केरल सरकार सबरीमाला मंदिर के प्रशासन के लिए अलग से लाए कानून: सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने यह कानून गुरुवयूर मंदिर और पद्मनाभ स्वामी मंदिर की तर्ज पर लाने को कहा है। इसमें तीर्थयात्रियों की सुविधाओं और कल्याण का भी ध्यान रखा जाएगा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार से कहा है कि वह सबरीमाला मंदिर के प्रशासन के लिए अलग से कानून लाए। कोर्ट ने यह कानून गुरुवयूर मंदिर और पद्मनाभ स्वामी मंदिर की तर्ज पर लाने को कहा है। इसमें तीर्थयात्रियों की सुविधाओं और कल्याण का भी ध्यान रखा जाएगा। कोर्ट ने राज्य सरकार को जनवरी के तीसरे सप्ताह तक कानून लाने को कहा है।
जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को सबरीमाला मंदिर के प्रशासन से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को ये आदेश दिए। पिछली सुनवाई में 27 अगस्त को ही कोर्ट ने राज्य सरकार से सबरीमाला मंदिर के प्रशासन के लिए अलग से एक कानून लाने को कहा था, लेकिन बुधवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि सरकार इस संबंध में त्रावणकोर कोचीन हिंदू रिलिजियस इंस्टीट्यूशन एक्ट में संशोधन ला रही है। यह संशोधन सभी मंदिरों के प्रशासन के बारे में है। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि यह पर्याप्त नहीं है। सबरीमाला मंदिर के प्रशासन और वहां आने वाले तीर्थयात्रियों के कल्याण के लिए अलग से कानून लाया जाना चाहिए।
त्रावणकोर कोचीन हिंदू रिलिजियस इंस्टीट्यूशन एक्ट संशोधन कानून में मंदिर की एडवाइजरी कमेटी में एक तिहाई महिला सदस्यों के होने की बात है। इस पहलू पर पीठ के न्यायाधीशों ने सवाल किया कि गत वर्ष का कोर्ट का आदेश है जिसमें हर आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की बात कही गई है। इसके बाद अब मामला सात जजों की वृहद पीठ को भेजा गया है, ऐसे में इसे कैसे करेंगे। इस पर राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट से कहा कि अभी फिलहाल 50 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को ही एडवाइजरी कमेटी में शामिल किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह सबरीमाला मंदिर में हर आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देने वाले गत वर्ष सितंबर के फैसले के खिलाफ दाखिल करीब 65 पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार करते हुए मामले को 3-2 के बहुमत से वृहद पीठ को विचार के लिए भेज दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले साल के आदेश पर रोक नहीं लगाई थी।
इस मामले में पंडमलम राज परिवार ने मांग की है कि सबरीमाला मंदिर के प्रशासन के लिए अलग से कमेटी बनाई जाए जो न सिर्फ मंदिर का प्रशासन देखे बल्कि मंदिर के पवित्र आभूषणों आदि की भी देखरेख करे। सबरीमाला मंदिर भगवान अयप्पा का है। अयप्पा अनुयायियों का कहना है कि यहां भगवान ब्रह्मचारी रूप में विराजमान हैं।