बड़ा भूकंप आया तो कैसा होगा दिल्ली का मंजर?
मौसम विभाग, आईएमडी के मुताबिक भूकंप का केंद्र देहरादून से उत्तर पूर्व में 114 किलोमीटर दूर रुद्रप्रयाग के पास था।
नई दिल्ली, (मनीष नेगी)। सोमवार देर रात आए भूकंप के झटकों ने एक बार फिर लोगों के दिलों में दहशत पैदा कर दी है। रात करीब साढ़े 10 बजे उत्तर भारत में भूकंप के झटके महसूस किए गए। राहत की बात ये रही कि भूकंप में किसी जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है। मौसम विभाग, आईएमडी के मुताबिक भूकंप का केंद्र देहरादून से उत्तर पूर्व में 114 किलोमीटर दूर रुद्रप्रयाग के पास था।
उत्तर भारत के कई हिस्सों में ये भूकंप के झटके महसूस किए गए है। इस बीच देश की राजधानी दिल्ली में अगर बड़ा भूकंप आया तो यहां भारी तबाही तय है। भूकंप के लिहाज से दिल्ली सिस्मिक जोन-4 में आता है, जिसे बेहद संवेदनशील माना जाता है।एक्सपर्ट के मुताबिक यह सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे शहर सिस्मिक जोन-3 की श्रेणी में आते हैं। भूगर्भशास्त्री कहते हैं कि दिल्ली की दुविधा यह भी है कि वह हिमालय के निकट है जो भारत और यूरेशिया जैसी टेक्टॉनिक प्लेटों के मिलने से बना था और इसे धरती के भीतर की प्लेटों में होने वाली हलचल का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
भूगर्भशास्त्रियों के अनुसार दिल्ली और उत्तर भारत में छोटे-मोटे झटके या आफ्टरशॉक्स तो आते ही रहेंगे लेकिन जो बड़ा भूकंप होता है उसकी वापसी पांच सौ वर्ष में जरूर होती है और इसीलिए ये चिंता का विषय भी है।
दिल्ली ही नहीं भूकंप के लिहाज से देश के अधिकांश हिस्से अति-संवेदनशील है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर रिक्टर स्केल पर 6 तीव्रता की क्षमता वाला भूकंप आ जाए तो देश का 70 फीसदी हिस्सा तबाही का शिकार हो सकता है जबकि दिल्ली में इस पैमाने के भूकंप से लगभग 80 लाख लोग काल के गाल में समा सकते हैं।
बड़ी आबादी मतलब बड़ी तबाही
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की एक बड़ी समस्या आबादी का घनत्व भी है। अधिक आबादी की वजह से राजधानी में बड़ी तबाही हो सकती है। दिल्ली में लाखों इमारतें दशकों पुरानी हैं और तमाम मोहल्ले एक दूसरे से सटे हुए बने हैं।
सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुसार पांच मंजिल और उससे ज्यादा तल वाले मकान या फिर 100 से अधिक आबादी वाली हाउसिंग सोसाइटी में भूकंपरोधी प्लेट का उपयोग जरूरी हो। लेकिन इस आदेश का पालन नहीं हो रहा है।
क्यों आता है भूकंप
- पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूम रही हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है।
- बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं।
- नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है। जिसके बाद भूकंप आता है।
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जब भूकंप ने मचाई तबाही
अप्रैल 2015 में नेपाल में 7.8 तीव्रता वाला जबरदस्त भूकंप आया था। इसमें 9 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी जबकि 9 लाख के करीब घरों को नुकसान हुआ था।
26 अक्टूबर 2015 को अफगानिस्तान और उत्तरी पाकिस्तान में जो भूकंप आया उसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.5 थी। इसमें 260 से ज्यादा लोगों की जानें गईं।
मार्च 2011 में जापान में 9 तीव्रता वाले भूकंप और उसके बाद सूनामी ने भारी तबाही मचाई। जानमाल का बड़ा नुकसान हुआ। भूकंप में 15 हज़ार से ज्यादा की मौत और 6 हज़ार से ज्यादा घायल हुए। जबकि 3 हज़ार से ज्यादा घायल हुए।
2005 में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आए 7.6 तीव्रता वाले भूकंप में 75 हज़ार से ज्यादा लोगों की जानें गई थीं।
26 दिसंबर 2004 को श्रीलंका, फिलीपींस व दक्षिणी भारत में भूकंप के कारण पैदा हुईं सुनामी लहरों ने एशिया में 2 लाख 30 हजार लोगों की जान ले ली थी। 8.9 तीव्रता वाले इस भूकंप के कारण लाखों लोग बेघर हो गए थे।
26 जनवरी 2001 को गुजरात में रिक्टर स्केल पर 7.9 तीव्रता का एक शक्तिशाली भूकंप आया। इसमें तीस हजार लोग मारे गए और करीब 10 लाख लोग बेघर हो गए। भुज और अहमदाबाद पर भूकंप का सबसे अधिक असर पड़ा।
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