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केरल सरकार ने इसरो के पूर्व वैज्ञानिक को दिया 1.30 करोड़ रुपये का मुआवजा, जानें क्‍या था पूरा मामला

वर्ष 1994 के इसरो जासूसी मामले में नारायणन को उनके वरिष्ठ अफसरों मालदीव की दो महिलाओं और एक कारोबारी के साथ गिरफ्तार किया गया था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 06:15 AM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 06:15 AM (IST)
केरल सरकार ने इसरो के पूर्व वैज्ञानिक को दिया 1.30 करोड़ रुपये का मुआवजा, जानें क्‍या था पूरा मामला
केरल सरकार ने इसरो के पूर्व वैज्ञानिक को दिया 1.30 करोड़ रुपये का मुआवजा, जानें क्‍या था पूरा मामला

तिरुअनंतपुरम, आइएएनएस। केरल सरकार ने मंगलवार को जासूसी के मामले में फंसाए गए इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एस नांबी नारायणन को 1.30 करोड़ रुपये का मुआवजा जारी कर दिया। केरल पुलिस ने नारायणन को न सिर्फ फर्जी मुकदमे में फंसाया था, बल्कि उन्हें जेल, दुर्भावनापूर्ण अभियोजन और अपमान भी झेलना पड़ा था। नारायणन की तरफ से तिरुअनंतपुरम सब-कोर्ट में एक याचिका दाखिल किए जाने के बाद केरल सरकार ने पूर्व वैज्ञानिक के लिए मुआवजा राशि मंजूर की। 

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सीबीआइ से क्लीनचिट मिलने के बाद लड़ी कानूनी लड़ाई

यह तय हुआ था कि अगर उपयुक्त मुआवजा राशि दे दी जाएगी तो नारायणन अपनी याचिका वापस ले लेंगे। मुआवजा राशि का प्रावधान पुलिस फंड से किया गया है। इसके साथ ही नारायणन को अब तक 1.90 करोड़ रुपये का मुआवजा मिल चुका है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वर्ष 2018 में दिया गया 50 लाख और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर दिया गया 10 लाख रुपये का मुआवजा शामिल है।

सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने राज्य सरकार को एक समिति गठित कर नारायणन को फर्जी मामले में फंसाने के आरोपित अधिकारियों के खिलाफ जांच के निर्देश दिए थे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक को फंसाने के मामले में तत्कालीन पुलिस महानिदेशक एस मैथ्यूज, डीएसपी केके जोशुआ और एस विजयन के नाम सामने आए थे। 

यह था मामला

वर्ष 1994 के इसरो जासूसी मामले में नारायणन को उनके वरिष्ठ अफसरों, मालदीव की दो महिलाओं और एक कारोबारी के साथ गिरफ्तार किया गया था। सीबीआइ ने वर्ष 1995 में नारायणन को क्लीनचिट दे दी थी। इसके बाद उन्होंने आरोपित अधिकारियों के खिलाफ कानूनी जंग छेड़ दी थी। हालांकि, इस मामले में अब तक किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।


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