। इसमें भी एक दिलचस्प आंकड़ा ये भी सामने आया है कि बीते 20 वर्षों में जहां अन्य देशों से आकर यहां बसने वाले मतदाताओं की संख्या में करीब 93 फीसद का इजाफा हुआ है वहीं यहां के मूल मतदाताओं की संख्या महज 18 फीसद ही बढ़ी है। अमेरिकी राज्य मैक्सिको में सबसे अधिक विदेशी मूल के मतदाता हैं जिनकी संख्या करीब 35 लाख है। इनकी संख्या अमेरिका में कुल विदेशी मूल के मतदाताओं की करीब 56 फीसद है। इसके बाद न्यूयॉर्क, टेक्सास और फ्लोरिडा का नाम आता है जहां करीब दो तिहाई विदेशी मूल के मतदाता मौजूद हैं। अमेरिका में इमिग्रेशन एंड नेशनेलिटी एक्ट के बनने के बाद से अमेरिका में विदेशी मूल के नागरिकों की संख्या 5 फीसद से बढ़कर अमेरिका की कुल जनसंख्या का 13.9 फीसद तक हो चुकी है। मौजूदा समय में करीब 47 मिलियन विदेशी मूल के नागरिक अमेरिका में रह रहे हैं।
अमेरिका में 12 लाख भारतीय मतदाताओं के बाद 14 लाख फिलीपींस मूल के और 10-10 लाख चीन और वियतनाम मूल के मतदाता हैं। अमेरिका में भारतीय-यूएस मूल के लोग यहां पर तेजी से आगे बढ़ने वालों में शामिल है। जहां तक ट्रंप प्रशासन में भारतीयों की नौकरी की बात है तो एशियन अमेरिकन वोटर सर्वे के मुताबिक 2018 में 28 फीसद भारतीयों ने अमेरिका में नौकरी पाई है। 2010 यूएस सेंसस के मुताबिक वर्ष 2000 से वर्ष 2010 के बीच अमेरिका में भारतीय मूल के नागरिकों की संख्या 0.6 फीसद से बढ़कर 0.9 हो गई थी। सेंट्रल ब्यूरो 2018 अमेरिकन कम्यूनिटी सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि 2010 से 2018 के बीच अमेरिका में भारतीयों की संख्या 49 फीसद तक बढ़ी है। 2018 के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में बसे भारतीयों की संख्या 26.5 लाख थी।
जहां तक भारतीयों को अमेरिका वीजा हासिल होने की बात है तो आपको बता दें कि वर्ष 2016 में 65257 भारतीय छात्रों को अमेरिका का वीजा हासिल हुआ था वहीं 2017 ये गिरकर 47302 रह गया था। कुल मिलाकर इसमें 27 फीसद की गिरावट दर्ज की गई थी। इसकी वजह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में वीजा नियमों में बदलाव का होना था। यहीं ट्रेंड इसके बाद 2018 और फिर 2019 में भी दिखाई दिया। वर्ष 2020
की पहली तिमाही में इसमें कुछ बढ़ोतरी दर्ज की गई और पहले के मुकाबले अधिक भारतीयों को अमेरिकी वीजा मिला। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के मुताबिक 2019 में जिन देशों के नागरिकों को अमेरिकी वीजा हासिल हुआ उनमें 71 फीसद तक केवल भारतीय शामिल थे। इसके बाद इनमें चीन और कनाडाई नागरिक थे। यूएस सिटीजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विस के आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान 278,491 भारतीयों को अमेरिकी एच1बी वीजा हासिल हुआ।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में वीजा नियमों में हुए बदलाव का मुद्दा भारत की तरफ से कई बार उठाया गया है। इसके तहत विदेशी कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर तय शर्तों में बदलाव किया गया था। नए नियमों के तहत फ्रॉड डिटेक्शन फोर्स को भी पहले से अधिक अधिकार दे दिए गए। इसके आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वो वीजा नियमों को सुधार रहे हैं। उन्होंने नए नियमों के तहत हाई स्किल्ड वर्कर्स को प्राथमिकता देने की बात कही थी। उनका ये भी कहना था कि अब से पहले एच1बी वीजा का गलत इस्तेमाल किया गया। वीजा नियमों में कड़ाई के बावजूद ट्रंप ने अपनी चुनावी रैलियों में कई बार अमेरिका के उत्थान में भारतीयों के योगदान का जिक्र किया और इसको अहम बताया है। अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर जहां तक भारत का सवाल है तो ट्रंप और बिडेन दोनों ही भारत को अहमियत देने की बात कर रहे हैं। बिडेन ने भी कहा है है कि वो सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट का समर्थन करता है। इसके अलावा उन्होंने रक्षा संबंधों में रिश्तों को और अधिक मजबूत करने की बात भी कही है।