पंजाब में 'किसान आंदोलन' का निकला दम, आपसी टकराव के बाद आज खत्म करेंगे हड़ताल
पंजाब में किसान आंदोलन ने चौथे दिन ही दम तोड़ दिया। आपसी टकराव के चलते किसानों ने हड़ताल को खत्म करने का फैसला लिया।
लुधियाना (ब्यूरो)। पंजाब में किसान यूनियनों की दस दिवसीय हड़ताल आखिरकार चौथे दिन ही टांय-टांय फिस्स हो गई। शहरी इलाकों में हड़ताल का असर नाममात्र को देखने को मिला। वहीं, ग्रामीण इलाकों में किसानों के बीच आपसी टकराव को देखते हुए किसान संगठनों ने छह जून (आज) को पंजाब में हड़ताल खत्म करने का फैसला किया है। हालांकि देश के अन्य राज्यों में हड़ताल जारी रहेगी।
भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि प्रोग्रेसिव डेयरी फार्मर्स एसोसिएशन (पीडीएफए) की अपील पर पंजाब में हड़ताल वापस लेने का फैसला लिया गया। उन्होंने कहा कि देशभर में पंजाब के डेयरी किसान सबसे ज्यादा हैं और दस दिन की हड़ताल के कारण उन्हें काफी नुकसान हो रहा था। उनके नुकसान को देखते हुए पांच किसान जत्थेबंदियों की बैठक में यह फैसला लिया गया। आंदोलन की अगली रणनीति पर बात देश के 172 किसान संगठनों की बैठक में होगी।
पंजाब में भले ही किसानों ने हड़ताल को बंद करने का फैसला लिया हो, लेकिन मध्य प्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों में किसानों का आंदोलन अब भी जारी है। खासकर मध्य प्रदेश में इसका असर ज्यादा देखा जा रहा है। किसानों के इस आंदोलन का फायदा भी विपक्षी दल उठाते नजर आ रहे हैं।
मंदसौर गोलीकांड की बरसी आज
बता दें कि आज (6 जून) मध्यप्रदेश के मंदसौर गोलीकांड की बरसी है। जिसका पूरा फायदा कांग्रेस उठाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंदसौर में किसानों की जनसभा को संबोधित करने वाले हैं। ये जनसभा मंदसौर के पिपलिया मंडी में होगी। कांग्रेस की इस रैली का नाम 'किसान समृद्धि रैली' है। जाहिर है कि इसी साल मध्य प्रदेश में चुनाव होने हैं, ऐसे में राहुल चुनाव से पहले किसानों को साधने की कोशिश में जुट गए हैं।
मंदसौर में हुई थी छह किसानों की मौत
पिछले साल मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसान संगठनों ने अपनी मांगों लेकर आंदोलन किया था, जिसमें राज्य पुलिस की फायरिंग में छह किसानों की मौत हो गई थी।