Move to Jagran APP

केरल हाई कोर्ट ने कहा- सोने की तस्करी आतंकी गतिविधि नहीं, निचली अदालत के खिलाफ एनआइए की अपील खारिज

विशेष एनआइए अदालत के आदेश के खिलाफ एआइए की अपील खारिज करते हुए केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि सोने की तस्करी साफ तौर पर सीमा शुल्क अधिनियम के प्रविधानों के तहत आती है और यह आतंकी कृत्य की परिभाषा के दायरे में नहीं आएगी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2021 06:58 PM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 01:42 AM (IST)
केरल हाई कोर्ट ने कहा- सोने की तस्करी आतंकी गतिविधि नहीं, निचली अदालत के खिलाफ एनआइए की अपील खारिज
केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि सोने की तस्करी आतंकी कृत्य की परिभाषा के दायरे में नहीं आएगी।

कोच्चि, पीटीआइ। विशेष एनआइए अदालत के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एआइए) की अपील खारिज करते हुए केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि सोने की तस्करी साफ तौर पर सीमा शुल्क अधिनियम के प्रविधानों के तहत आती है और यह आतंकी कृत्य की परिभाषा के दायरे में नहीं आएगी। विशेष एनआइए अदालत ने राजनयिक चैनल के जरिये सोने की तस्करी के 10 आरोपितों को सशर्त जमानत प्रदान कर दी थी।

loksabha election banner

विशेष एनआइए अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए हाई कोर्ट की जस्टिस ए. हरिप्रसाद और जस्टिस एमआर अनिता की खंडपीठ ने कहा, 'हम यह नहीं कह सकते कि सोने की तस्करी गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 15(1)(ए)(3ए) के तहत आती है।

दूसरे शब्दों में, सोने की तस्करी साफ तौर पर सीमा शुल्क अधिनियम के प्रविधानों के तहत आती है और यह तब तक यूएपीए की धारा-15 के तहत आतंकी कृत्य की परिभाषा में नहीं आएगी जब तक ऐसे साक्ष्य सामने न आएं कि इसे भारत की आर्थिक सुरक्षा या मौद्रिक स्थायित्व को खतरा पैदा करने के इरादे से किया गया है या इससे ऐसा खतरा पैदा होने की संभावना है।'

अदालत ने कहा कि यूएपीए की धारा 15(1)(ए)(3ए) के तहत उच्च गुणवत्ता वाले जाली नोटों, सिक्कों अथवा नोटों या सिक्कों से संबंधित किसी अन्य सामग्री का उत्पादन, तस्करी या वितरण करके भारत के मौद्रिक स्थायित्व को नुकसान पहुंचाना अपराध है। हाई कोर्ट ने एनआइए की इस दलील को स्वीकार नहीं किया कि जाली नोटों की तस्करी नहीं की जा सकती क्योंकि सीमा शुल्क अधिनियम के तहत तस्करी लगाए गए शुल्क के खिलाफ अपराध है।

इस पर अदालत ने कहा कि जरूरी नहीं कि तस्करी उन्हीं वस्तुओं की हो जिन पर शुल्क लगाया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर कई बार ड्रग्स या अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी होती है जिन पर कोई शुल्क नहीं लगाया जा सकता। हमारी राय में तस्करी एक सामान्य शब्द है जो विभिन्न वस्तुओं के गैरकानूनी ट्रांसपोर्ट को इंगित करता है। लिहाजा एनआइए के तर्क को स्वीकार नहीं किया जा सकता। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.