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22 अक्टूबर काला दिवस: 1947 से ही आतंकपरस्त पाकिस्तान के साए में जीने को मजबूर हैं कश्मीरी

1947 से ही कश्मीर के लोग पाकिस्तान के साए में जीने को मजबूर हैं। घाटी में इसी हिंसा और आतंकवाद को भड़काने में पाकिस्तान की भूमिका के विरोध में हर साल भारत 22 अक्टूबर को काला दिवस के रूप में मनाता है।

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 11:32 PM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 02:05 AM (IST)
22 अक्टूबर काला दिवस: 1947 से ही आतंकपरस्त पाकिस्तान के साए में जीने  को मजबूर हैं कश्मीरी
आतंकपरस्त पाकिस्तान के साए में जीने को मजबूर कश्मीरी

दुबई, एएनआइ। आतंकपरस्त पाकिस्तान के साए में साल  1947 से ही कश्मीर के लोग जीने को मजबूर हैं। इस सच्चाई को  सबके सामने लाने का श्रेय संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के एक मीडिया संस्थान को है जिसने रिपोर्ट जारी कर दुनिया को यह बताया। अल अरबिया पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान बनते ही वहां की सेना ने कश्मीर के साथ विश्वासघात करते हुए हमला बोल दिया।

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22 अक्टूबर, 1947 कुख्यात दिन के तौर पर याद किया जाता है, जब पाकिस्तानी मिलिशिया ने कश्मीर के कई कस्बों और शहरों को बर्बाद कर दिया। इतना ही नहीं अनगिनत महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया और गुलाम बना दिया गया। इसके अलावा हिंदुओं, सिखों और मुस्लिमों सहित 35 हजार से ज्यादा कश्मीरियों की हत्या कर दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी आक्रमणकारियों ने अवैध रूप से जम्मू-कश्मीर में प्रवेश किया और लूटपाट को अंजाम दिया व अत्याचार किए। इस हमले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

बता दें कि भारत घाटी में हिंसा और आतंकवाद को भड़काने में पाकिस्तान की भूमिका के विरोध में हर साल 22 अक्टूबर को काला दिवस के रूप में मनाता है।  74 साल पहले 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान की सेना ने कबायली हमलावरों के साथ मिलकर कश्मीर में हमला कर दिया। दरअसल पाकिस्तान घाटी को अपने कब्जे में करना चाहता था। पाकिस्तानी हमलावरों ने कश्मीर में कत्ले आम मचा दिया था।


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