जानें क्या है 13 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली और कैसे होगी इसके तहत नियुक्तियां
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार ने 200 पॉइंट रोस्टर लागू करने के लिए अध्यादेश की मंजूरी देने के साथ इसको लागू करने की बात कह दी है।
नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार ने 13 की जगह 200 पॉइंट रोस्टर लागू करने के लिए अध्यादेश की मंजूरी देने के साथ इसको लागू करने की बात कह दी है। सरकार के 13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ विभिन्न संगठनों ने 5 मार्च को भारत बंद भी बुलाया गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली के मुताबिक यह फैसला अनुसूचित जाति और जनजाति के अलावा ओबीसी को विश्वविद्यालय की नौकरी में उचित प्रतिनिधितत्व के मकसद से लिया गया है। लेकिन इन सभी के बीच लोगों को 13 प्वाइंट रोस्टर की बेहद कम जानकारी है। यहां हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं।
- रोस्टर के आम मायने से इतर इसके मायने किसी विभाग में होने वाली उस नियुक्ति से है जो कुछ वर्ग विशेष विशेष के लिए आरक्षित होती है या सामान्य वर्ग के लिए निकाली जाती है।
- 13 पॉइंट रोस्टर के तहत 13 नियुक्तियों को क्रमबध तरीके से दर्ज किया जाता है। इसमें एक यूनिवर्सिटी को एक यूनिट के तौर पर दर्ज किया जाता है।
- इस व्यस्था के तहत शिक्षकों के कुल पदों की गणना विश्वविद्यालय या कॉलेज के अनुसार न करके विभाग या विषय के हिसाब से की जाती है।
- इस रोस्टर प्रणाली को इस तरह से आसानी से समझा जा सकता है। यदि किसी विभाग में चार पद के लिए नियुक्तियां निकली हैं तो इसमें तीन सामान्य वर्ग की और एक आरक्षित वर्ग के लिए होगी।
- इस बाद नियुक्ति के लिए निकाले गए पदों की संख्या 5 से गिनी जाएगी। इसमें दो नियुक्तियां सामान्य वर्ग से और एक आरक्षित वर्ग से होगी।
- ऐसे ही आठवीं, नौवीं और दसवीं नियुक्ति सामान्य और बारहवीं नियुक्ति आरक्षित श्रेणी के लिए होगी। यही क्रम 13 तक चलेगा। यही वजह है कि इसको 13 प्वाइंट रोस्टर कहा गया है।
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालयों में नियुक्ति के लिए यूनिवर्सिटी के बदले विभागवार नियुक्ति को मानने का फैसला किया था। केंद्र सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी, लेकिन उच्चतम न्यायलय ने हाई कोर्ट के फैसले को सही माना। सर्वोच्च अदालत ने इसमें बदलाव से इनकार करते हुए कहा कि हाई कोर्ट का फैसला ही प्रभावी रहेगा।
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