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केदारनाथ में आपदा से पहले की स्थिति

आम दिनों की भांति आपदा से पहले 16 जून 2013 को केदारनाथ में भक्तों के लगातार आने का सिलसिला बना हुआ था। 14 जून से लगातार तेज बारिश हो रही थी। बावजूद इसके यात्री केदारनाथ पहुंच रहे थे। केदारनाथ में 16 जून को आपदा से पहले 12 हजार से अधिक यात्री व इतने ही स्थानीय लोग मौजूद थे। आम तौर पर यहां जून महीने में प्रतिदिन पन्द्र

By Edited By: Published: Mon, 16 Jun 2014 07:05 AM (IST)Updated: Mon, 16 Jun 2014 07:56 AM (IST)
केदारनाथ में आपदा से पहले की स्थिति

रुद्रप्रयाग। आम दिनों की भांति आपदा से पहले 16 जून 2013 को केदारनाथ में भक्तों के लगातार आने का सिलसिला बना हुआ था। 14 जून से लगातार तेज बारिश हो रही थी। बावजूद इसके यात्री केदारनाथ पहुंच रहे थे। केदारनाथ में 16 जून को आपदा से पहले 12 हजार से अधिक यात्री व इतने ही स्थानीय लोग मौजूद थे। आम तौर पर यहां जून महीने में प्रतिदिन पन्द्रह से बीस हजार यात्री मौजूद रहता है। हालांकि बरसात का सीजन शुरु होने पर यात्रियों की संख्या घटकर एक हजार प्रतिदिन तक आ जाती है। यात्रियों के ठहरने के लिए स्थानीय होटल व लाज बड़ी संख्या में केदारनाथ में मौजूद थे। मंदिर समिति व जीएमवीएन के अतिथि गृह के साथ ही धर्मशालाएं भी थी। इन सभी में प्रतिदिन पन्द्रह हजार से अधिक यात्री रात्रि को ठहर सकते थे। केदारनाथ पैदल मार्ग भी काफी चौड़ा था, यात्रियों को आसानी से घोड़े, खच्चर के साथ ही पालकी भी उपलब्ध हो जाती थी, जिससे आसानी से यात्री पैदल मार्ग का सफर तय कर लेता था।

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हादसे के बाद की स्थिति

केदारनाथ में 16 व 17 जून को तबाही का मंजर सामने आया। 14 जून से लगातार बारिश हो रही थी, जो कि 17 जून तक शाम तक चलती रही। 16 जून सांय 4 बजे मंदाकिनी नदी में बादल फटने से बाढ़ आ गई, इसमें मंदिर समिति का अतिथि गृह समेत पुलिस चौकी बह गई, जिसमें मंदिर समिति के 17 कर्मचारी व 6 पुलिस जवान समेत चालीस लोग दफन हो गए थे। इसके बाद भी बारिश का सिलसिला रुका नहीं। 17 जून सुबह आठ बजे केदारनाथ में चौराबाड़ी ताल में बज्रपात होने से यह फट गया, केदारनाथ के चारो ओर बज्रपात होने से पानी व भूस्खलन शुरु हो गया। जिससे केदारनाथ पूरी तरह इस त्रासदी की चपेट में आ गया। केदारनाथ मंदिर छोड़ पूरी केदारपुरी में तबाही का मंजर नजर आ रहा था। केदारनाथ में सरकारी आकडों के अनुसार 4700 लोगों की जान चली गई। हालांकि यह आंकड़ा काफी अधिक है।

केदारनाथ में हुई तबाही के बाद रामबाड़ा, गौरीकुंड व सोनप्रयाग में भी तबाही ने दस्तक दी। तप्त कुंड व गौरी मां का मंदिर समिति समेत आधा गौरीकुंड बाढ़ में बह गया। सोनप्रयाग में भी आधा बाजार आपदा की चपेट में आ गया। रामबाड़ा पूरी तरह वजूद मिट गया। केदारनाथ पैदल मार्ग भी पूरी तरह तबाह हो गया।

वहीं, आपदा की जानकारी समय से प्रशासन को नहीं लग पाई। पुलिस के सभी वायरलैस सैट खराब होने से 18 जून को आपदा की सही जानकारी जिला प्रशासन को मिली। इसके बाद ही सरकार सक्त्रिय हुई। इस बीच आपदा में अपनी जान बचाने के बाद अब प्रभावित शीघ्र राहत की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन लगातार केदारनाथ का मौसम खराब होने से राहत कार्य तेजी से शुरु नहीं हो सके। सेना ने भी 19 जून को मोरचा संभाला। एनडीएआएफ, आईटीबीपी समेत स्थानीय पुलिस ने राहत कार्यो में पूरी ताकत झोंक दी। सैकड़ों लोगों को वायु सेना के हेलीकाप्टर व स्थानीय हेलीकाप्टर से सुरक्षित स्थानों पर लाया गया। 27 जून तक रेस्क्यू आपरेशन चलता रहा। इसके बावजूद समय से राहत न मिलने से कई लोगों ने अपनी जान गवाई।

विपक्षी पार्टी भाजपा ने सरकार पर रेस्क्यू आपरेशन में ढि़लाई बरते जाने का आरोप लगाया। साथ ही तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केदारनाथ को पुननिर्माण की जिम्मेदारी सौंपे जाने की मांग प्रदेश सरकार के सम्मुख रखी, जिसे सरकार ने नहीं माना।

केदारनाथ की वर्तमान स्थिति

केदारपुरी का नक्शा पूरी तरह बदल चुका है। यह नगरी कभी यात्रा के छह महीनों तक गुलजार रहती थी, लेकिन अब यहां खंडहर भवनों से अटा पड़ा है। यात्रियों के रहने के लिए होटल व लाज नहीं है। सरकार ने अस्थाई टेंट लगाकर पांच से सात सौ यात्रियों के रहने की व्यवस्था की गई है। यहां सीमित संख्या में यात्रियों को भेजा जा रहा है। जो संख्या पांच से सात सौ के बीच है। जबकि पूर्व की बात करें तो प्रतिदिन जून महीने में पन्द्रह हजार के लगभग यात्री केदारनाथ दर्शनों को आते थे। हालांकि सीमित संख्या में यात्री धाम में पहुंच रहे है, लेकिन अभी भी बाबा के दर्शनों को लेकर उत्साह यात्रियों में बना हुआ है। केदारनाथ पैदल मार्ग पर यात्रा पड़ावों की स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। रामबाड़ा का अस्तित्व समाप्त होने के बाद लिनचोली में यात्रियों के रहने व खाने की निशुल्क व्यवस्था सरकार की ओर से है। यहां पर तीन सौ से अधिक यात्रियों के रहने की व्यवस्था है। प्रीफेब्रिकेट हटों का निर्माण कराया जा रहा है। इसके साथ ही मार्ग को काफी हद तक दुरुस्त कर दिया गया है, लेकिन पैदल मार्ग का एलाइमेंट सही न होने से भक्त खड़ी चढ़ाई पार कर केदारनाथ पहुंच रहे हैं। लिनचोली व केदारनाथ में यात्रियों के लिए मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इसके साथ ही भीमबली, गौरीकुंड व सोनप्रयाग में भी डाक्टर तैनात किए गए हैं। यहां पर आक्सीजन व अन्य जरूरी दवाईयों के साथ ही डाक्टर तैनात किया गया है।

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