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करवाचौथः नेत्रहीन सु‍हागिन, हाथ में छलनी लेकर मन की आंखों से देखा अपना चांद

शादी के पहले हादसे में चली गई थी आंखों की रोशनी। एक को बीमारी के कारण दिखना बंद हुआ। दो कहानियां ऐसी भी, जिनमें दोनों पति-पत्‍नी देख नहीं सकते। करवाचौथ पर एकसाथ करते हैं शॉपिंग।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Sat, 27 Oct 2018 09:19 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 09:13 AM (IST)
करवाचौथः नेत्रहीन सु‍हागिन, हाथ में छलनी लेकर मन की आंखों से देखा अपना चांद
करवाचौथः नेत्रहीन सु‍हागिन, हाथ में छलनी लेकर मन की आंखों से देखा अपना चांद

जेएनएन, [अंशु शर्मा,अंबाला]- इनके करवाचौथ पर्व के बारे में जब कोई सुनता है तो आंखें खुद ब खुद नम हो जाती हैं। वो देख नहीं सकतीं पर मन की रोशनी से हर वर्ष अपने चांद को छलनी से देखती हैं। किसी की बीमारी के कारण रोशनी गई तो कोई हादसे में अपनी आंखें गवां बैठीं। पर कभी ऐसा वर्ष नहीं गया, जब इन्‍होंने करवाचौथ का व्रत न रखा हो। पढ़ें ये विशेष कहानियां।

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रेटिना खराब होने से गई आंखों की रोशनी 
13 साल पहले अंबाला छावनी के दयाल बाग निवासी पूनम ठाकुर ने पति प्यार चंद को अपने हमसफर के रूप में चुना। दोनों भले ही आंखों से न देख सकते हों, कभी प्यार कम नहीं हुआ। जीवन का सफर एक-दूसरे के हाथों में हाथ डालकर पूरा करने की कसम खाई। आज भी करवाचौथ को लेकर पूनम काफी उत्साहित दिखती हैं।

पूनम का कहना है कि एक-दूसरे को देखने के लिए केवल मन की ही आंखें काफी हैं। कॉलेज में बीए द्वितीय वर्ष की पढ़ाई करते हुए पिगमैन टोसा नामक बीमारी से ग्रस्त हो गई। धीरे-धीरे दोनों आंखों की रोशनी गवां बैठी। कभी हिम्मत नहीं हारी और पढ़ाई पूरी कर प्यार चंद के साथ विवाह बंधन में बंधी। पति टीचर हैं।

दर्द की देवा ने छीन ली रोशनी
66 वर्षीया कमलेश देवी का कहना है कि करवाचौथ आते ही वह अन्य सुहागिनों की तरह अपने पति मोती लाल के साथ बाजार में शॉपिंग करती हैं। वह आंखों से देख नहीं सकती मगर आज भी पति ही दुकान पर सूट पसंद करते हैं। उनके पति एमईएस डिफेंस में हैं और वह खुद टीचर पद से रिटायर्ड है। कमलेश ने बताया कि आंखों में दर्द के बाद डाॅक्टर ने गलत दवाई डाल दी और इंफेक्शन हो गया। इसी बीच, उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी।

बारहवीं के पढ़ाई करते समय चली गईं आंखें
छावनी के शिव प्रताप नगर निवासी सरिता बंसल का कहना था कि सहेलियों के साथ हमेशा ही स्कूल में खेलने व घूमने का शौक था। बारहवीं की पढ़ाई करते समय अचानक दिमाग की नस दब गई। देखते ही देखते आंखों के आगे अंधेरा छा गया, जो आज भी उनकी आंखों के आगे छाया हुआ है। 2004 में शिक्षक राजबीर से विवाह हुआ। आंखें न होने के बावजूद दोनों एक-दूसरे को अच्छे से समझते हैं।


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