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ट्रंप के साथ आए जानें उन भारतीय मूल के दो दिग्‍गजों के बारे में जिन्‍होंने अमेरिका में मनवाया है अपना लोहा

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ भारत की यात्रा पर आए अधिकारियों के बड़े दल में भारतीय मूल के दो दिग्‍गज भी शामिल हैं। जानें उनके बारे में...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 09:58 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 01:07 AM (IST)
ट्रंप के साथ आए जानें उन भारतीय मूल के दो दिग्‍गजों के बारे में जिन्‍होंने अमेरिका में मनवाया है अपना लोहा
ट्रंप के साथ आए जानें उन भारतीय मूल के दो दिग्‍गजों के बारे में जिन्‍होंने अमेरिका में मनवाया है अपना लोहा

वाशिंगटन, पीटीआइ। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ भारत की यात्रा पर आए अधिकारियों के बड़े दल में दो भारतीय मूल के लोग भी है। इनमें से एक अजीत पई हैं जिनके माता-पिता आज से लगभग पांच दशक पहले अमेरिका गए थे। पई के अलावा ट्रंप के साथ भारतीय मूल के केश पटेल भी आए हैं, जो राष्ट्रपति के विशेष सहायक और आतंकवाद-रोधी विभाग में वरिष्ठ निदेशक हैं। राष्ट्रपति के साथ भारत आए पई ने एक बहुत ही भावुक संदेश पोस्ट किया है।

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अजीत पई अमेरिका के संघीय संचार आयोग के भारतीय मूल के पहले चेयरमैन हैं। उन्होंने कौतूहल के साथ कहा कि वर्षों पहले उनके माता-पिता को बताया गया होता है कि एक दिन उनका बेटा अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ भारत जाएगा तो वो किस तरह की प्रतिक्रिया जताते।

ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट कर पई ने कहा, 'अगर मैं 1971 के समय में वापस जा पाता, मेरे माता-पिता की शादी के ठीक बाद, मुझे आश्चर्य है कि जब आप उन दो युवा जोड़े को बताते कि एक पीढ़ी बाद उनका बेटा उस देश में संयुक्त राज्य सरकार का उच्च प्रतिनिधित्व कर रहा है, जहां वो पले बढ़े तो वो क्या कहते।'

उन्होंने आगे कहा, 'मैं महसूस करता हूं कि वे कहते, जो अब प्राय: कहते हैं और जो विश्वास मेरे रग-रग में है, ऐसा सिर्फ अमेरिका में संभव है।' उन्होंने कहा कि भारत में वह 5जी और डिजिटल खाई को पाटने जैसे आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा करेंगे। हमारा लक्ष्य दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्र के बीच दोस्ती को और गहरा करना है।

पई ने कहा कि भारत की यात्रा को लेकर वे व्यक्तिगत रूप से भी बहुत उत्सुक हैं। उनकी मां बेंगलुरु में पली-बढ़ीं, जबकि उनके पिता हैदराबाद में। 1971 में शादी के ठीक बाद वो अमेरिका चले आए थे। तब उनके पास मात्र आठ डॉलर, एक रेडियो और यह भरोसा था कि अमेरिका में उनके सपने हकीकत में बदलेंगे। एक अन्य ट्वीट में पई ने अपने नाना के पासपोर्ट को शेयर किया है, जो बहरीन में क्लर्क के रूप में काम करने के लिए 1937 में जारी किया गया था। वहीं 1945 में उनकी मां का जन्म हुआ था।


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