कोर्ट आदेश को लागू कराने में खुद को असहाय नहीं बता सकते राज्य
सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में 1934 में मालंकारा आर्थोडाक्स सीरियन चर्च के संविधान का पालन करने का आदेश दिया है। इस आदेश के चलते आर्थोडाक्स धड़े को कई चर्चो में जाने और धार्मिक गतिविधियों का अधिकार मिल गया है।
कोच्चि, प्रेट्र। केरल हाई कोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि शांति भंग होने और हिंसा की आशंकाओं का हवाला देकर न्यायिक निर्देशों को लागू करने में राज्य लाचारी प्रकट नहीं कर सकती, ऐसे में जबकि उसके पास वैध आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तंत्र है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार कोर्ट के आदेश को लागू कराने में अपने को असहाय नहीं बता सकती। सरकार इसके लिए शांति व्यवस्था को खतरा और हिंसा की आशंका जैसी बातें नहीं कह सकती। सरकार को न्यायालय के विधिसम्मत आदेशों को लागू कराने के लिए प्रशासनिक व्यवस्था करनी होगी। यह बात केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court ) ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कही है।
हाईकोर्ट में जस्टिस देवन रामचंद्रन ने यह बात एर्नाकुलम जिले के वाडावुकोड में सेंट मैरीज आर्थोडाक्स चर्च में धार्मिक गतिविधियों के लिए ईसाई समाज के एक वर्ग की पुलिस सुरक्षा की याचिका पर सुनवाई करते हुए कही। हाईकोर्ट में ऐसे कई मामले लंबित हैं जिनमें गिरजाघरों में धार्मिक गतिविधियों के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की गई है। कई स्थानों पर ईसाइयों के आर्थोडाक्स और जैकोबाइट धड़ों के बीच विवाद के चलते कई चर्चो में धार्मिक गतिविधियों में रुकावट आ रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में 1934 में मालंकारा आर्थोडाक्स सीरियन चर्च के संविधान का पालन करने का आदेश दिया है। इस आदेश के चलते आर्थोडाक्स धड़े को कई चर्चो में जाने और धार्मिक गतिविधियों का अधिकार मिल गया है। इसी के बाद आर्थोडाक्स धड़े के लोग कई स्थानों पर स्थित चर्चो में अपनी धार्मिक गतिविधियों के लिए पुलिस सुरक्षा दिलाए जाने की मांग लेकर हाईकोर्ट आ गए हैं। शिकायत है कि विरोधी धड़ा उन्हें चर्चो में घुसने नहीं दे रहा और प्रशासन भी मदद नहीं कर रहा। इसी तरह के एक मामले में सुनवाई के दौरान बीती 17 सितंबर को राज्य के एडीशनल एडवोकेट जनरल अशोक एम चेरियन ने कहा, सरकार सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू कराना चाहती है लेकिन भारी हिंसा की आशंका के चलते वह ऐसा नहीं करवा पा रही है।