अनूठी श्रद्धा: बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के लिए इन्होंने तैयार की माई की बगिया
किसन हरीसिंह दंतेश्वरी देवी की मंदिर में फूल चढ़ाने के लिए रोजाना फूलों की व्यवस्था करते रहे हैं। इसके लिए वे फूलों की खेती भी करते हैं।
जगदलपुर, विनोद सिंह। लोगों में अपने आराध्य देवी-देवता के लिए आस्था के अलग-अलग उदाहरण अक्सर देखने को मिलते हैं। ऐसा ही एक अनूठा उदाहरण छत्तीसगढ़ में बस्तर के एक श्रद्धालु ने पेश किया है। यहां का प्रसिद्ध दंतेश्वरी देवी मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है और इस मंदिर में सुबह की आरती के लिए आने वाले हजारों फूलों का इंतजाम यहां से सौ किलोमीटर दूर रहने वाले किसन हरीसिंह करते हैं। यह काम वे पूरी श्रद्धा के साथ बिना किसी स्वार्थ के लिए करते हैं।
मदार के फूलों से भरी चार बड़ी टोकरी रोजना सुबह इनके खेतों से निकल कर मंदिर तक पहुंचती है और सुबह माई जी की आरती में यही फूल उन्हें अर्पित किए जाते हैं। इसके लिए किसन ने अपने घर की बाड़ी के दो एकड़ क्षेत्र में माई जी की बगिया तैयार की है। इस बगिया की देख-रेख किसन का पूरा परिवार करता है।
बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर से 18 किलोमीटर दूर बस्तर नाम का गांव है। यहां रहने वाले किसन के पास कुल 9 एकड़ जमीन है। इसमें से 3 एकड़ में घर और बाड़ी है। पहले दो एकड़ क्षेत्र में यह सब्जियों की खेती किया करते थे, लेकिन साल 2016 में इन्होंने यहां सब्जियां उगाना बंद कर देवी फूल जिसे गुड़हल, मदार और घंटी फूल के नाम से भी जाना जाता है, के 10 हजार पौध लगाए। किसन दंतेश्वरी माता मंदिर के प्रमुख पुजारी के दामाद भी हैं।
किसन ने बताया कि मंदिर में मां के श्रृंगार के लिए फूलों की कमी होती थी। इसे देखते हुए उन्होंने मां की बगिया बनाने का विचार किया। शुरूआत में यह थोड़ा कठिनाई भरा लगा, क्योंकि उनकी जमीन दंतेवाड़ा से सौ किलोमीटर दूर है, लेकिन इसका समाधान जल्द ही निकल गया। किसन बताते हैं कि उनका पूरा परिवार बाड़ी में काम करता है। वे शाम तक फूलों की कली तोड़ते हैं और उन्हें टुकनियों में जमा करते हैं। सुबह साढ़े 4 बजे की बस में फूलों से भरी चार टुकनियां बस से दंतेवाड़ा भेज दी जाती हैं।
यहां यह फूल 12 महीने खिलते हैं और माई के दरबार में माई की बगिया से ताजे फूल रोजाना पहुंचते हैं। सुबह आठ बजे माई की आरती होती है। इस वक्त तक कलियां फूल बन जाती हैं और इनसे माई का पूरा दरबार सजाया जाता है।