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जानें- कौन है सरला त्रिपाठी, जिनके पीएम मोदी भी हुए मुरीद, हर किसी के लिए हैं प्रेरणा

सरला त्रिपाठी का नाम भले ही बेहद कम लोग जानते हैं लेकिन जिन्‍होंने भी उन्‍हें देखा है वो उन्‍हें कभी भूल नहीं सकता। यही वजह है कि पीएम मोदी तक उनके मुरीद हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 10:49 AM (IST)Updated: Mon, 02 Dec 2019 08:47 AM (IST)
जानें- कौन है सरला त्रिपाठी, जिनके पीएम मोदी भी हुए मुरीद, हर किसी के लिए हैं प्रेरणा
जानें- कौन है सरला त्रिपाठी, जिनके पीएम मोदी भी हुए मुरीद, हर किसी के लिए हैं प्रेरणा

ग्वालियर [रामेंद्र परिहार]। मन में जनसेवा की चाह हो तो उम्र भी आड़े नहीं आती। यह बात ग्वालियर, मप्र की 94 वर्षीय सरला त्रिपाठी पर एकदम सटीक बैठती हैं। 27 साल से वह रेलवे स्टेशन से गुजरने वाली ट्रेनों के यात्रियों को पानी पिलाने का काम रही हैं। उम्र के इस पड़ाव पर सरला त्रिपाठी की जिजीविषा की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कर चुके हैं। दिन में आठ-आठ घंटे तक रेलवे स्टेशन पर सेवाभाव से जुटी रहने वाली सरला कहती हैं- उन्हें ऐसा करने से मन में सुकून मिलता है। इतना ही नहीं, जब भी उन्हें समय मिलता है वह समाज में शिक्षा और स्वच्छता के लिए भी काम करती हैं।

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ग्वालियर में चर्चित

कई संस्थाओं के लिए मार्गदर्शक की भूमिका में रहती हैं। गांधी नगर, ग्वालियर निवासी सरला त्रिपाठी के पति स्व. विष्णुबल्भव त्रिपाठी एजी (अकाउंटेंट जनरल ऑफ इंडिया) ऑफिस के कर्मचारी थे। सरला त्रिपाठी शुरुआत से ही समाज सेवा से जुड़ी रहीं और ग्वालियर में चर्चित रहीं। लेकिन देश में उनको पहचान हाल ही में (दीपावली के दिन) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात (रेडियो कार्यक्रम) में जिक्रहोने पर मिली। मन की बात में पीएम ने उनके 27 साल से लगातार ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को पानी पिलाने के सेवाभाव की सराहना की।

समाज सेवा का जज्‍बा

उन्‍होंने उदाहरण भी दिया कि मन में समाज सेवा करने का जच्बा हो तो 94 साल की उम्र भी छोटी नजर आती है। कुछ समय पूर्व ग्वालियर में मिलने वाला मदर टेरेसा सम्मान भी सरला त्रिपाठी को मिल चुका है। पीएम से मिली तारीफ के बाद उनका उत्साह दोगुना है और क्षेत्र में पहले से अधिक चर्चित हो गईं हैं। वर्ष 1993 की बात है सरला त्रिपाठी एक सफर से लौटी थीं। उनका यह सफर गर्मी के दिनों में था। उस दौरान उन्होंने महसूस किया कि रेलवे स्टेशन पर पेयजल को लेकर बड़ी समस्या थी। गर्मी में पानी की समस्या रहती थी।

निस्‍वार्थ सेवा

इसके बाद ट्रेन छूटने के डर से यात्री उतर भी नहीं पाते थे। उसके ठीक अगले दिन वह ग्वालियर रेलवे स्टेशन पहुंचीं। यहां पंजाबी परिषद पानी पिलाने की सेवा करता था। सरला त्रिपाठी ने उसी दिन से जन सेवा का ऐसा कार्य शुरू किया कि वह आज 94 साल की होने के बाद भी लगातार उसे कर रही हैं। पंजाबी परिषद के कई अध्यक्ष इन 27 सालों में बदले, सदस्य आए और गए, लेकिन सरला त्रिपाठी वहीं हैं और निस्वार्थ सेवा कर रही हैं।

लगा 25 साल की हो गई.. 

जब इस संबंध में सरला त्रिपाठी से बात की तो उनका कहना था कि यात्रियों को उनकी सीट पर पहुंचकर पानी पिलाकर सुकून मिलता है। लगता है कि उनकी जिंदगी किसी के काम आ सकी। जब प्रधानमंत्री ने मन की बात में उनका नाम लिया तो लगा मानो 94 साल की उम्र से वह वापस 25 वर्ष की हो गईं। अब वह दोगुने जच्बे के साथ फिर काम कर रही हैं। हां, श्रीमति त्रिपाठी का एक और लक्ष्य है। वह चाहती हैं कि वह मानसरोवर यात्र को इस उम्र में पूर्ण करें।

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